छत्तीसगढ़ में शिक्षाकर्मियों की विसंगतियां दूर हो तो पैरा शिक्षको का मॉडल बनेगा छत्तीसगढ़

Shri Mi
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नईदिल्ली।पूरे देश मे एक तरह के शिक्षक और वेतन भत्ते सुविधाओं सहित समान शिक्षा प्रणाली के लिए संघर्ष करने के लिए रविवार को दिल्ली में छत्तीसगढ़,मध्यप्रदेश,उत्तर प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल, हरियाणा,बिहार के पैरा शिक्षक एकत्र हुए।उक्त बैठक मे झारखंड के  पैराशिक्षक नेता रंजीत जायसवाल ने बताया की देश में पैरा शिक्षकों की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। देशभर में पैरा शिक्षकों की वेतन भत्ते अलग अलग है। देश के ज्यादातर पारा शिक्षक समान काम समान वेतन की अहाता भी रखते हैं। उसके बाद भी पैरा शिक्षको को वेतन भत्ते सुविधाएं नहीं मिल रही है।और झारखंड, उत्तर प्रदेश बिहार की स्थिति और भी गई गुजरी है।उन्होंने बताया कि पैरा शिक्षक संघ के प्रतिनिधि कोर कमेटी की बैठक में उपस्थित हुए।सभी ने एकमत से निर्णय लिया कि पूरे देश में बेहतर शिक्षा व्यवस्था के लिए एक समान शिक्षक, एक समान पाठ्यक्रम, एक  समान शाला  की व्यवस्था की जानी चाहिए, पूरे देश में समान शिक्षा व्यवस्था की स्थापना करते हुए पैरा शिक्षक प्रणाली की समाप्ति होनी चाहिए।
साथ ही शिक्षा जैसे मूलभूत और आवश्यक कार्यों मैं संविदा जैसी प्रणाली को समाप्त कर सभी पैरा शिक्षक, संविदा शिक्षक, शिक्षाकर्मी के रूप में कार्य कर रहे शिक्षकों का शिक्षा विभाग में संविलियन हो जिससे शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ बनाया जा सके।उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय पैरा शिक्षक संघर्ष समिति ने बैठक में निर्णय लिया है। कि जल्द ही शेष बचे राज्यों के शिक्षकों को संगठित करके  राष्ट्रव्यापी आंदोलन किया जाएगा, जिसके लिए आगामी 23 सितंबर को पुनः देशभर के सभी राज्यों जहां पैरा शिक्षक व्यवस्था लागू है, उनके प्रतिनिधि बैठक में जुटेंगे और आगे की रणनीति बनाकर कार्य करेंगे।
रंजीत ने बताया कि चर्चा के दौरान वीरेंद्र दुबे ने छत्तीसगढ़ के पारा शिक्षकों के संविलियन का मॉडल रखा जो कि सबसे अच्छा मॉडल लगा छत्तीसगढ़ सरकार ने शिक्षकों का जो पूर्ण शासकीय करण किया है। उससे बेहतर मॉडल कोई नहीं हो सकता।उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ मॉडल का वीरेंद्र दुबे ने जैसा प्रजेंटेशन रखा विसंगतियों के बारे में बताया अगर वह विसंगति दूर हो जाती है। तो छत्तीसगढ़ मॉडल को ही पूरे देश में लागू करने का प्रयास किया जाएगा।
छत्तीसगढ़ के संविलियन हुए शिक्षा कर्मीयो की सेवा शर्तों के पूर्ण नियम आने के बाद पैरा शिक्षको की 23 सितंबर को होने वाली बैठक पर छत्तीसगढ़ के शिक्षा क्रर्मियो के संविलियन मॉडल पर और चर्चा की जाएगी।उन्होंने बताया कि सेवा शर्तें , नियम शर्ते पारा शिक्षकों के हित में रहेगी तो छत्तीसगढ़ मॉडल को पूरे देश में लागू करने के लिए संघर्ष किया जायेगा।
राष्ट्रीय पैरा शिक्षक संघर्ष समिति के राष्ट्रीय संयोजक वीरेंद्र दुबे ने बताया की हमनें  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं मानव संसाधन विकास मंत्री  प्रकाश जावड़ेकर से मांग की है, कि जिस प्रकार छत्तीसगढ़ में शिक्षाकर्मियों का संविलियन कर दिया गया है।उसी तर्ज में सभी प्रदेशों में भी संविदा प्रणाली को समाप्त करके शिक्षकों का अविलंब संविलियन किया जाए।
राष्ट्रीय पैरा शिक्षक संघर्स समिति  के संयोजक  हीरानन्द नरवरिया ने बताया कि देश भर के पैरा शिक्षको को जोड़ने के लिए व संगठन का विस्तार  करने के लिए 23 सितम्बर जो बैठक होगी  उसमें  शीतकालीन सत्र में संसद का घेराव  की रणनीत तैयार होगी।उन्होंने बताया कि मप्र से  हीरानन्द नरवरिया, बाबुलाल मालवीय, शिल्पी सिवान, अजय जैन, अखिलेश तिवारी ,शामिल हुए, साथ ही छत्तीसगढ़ से वीरेन्द्र दुबे, उत्तर प्रदेश से शिवकुमार शुक्ला, जितेंद्र शाही, बिहार से आनंद कौशल सिंह, झारखण्ड से रणजीत जायसवाल, वेस्ट बंगाल से मधुमिता बंधोपाध्याय, दिल्ली से अशोक सिंह, सहित 60 से अधिक पैरा शिक्षक शामिल हुए सभी ने सम्पूर्ण भारत मे एक तरह के शिक्षक और वेतन भत्ते सुविधाओं शहित शिक्षा का बाजारीकरण रोकने एवं एक समान शिक्षा प्रणाली के लिए संघर्ष करने के लिए सहमति प्रदान की।
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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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