रामानुजगंज(पृथ्वीलाल केशरी) आगामी रामानुजगंज विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस में चल रही दावेदारी में मुख्य रूप से चार नाम सामने आया है वर्तमान विधायक बृहस्पति सिंह,मिखाइल एक्का,सुनील कनहरे,सुनील सूर्यवंशी ने अपनी दावेदारी पेस की है। विधानसभा चुनाव के पूर्व इस बार कांग्रेस ने पहले से ही विधानसभा वार दावेदारों का आवेदन लेना शुरु किया है। पूरे प्रदेश में यह प्रक्रिया चल रही है। सामरी विधानसभा क्षेत्र से वर्तमान विधायक डॉ. प्रीतम राम सहित पूर्व विधायक महेश्वर पैकरा, राजपुर नगर पंचायत अध्यक्ष विजय सिंह व पूर्व जनपद अध्यक्ष लालसाय मिंज सहित आधा दर्जन ने आवेदन दिया है। इसबार रामानुजगंज विधानसभा क्षेत्र में वर्तमान विधायक बृहस्पति सिंह का राह आसान नहीं दिख रहा है। क्योंकि विधायक बनाने के बाद से पार्टी संगठन से हमेशा दूरी बनाकर चलते रहे। वही कांग्रेस सास्वित पंचायत के सरपंच एवं सचिवों को जिलापंचायत कार्यालय में गैर व्यक्तियों से शिकायत दर्ज करा कर अधिकारियों पर दबाव बनाकर जांच करवाना एवं परेशान करना आदि कई प्रकरण ऐसे शामिल है जिसके कारण पंचायतों में भारी आक्रोश देखने को मिल रहा है स्थिति यह है कि लोगों में भारी नाराजगी है जिसके कारण इनकी हार सुनिश्चित मानी जा रही है प्रबल दावेदार होने के कारण पार्टी इन्हें टिकट भले ही दे दे लेकिन जीत आसान नहीं दिख रही है.
विधायक बनने से पहले इनके द्वारा भाजपा शासन के क्रियाकलापों का हमेशा से विरोध करने की प्रवृत्ति बनी हुई थी लेकिन विधायक बनने के बाद ही सारे विरोध शिथिल पड़ गए और इनका एक ही काम बच गया की खुलकर ठेकेदारी करने में मस्त रहें विधायक मद से होने वाले कार्य को भाजपा के कार्यकर्ताओं को देकर कार्य को करते रहे। कई कार्य तो ऐसे कराए गए हैं जिनका कोई अता पता ही नहीं है पूरे जिले में पिछले 5 साल से भ्रष्टाचार का बोलबाला रहा मनरेगा के तहत कई कार्य होने के बावजूद भी मजदूरों को भुगतान नहीं मिल पाया किसानों के धान महावीरगंज समिति से बेचा गया धान गायब हो गया कई लाखों का बिल आहरण हो गया। वही किसानों से ऐसे कई जुड़े हुए मुद्दे जिले में रहे इसके बावजूद भी इनके द्वारा कोई मुद्दा को बखूबी नहीं उठाया गया इस क्षेत्र में इनके कार्यप्रणाली का भारी विरोध हो रहा है उनके समर्थकों का कहना है कि हमारे विधायक महोदय जी द्वारा कई मुद्दों को विधानसभा में उठाया गया है लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है जब समर्थकों से पूछा गया कि विधायक बनने से पहले जिस तरह से रामविचार नेताम के खिलाफ मुद्दा को मीडिया एवं आम जनता के मध्य उठाया करते थे तो पिछले 5 वर्षों के दरमियान ऐसा क्या हुआ की इनके द्वारा सार्वजनिक मंच से मुद्दा को उठाने में निष्क्रियता क्यों दिखाई गई जनता के मन में यह सवाल घर कर गया है इसलिए इस बार विधानसभा चुनाव में इनकी राह आसान नहीं दिख रही है। पार्टी में कुछ स्वार्थी तत्वों के द्वारा इनकी बखान जरूर की जा रही हैं पर हकीकत कुछ और ही है।