शिक्षाकर्मियों को उम्मीद,ओपी चौधरी बीजेपी से जुड़े तो निभा सकते हैं से‌तु की भूमिका

Shri Mi
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बिलासपुर(सीजीवाल)।पिछले दिनों रायपुर के पूर्व कलेक्टर ओपी चौधरी का प्रशासनिक सेवा से त्याग पत्र देना कई मायनों में महत्त्वपूर्ण हो सकता है। हालांकि ओपी चौधरी ने अभी साफ नही किया है कि वो किस पार्टी में जायँगे पर ऐसा लग रहा है कि वो भाजपा से जुडेंगे अगर ऐसा होता है। तो सरकार के लिए शिक्षा कर्मीयो के संविलियन के बाद भी सिर दर्द बने शिक्षाकर्मी नेता आसानी से मैनेज हो सकते है।सीजीवालमालूम हो कि मोर्चा की उग्र हो चुकी हड़ताल को अंत मे मैनेज करने में रायपुर कलेक्टर रहते हुए ओपी चौधरी ने बखूबी मैनेज किया था।

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मोर्चे के आंदोलन के दौरान जब वीरेन्द्र दुबे,मनोज सनाढ्य,बसंत चतुर्वेदी सहित दूसरे पंक्ति के नेता गिरफ्तार हो चुके थे और संजय शर्मा व विकास राजपूत भूमिगत होकर निर्देश दे रहे थे। उस वक़्त जगह जगह शिक्षा कर्मियी की गिरफ्तारी हो रही थी । औऱ शिक्षको को अस्थाई जेल सहित केंद्रीय जेल में भेजा जा रहा था ।क्योकि मोर्चे का आंदोलन दिशा हीन हो चुका था।सीजीवाल,पूरे प्रदेश से शिक्षाकर्मीयो का हुजूम रायपुर की सड़को पर संविलियन की टोपी, संविलियन बैनर पोस्टर लिए जय संविलियन के घोष लगाता हुआ घूम रहा था।सरकार के सामने लॉ एंड ऑर्डर को बनाये रखने की एक बड़ी जवाबदारी आ गई थी।

उस वक़्त रायपुर में ओपी चौधरी ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और सभी मोर्चे के पदाधिकारियों को भरोसे में लेते हुए सरकार की मंशा के अनुसार शून्य में हड़ताल वापस करवाने में अपनी एक बड़ी भूमिका अदा की जिससे सबने राहत की सांस ली थी।

शिक्षाकर्मीयो के आठ वर्ष पूर्ण कर चुके शिक्षाकर्मीयो के संविलियन के बाद से सरकार और शिक्षक नेताओ के बीच संवाद की बढ़ती हुई खाई ने शिक्षक संघो के असंतुष्ट शिक्षा कर्मीयो को जन्म दिया है।सीजीवालउसे पाटने में ओपी चौधरी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते है। क्योकि शिक्षा कर्मी नेताओ का संवाद सीधे सरकार से कभी नही रहा है।

शिक्षाकर्मी अपनी मांगों को अधिकारियों के माध्यम से मुख्यमंत्री से तक पहुचाते आये है।अफसर से नेता बने ओपी चौधरी शिक्षाकर्मी और मुख्यमंत्री में बीच टूटे हुए संवाद बना सकते है वो इस टूटी हुई कड़ी में ठीक बैठते है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि ओपी सत्ता के किस गालियरे जाते है और उंन्हे क्या महत्वपूर्ण दायित्व मिलता है।

शिक्षाकर्मी नेता प्रदीप पांडेय ने ओ.पी. चौधरी के राजनीति में आने की खबरों पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि राजनीति में ऐसे स्वच्छ एवं ईमानदार छबि के व्यक्ति का आना अच्छा संकेत है ओ.पी. चौधरी विशेषकर शिक्षाकर्मियों की समस्याओं से परिचित है वह भी पूर्व में शिक्षाकर्मी रह चुके हैं। वे शिक्षा कर्मी नेताओ से भी भली भांति परिचित है। शिक्षाकर्मियों की समस्याओं को सरकार तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं अब देखना यह है कि जितनी उम्मीदें हम ओपी चौधरी से लगा रहे हैं उसमें वे कितना खरा उतर पाते हैं।

वही शिक्षाकर्मी नेता मोर्चा संचालक केदार जैन ने बताया कि ओपी चौधरी के ठेठ छत्तीगढिया अधिकारी रहे है। वे छत्तीशगढ़ के माटी की खुशबू में शिक्षाकर्मी से कलेक्टर तक का सफर किये है। मोर्चा के आंदोलन के दौरान एक सरकार के एक अफसर की भूमिका निभाई थी। शिक्षा कर्मीयो की समस्या उनसे छिपी नही है।राजनीति में आने के बाद वे शिक्षको की वेतन विंगतियों को हल करवाने में सेतु का काम।करते है।।तो उनके इस कदम का प्रदेश का हर शिक्षा कर्मी स्वागत करेगा।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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