भाजपाइयों ने किया महान नेता का अपमान…भ्रष्टाचार की चासनी पाने…नैतिकता को रख दिया ताक पर

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—भारतीय संस्कृति और लोकतांत्रिक सदन की गरिमा और संसदीय मर्यादा को सामान्य सभा में भाजपा नेताओं ने तार तार कर दिया है। एक दिन पहले जिस तरह से बिलासपुर निगम में सामान्य सभा के दौरान भारतीय जनता पार्टी के लोगों ने हरकत की है..उसे देखकर जनता शर्मसार हुई है। भाजपा नेताओं ने अपने ही पितृपुरुष और भारत के जनप्रिय नेता पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई का श्रद्धांजलि सभा में मजाक उड़ाया गया…उसकी निंदा भी कम है।
                      कांग्रेस पार्षद दल प्रवक्ता शैलेन्द्र जायसवाल ने बताया कि अटल बिहारी वाजपेयी समावेशी राजनीति के प्रतीक थे। उनके व्यक्तित्व को
 लोकतांत्रिक व्यवस्था में सभी दलों ने पूरा सम्मान दिया । खुद भी अटल का बहुत सम्मान करते हैं। अटल बिहारी वाजपेयी का नाम नेहरू, इंदिरा के समकक्ष नेताओं में गिना जाता है। लेकिन भारतीय जनता पार्टी के नेता सत्ता के मदहोशी में सामाजिक वर्जनाओं और भारतीय परम्परा को लांघकर पूर्व प्रधानमंत्री की आत्मा को ठेस पहुंचाया है। निश्चित रूप से ऐसा दिमागी हालत से खराब लोग ही कर सकते हैं।
         शैलेन्द्र ने बताया कि  भारत वर्ष के किसी भी सदन में चाहे वह लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभा ही क्यों ना हो…शोक श्रद्धांजलि के बाद सदन स्थगित कर दिया जाता है।  उस दिन सदन की कोई कार्यवाही नहीं होती है। लेकिन बिलासपुर नगर निगम सदन में ऐसा उदाहरण पेश किया गया जिसकी जितनी भी निंदा की जाए कम है।
       शैलेन्द्र ने कहा कि 28 अगस्त की सामान्य सभा में भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई को शोक श्रद्धांजलि अर्पित किया गया। इसके बाद कांग्रेस पार्षद दल ने आग्रह किया कि  सदन को स्थगित किया जाए। प्रस्ताव पर दुसरे दिन करेंगे। लेकिन भारतीय जनता पार्टी के सभापति ,महापौर एमआईसी सदस्यों के साथ भाजपा  पार्षदों नहीं माना। प्रस्ताव पर चर्चा करना शुरू कर दिया। उनके ही दल के एक शीर्ष नेता का श्रद्धांजलि  कार्यक्रम किया गया। उन्हें इस बात की फिक्र नहीं कि ऐसा पूर्व प्रधानमंत्री का अपमान कर रहे हैं।
                        शोक सभा के बाद 200 करोड़ का प्रस्ताव भ्रष्टाचार को परवान चढ़ाने पारित कर दिया। कांग्रेस नेताओं ने जब प्रस्ताव को पारित करना गलत बताया तो भाजपाइयों ने हंंगामा करना शुरू कर दिया। भाजपा पार्षद टेबल ठोक ठोक कर सारे प्रस्ताव को पारित कर दिया। इस दौरान ऐसा लगा कि उनमें अटल के जाने का कोई गम नहीं है। उन्हें तो मतलब सिर्फ अपने प्रस्ताव को पास होने का था। जिसमें आगे चलकर जमकर भ्रष्टाचार करें।
     शैलेन्द्र ने कहा कि अटल जी की शोक सभा में जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी के लोग उनके मंत्री मुख्यमंत्री और कार्यकर्ता अपनी भंगिमाओं का अशोभनीय प्रदर्शन कर रहे हैं वह भारतीय संस्कृति का हिस्सा नहीं हो सकता है।  पिछले 10 वर्षों से भारतीय जनता पार्टी ने अटल जी को पूरी तरह से भुला दिया था। अचानक अटल जी के देहावसान में उनको सत्ता पाने का एक साधन नजर आने लगा। क्योंकि अपने करनी से जनता की नजरों में भाजपा के नेता गिर चुके हैं। ऐसे में सत्ता में बने रहने के लिए उन्हें केवल अटल के नाम का सहारा दिखाई दे रहा है। लेकिन भाजपा नेताओं को समझना होगा कि  भारत की जनता भावनाओं पर नहीं विवेक से निर्णय करती है।
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