शिक्षाकर्मी फेडरेशन के आँदोलन पर सोशल मीडिया में फिर उठ रहे सवाल…जवाब में फेडरेशन ने कहा-पूरी पारदर्शिता है

Chief Editor
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रायपुर । शिक्षा कर्मी वर्ग तीन की मांगों को लेकर  फेडरेशन के बैनर तले एक बार फिर आंदोलन की शुरूआत हो गई है। आंदोलन को निर्णायक दौर में पहुंचाने  के प्रयास किए जा रहे हैं और एकजुटता भी नजर आ रही है। लेकिन शिक्षा कर्मी संगठनों के पूर्व के आँदोलनो की तरह फेडरेशन के आँदोलन के दौरान भी कई सवाल तैर रहे हैं। चँदे और दूसरे मुद्दों को लेकर सोशल मीडिया में कई तरह के सवाल किए जा रहे हैं। फेडरेशन के लोगों ने भी जवाब दिया है कि फेडरोशन का काम पूरी तरह से पारदर्शिता के साथ चल रहा है।
प्रदेश के शिक्षाकर्मीयो के संविलियन से पूर्व छत्तीसगढ़ पंचायत व नगरिय निकाय मोर्चा को आंदोलन दौरान  विरोधी शिक्षक नेताओ और उनके पदाधिकारियों ने  मोर्चा के पदाधिकारियों की सोशल मीडिया में जम कर आलोचना हुई थी। शिक्षकीय मर्यादा का स्तर कहाँ तक गया यह  प्रदेश शासन  व मोर्चा के नेताओ सहित सोशल मीडिया ने भली भांति महसूस किया था।मोर्चा के निर्णयों पर मोर्चा के संचालकों और नेताओं को बहुत नाराजगी झेलनी पड़ी थी।
उन्हें कड़ी आलोचनाओं का शिकार होना पड़ा खासकर चंदे को लेकर तरह तरह से मोर्चा के पदाधिकारियों पर कटाक्ष किए जाते थे। और शासन पर तरह तरह के सवाल खड़े किए जाते थे।
चंदे के गणित भी सीधे और सरल हुआ करते थे।प्रदेश के कुल शिक्षा कर्मियों के साथ 200 रुपये का गुणा कर दिया जाता और संख्या निकलती उसे चंदे की रकम माना जा रहा था।जैसे: प्रदेश में,1.80 लाख शिक्षक X 200 = (गुणाफल)
ऐसे ऐसे आरोप प्रत्यारोप लगते थे। वही चंदे को लेकर सवाल उठाने वाला एक धड़ा अभी सहायक शिक्षक फेडरेशन के बैनर तले आंदोलन की राह में है। जिसमे कुछ विभिन संघो से जुड़े शिक्षक जो अब नेता बन चुके हैं वो शामिल हो गए है। अब सहायक शिक्षक फेडरेशन पर सोशल मीडिया में उँगलिया उठने लगी है। इनकी आलोचनाओं का दौर शुरू हो चुका है।फेसबुक वाट्सएप में तर्क कुतर्क का दौर शुरु हो गया है।
 सोशल मीडिया में एक्टिव सहायक शिक्षक और एक संघ के मीडिया प्रभारी प्रदीप पांडेय ने  बताया कि संविलियन के बाद जब हमने संविलियन के लिए धन्यवाद व संविलियन से उत्पन्न विसंगति चाहे वह वर्ष बंधन को लेकर हो या सहायक शिक्षक के वेतन विसंगति को लेकर हो या अन्य समस्याओं  को दूर करने के लिए बातचीत का रास्ता अपनाया तब आलोचनाओं की झड़ी लग गई।  लोगों ने हमें गुलदस्ता गैंग का खिताब भी दे डाला। किन्तु आज वही लोग प्रदेश के हजारों सहायक शिक्षक साथियों को आक्रोशित कर आंदोलन के रास्ते अपनी मांग मनवाने का सब्जबाग दिखा रहे हैं ।
प्रदीप ने बताया कि आंदोलन का समय जैसे जैसे निकट आते जा रहा है। यही लोग अब नेताओं के बगले झाकने लगे हैं। गुलदस्ता लेकर मुख्यमंत्री  से मिलवाने की मिन्नते करने लगे हैं। मध्यस्थता करने के लिए गुहार लगा रहे हैं।उन्होंने कहा कि अगर यही सब करना था। तो यह शुरू से करना था। शुरूवात से मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी समस्या को रखने का प्रयास करना था। किन्तु ऐसा नहीं किया गया।अब उंगली तो आप पर भी उठना लाजमी है।
उन्होंने कहा कि  मोर्चे पर जो आरोप लगाते  थे अब उन्ही के अनुसार अब प्रदेश के एक लाख दस हजार शिक्षा कर्मी अगर 100 रुपये चंदा देते है। तो ये चन्दे की रकम  10000000 (एक करोड़ रुपए) होती है।अब बिना पंजीयन वाले संघ के आय व्यव का हिसाब कौन देगा। और क्या आंदोलन का सब्जबाग दिखाने का सारा खेल इसी  चंदा की रकम के लिए खेला गया था। प्रदीप ने बताया कि सवाल तो बहुत है पर ऐसे सवाल अगर आपसी सोशल मीडिया तंत्र से निकल प्रदेश और राष्ट्रीय मीडिया में आते है। तो शिक्षक मर्यादा के विपरीत होगा।
संविलियन आंदोलन के दौरान मोर्चा से जुड़े आलोक पांडेय ने बताया कि एक ओर आम शिक्षाकर्मी जब सड़को पर था।उस वक़्त शिक्षको की एकता को तोड़ने के लिए कुछ नेता व उनके पदाधिकारी स्कूल जा रहे थे। वाट्सएप पर उपस्थिति का आवेदन शेयर कर रहे थे। मोर्चा के आंदोलन के दौरान प्रदेश के कुछ शिक्षक संघो ने आंदोलन का विरोध किया था। लिखित में आवेदन दिया कि हम मोर्चा की हड़ताल में शामिल नही होंगे। आलोक ने बताया कि मोर्चा का आंदोलन मिशन संविलियन सफल रहा है।आज एक लाख से अधिक शिक्षाकर्मीयो का संविलियन हो गया है ये शासकीय शिक्षक बन गए है।यदि सभी संधो ने साथ दिया होता तो आज वर्ग तीन की वेतन विसंगति का निर्णायक हल निकल गया होता।हमारी लड़ाई जारी है।जब रणनीति के तहत संविलियन मिला है तो बाकि समस्याएं भी दूर होंगी।
उधर  फेडरेशन के संयोजक इदरिस खान से सी जी वाल को बताया कि  फेडरेशन का पूरा काम पारदर्शिता से चल रहा है। हम चंदा नही ले रहे है।रायपुर के एक दिवसीय आंदोलन के दौरान लोगो ने स्वेच्छा से रकम दी थी । जिसे फेडरेशन के कार्य के लिए जमा किया गया है। रायपुर में करीब चालीस हजार रुपये प्राप्त हुए थे। जिसका पूरा हिसाब रखा गया
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