टिकट दावेदारी एक ऐसे प्राध्यापक की…जब JRF को छोड़ा बन गया पंच…किसान यात्रा कर कांग्रेस को किया मजबूत

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— पूर्व जिला कांग्रेस ग्रामीण अध्यक्ष राजेन्द्र शुक्ला किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। संक्रमण काल में कांग्रेस को प्रदेश में ऊंचाई देने वालों में जो स्थान भूपेश बघेल और अटल श्रीवास्तव समेत अन्य नेताओं का नाम आता है। ठीक उसी तरह बिलासपुर में कांग्रेस को झाड़ फूंककर खड़ा करने वालों में राजेन्द्र शुक्ला का नाम लिया जाता है। ऐसा खुद कांग्रेसी कहते हैं। लेकिन कांग्रेसी यह भी कहने से नहीं चूकते हैं कि राजेन्द्र शुक्ला को जिला कांग्रेस अध्यक्ष से इस्तीफा नहीं देना चाहिए था। बेहतर होता कि संगठन के कहने पर इस्तीफा देते। फिर भी  बिल्हा से राजेन्द्र शुक्ला की दावेदारी में दम है।

             
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प्राध्यापक से बन गया पंच

                        राजेन्द्र शुक्ला की शिक्षा एमएससी फारेस्ट्री है। कुछ सालों तक गुरूघासी दास विश्वविद्यालय में संविदा प्राध्यापक भी रहे। जूनियर रिसर्च फेलोशिप की परीक्षा उत्तीर्ण तो किये लेकिन आगे पढ़ाई छोड़कर सक्रिय राजनीति में कूद गए। उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद भी राजेन्द्र शुक्ला ने अपनी राजनीति यात्रा पंचायत से शुरू की। पहले पंच फिर उपसरपंच और बाद में सरपंच बनने का भी मौका मिला। राजेन्द्र शुक्ला का दावा है कि इस दौरान उन्होने तिफरा पंचायत के लिए बहुत काम किया। इसका फायदा भी मिला। पत्नी अनीता शुक्ला नगर पंचायत तिफरा की पहली अध्यक्ष बनी।

                                जन्मजात कांग्रेसी राजेन्द्र शुक्ला ने बताया कि पंचायत में अच्छे कामधाम को देखने के बाद संगठन ने उन्हें 2003 में पंचायती राज प्रकोष्ठ का प्रदेश प्रभारी बनाया। जबकि संगठन की राजनीति में उन्होने साल 2001 में प्रवेश किया। 2004 में कांग्रेस संंगठन और आला नेताओं ने युवा कांग्रेस अविभाजित बिलासपुर का जिला अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी। साल 2004 से 2008 के बीच संगठन के निर्देश में युवाओं के साथ गांवों की पदयात्रा की। यहीं से जिला और प्रदेश में पहचान भी मिली। संगठन ने भी मेरे कार्यों को जमकर सराहा।

दो बार टिकिट दावेदारी

                    राजेन्द्र के अनुसार बिल्हा विधानसभा से मैने आज से पहले दो बार टिकट की दावेदारी की है। पहली बार साल 2008 युवा कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए की। इसके बाद साल 2013 में टिकट के लिए जोर आजमाया। दोनों बार टिकट नहीं मिली। बावजूद इसके संगठन के लिए काम किया। समर्थकों के साथ जमकर काम किया। प्रबल दावेदार होने और टिकट नहीं मिलने के बाद भी 2013 में कांग्रेस प्रत्याशी सियाराम को जीताने के लिए संगठन के निर्देशों का पालन किया। तात्कालीन विधानसभा अध्यक्ष और भाजपा नेता धरमलाल कौशिक को हराने में कामयाबी मिली।

किसान बार किसान अधिकार न्याय पदयात्रा

                               साल 2014 से 2018 के बीच संगठन ने जिला कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी। तात्कालीन समय जिला स्तर कांग्रेस संगठन मजबूत करने बढ़चढ़कर काम किया। किसानों को न्याय दिलाने प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल के मार्गदर्शन में किसान यात्रा निकाला। जिले के गांव-गांव पहुंचकर साथियों के साथ चौपाल लगाकर भाजपा सरकार के खिलाफ बिगुल फूंका। शोषण के खिलाफ जंग का एलान किया। तीन बार 350 किलोमीटर की पदयात्रा की। इस दौरान किसानों की वस्तु स्थिति की जानकारी मिली। यद्यपि मैं खुद किसान हूं..लेकिन किसानों की हालत बद से बदतर हो सकती है इसका आंकलन पदयात्रा के समय ही हुआ। जिला स्तर पर किसानों को न्याय दिलाने संगठन और साथी नेताओं के साथ जमकर संघर्ष किया। इस दौरान लोगों को कांग्रेस संगठन से जोडकर जिला स्तर पर पार्टी मजबूत बनाने का हरसंभव प्रयास किया। काफी हद तक सफल भी हुआ।

पेन्डारी से रायपुर पदयात्रा

                      गर्व है कि मुझे प्रदेश के बड़े नेताओं के साथ कई पदयात्रा करने का अवसर मिला। इसमें नसबन्दी काण्ड के विरोध में पेन्डारी से रायपुर की पदयात्रा को कभी नहीं भूलूंगा। पदयात्रा में कांग्रेस के राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर के नेता शामिल हुए। भपेश बघेल, टीेएस सिंहदेव समेत सभी नेताओं ने होसला आफजाई किया।

खुद को बताया प्रबल दावेदार

                     राजेन्द्र शुक्ला ने बताया कि सियाराम कौशिक ने संगठन ही नहीं बल्कि बिल्हा विधानसभा की जनता के साथ धोखा किया है। 2013 में प्रबल दावेदार होने के बाद भी संगठन ने सियाराम को चुनाव में उतारा। लेकिन उन्होने पार्टी के साथ विश्वासघात किया। बागी नेता के साथ कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया। 2018 में भी मैं अपने को प्रबल दावेदार मनाता हूं। बिल्हा में पिछले 14 साल से पार्टी के लिए संघर्ष कर रहा हूं। बावजूद इसके पार्टी के आदेश पर ही चुनाव लडूंगा। यदि पार्टी विश्वास करती है तो चुनाव जीतकर दिखाउंगा। यदि आदेश नहीं मिलता है तो संगठन का काम हमेशा की तरह सिर माथे पर रखकर काम करूंगा। क्योंकि संगठन से बड़ा कोई हो ही नहीं सकता है।

पत्नी और साथियों ने दिया सहयोग

                               राजेन्द्र शुक्ला ने बताया कि राजनीति में होने के बाद भी पत्नी ने मेरा हर कदम पर साथ दिया। घर परिवार को संभाला। कभी हताश और निराश नहीं होने दिया। तिफरा नगर पंचायत अध्यक्ष रहते हुए भी उन्होने मुझे परिवार की चिन्ता से दूर रखा। अनीत शुक्ला आज भी राजनीति में सक्रिय हैं। बच्चों का पालन पोषण करते हुए अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी से निभा रही हैं।

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