बसंत शर्मा बोले-छत्तीसगढ़ की राजनीति में हो रही ब्राह्मणों की उपेक्षा बेहद चिंताजनक

Shri Mi
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basant sharma,bilaspur,news,chhattisgarh,political views,बिलासपुर।छत्तीसगढ़ कांग्रेस कमेटी के सक्रिय नेता और नगर निगम बिलासपुर पूर्व नेता प्रति-पक्ष, बसंत कुमार शर्मा ने छत्तीसगढ़ प्रदेश की राजनीति में ब्राह्मणों की हो रही उपेक्षा से क्षुब्ध होकर प्रदेश के सभी ब्राह्मणों से एक जुट होकर आगे आने की अपील की है। साथ ही उन्होंने कहा है कि ऐसी कई विधानसभा सीटें हैं जहां पर अगर काँग्रेस पार्टी द्वारा, ब्राह्मण प्रत्याशियों को विधानसभा चुनाव में टिकट दे कर सर्वसमाज द्वारा मज़बूती से समर्थन किया जाए तो पार्टी की जीत सुनिश्चित की जा सकती है।बसंत कुमार ने कहा कि मैं यह नहीं कहता कि केवल ब्राह्मण प्रत्याशियों को ही विधानसभा की टिकट मिले किंतु अगर किसी विधानसभा सीट पर अगर ब्राह्मण प्रत्याशी मज़बूत स्थिति में है तो पार्टी को उस पर विश्वास करते हुए उसका समर्थन करना चाहिए जैसे अगर बेलतरा विधानसभा सीट की बात करें तो बेलतरा विधानसभा क्षेत्र ब्राह्मण बाहुल्य क्षेत्र है।

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जैसे मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में मुस्लिम प्रत्याशी को टिकट दी जाती है जैसे सतनामी बाहुल्य क्षेत्रों में सतनामियों को टिकट दे दी जाती है जैसे कुर्मी बहुल क्षेत्रों में कुर्मी प्रत्याशी को टिकट दी जाती है तो ठीक वैसे ही अगर ब्राह्मण बाहुल्य क्षेत्र में अगर ब्राह्मण प्रत्याशी को टिकट दी जाती है, तो पार्टी की जीत सुनिश्चित होती है जिस पर पार्टी को एक बार विचार करने की जरूरत है।

बसंत शर्मा ने बताया कि, भारतीय चुनाव प्रणाली में सन 1952 में चुनाव शुरू हुए तब छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश से अलग नहीं हुआ था तो उस समय के अविभाजित मध्यप्रदेश में एक विधानसभा का नाम बलौदा हुआ करता था, जिसके बाद सन् 1972 में उसी सीट का नाम परिवर्तित होकर सीपत हुआ। सन 1952 से लेकर सन 1998 तक निरंतर कांग्रेस पार्टी ने इस सीट पर अपना परचम लहराया, लेकिन ध्यान देने लायक बात यह है कि हर बार जिस प्रत्याशी की जीत हुई वह प्रत्याशी ब्राह्मण ही था। सन 2003 से कांग्रेस ने अपने ब्राह्मण प्रत्याशियों के बजाय ओबीसी प्रत्याशियों पर ध्यान देना शुरु कर दिया लेकिन वहीं भारतीय जनता पार्टी ने समझदारी दिखाते हुए ब्राह्मण प्रत्याशियों का चयन शुरू कर, ब्राह्मण प्रत्याशियों पर दांव लगाना शुरु किया, फलस्वरूप जीत ब्राह्मण प्रत्याशी की ही हुई पर ब्राह्मण प्रत्याशी कांग्रेस का ना होकर कर भारतीय जनता पार्टी का था।

जिससे यह स्पष्ट होता है कि उस ब्राह्मण बाहुल्य क्षेत्र में जीत ब्राह्मण की ही होनी है भले ही वह किसी भी पार्टी का हो। 2003 में परिसीमन के बाद सीपत विधानसभा सीट का नाम परिवर्तित होकर बेलतरा विधानसभा हो गया और पिछले चुनाव में भी वहाँ से ब्राह्मण प्रत्याशी की ही जीत हुई लेकिन वह प्रत्याशी भारतीय जनता पार्टी का था और यह भी एक गौर करने वाली बात है कि वह वहाँ का क्षेत्रीय ब्राह्मण है।

बसंत शर्मा ने ध्यान आकर्षण करते हुए आगे बताया कि जब सीपत विधानसभा क्षेत्र हुआ करता था तब वह क्षेत्र ब्राह्मणों के साथ-साथ सूर्यवंशी और SC ST बहुल क्षेत्र में भी आता था। लेकिन परिसीमन के बाद जब बेलतरा विधानसभा क्षेत्र अलग हुआ तब उस समय जातीय आधार पर वह क्षेत्र ब्राह्मण बाहुल्य हो गया और बाकी क्षेत्र मस्तूरी विधानसभा क्षेत्र में चले गए। इसीलिए गठबंधन की बातें जो खबरें मीडिया से चलकर आ रही थी कि बेलतरा विधानसभा सीट पर काँग्रेस की सहयोगी पार्टी बसपा का प्रत्याशी उतारा जाए, वह पूरी तरह से निराधार है क्योंकि जब बेलतरा विधानसभा क्षेत्र ब्राह्मण बाहुल्य क्षेत्र है और वहां पर बहुजन समाज पार्टी को यह सीट देना कांग्रेस के लिए कदापि हितकारी साबित नहीं होगा।बसंत शर्मा ने अपील की है कि कांग्रेस पार्टी के तमाम दिग्गज नेता वरिष्ठ नेतृत्व को इस विषय में विचार करने की जरूरत है और उन्हें उम्मीद है कि जो भी निर्णय लिया जाएगा वह पार्टी के हित में होगा वह प्रदेश हित में होगा।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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