नई दिल्ली-दहेज उत्पीड़न के मामले (498A) में अपने पूर्व फैसले को पलटते हुए पति और उसके परिवार को मिले सेफगार्ड को खत्म करते हुए आरोपी पति की गिरफ्तारी का रास्ता खोल दिया है.शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि शिकायतों का निपटारा किए जाने के लिए परिवार कल्याण कमिटी की कोई आवश्यकता नहीं है. जिसके बाद सर्वोच्च अदालत ने दहेज उत्पीड़न मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी पर लगी रोक को हाटते हुए कहा कि ऐसे मामले में पीड़िता की सुरक्षा के लिए ऐसा करना आवश्यक है. लेकिन इसके साथ ही कोर्ट ने आरोपियों के लिए अग्रिम जमानत का रास्ता भी खोल दिया है.दहेज उत्पीड़न के मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली संवैधानिक पीठ ने इस मामले पर सुनवाई की जिसमें चीफ जस्टिस केअलावा जस्टिस ए एम खानविलकर, और जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ शामिल थे. इस पीठ ने अपने फैसले को पलटते हुए आरोपी की गिरफ्तारी पर लगी रोक को हटा दिया है. आइए जानते हैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले से जुड़ी 10 बड़ी बातें.
1. दहेज उत्पीड़न मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शिकायतों के निपटारे के लिए परिवार कल्याण कमिटी की कोई आवश्यकता नहीं.
2. सुप्रीम कोर्ट ने दहेज उत्पीड़न के आरोपी और उसके परिवार को मिले सेफगार्ड को खत्म करते हुए उनकी गिरफ्तारी का रास्ता खोल दिया है.
3. आरोपी की गिरफ्तारी का रास्ता खोलने के बाद कोर्ट ने अग्रिम जमानत का ऑप्शन भी दे दिया है.
4. सुप्रीम कोर्ट ने कहा अगर जरूरत हो तो पुलिस आरोपी की गिरफ्तारी कर सकती है.
5. सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून के दुरुपयोग करने की जांच के लिए उचित नियम बनाने फैसला संसद पर छोड़ दिया है.
6.सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी की गिरफ्तारी पर अपने पूर्व फैसले को पलटते हुए कहा कि ऐसा करना पीड़िता की सुरक्षा के लिए जरूरी है.
7.सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई कर रही सुप्रीम बैंच ने माना कि दहेज उत्पीड़न कानून (498A) की संबंधित धारा में कई खामियां है.
8. दहेज उत्पीड़न कानून की धारा में खामियों की बात कहते हुए कोर्ट ने कहा कि इस खामियों को संसद द्वारा दूर किया जाना चाहिए.
9.कोर्ट ने कहा कि संसद को चाहिए कि इन दहेज उत्पीड़न की संबंधित धारा 498A के दुरुपयोग से बचने के लिए एक उचित नियम बनाया जाए ताकि इसका गलत इस्तेमाल न किया जा सके.
10. दहेज उत्पीड़न के मामले (498A)पर सुनवाई मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस ए.एम.खानविलकर और जस्टिस डी.वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बैंच ने करते हुए फैसला सुनाया.