बिलासपुर—कोयला का इंदौर वाला माफिया ना केवल लोकल बल्कि अधिकारियों के लिए भी सिरदर्द बन गया है। छापामार कार्रवाई और पेनाल्टी देने के तुरंत बाद कोयला कटिंग और मिलावट का धंधा शुरू कर देता है। वह अधिकारियों की पेनाल्टी कार्रवाई का इंतजार भी नहीं करता। देर रात्रि से कोयला चोरी का धंधा शुरू कर अलसुबह लाखों रूपए का न्याारा व्यारा कर लेता है। अधिकारियों की इसकी भनक तक नहीं लगती। अब तो लोग कहने भी लगे हैं कि इंदौर वाले कोयला माफिया को रोकना आसान नहीं बल्कि नामुमकिन है। क्योंकि अमित ओबेराय राजधानी या फिर न्यायधानी के कुछ रसूखदारों का आशीर्वाद के बाद ही इंदौर से आकर अपरचित शहर में कोयला चोरी का धंधा करता है।
जानकारी के अनुसार दूसरे के लायसेंस पर कोयला चोरी के धंधे को इंदौर वाल कोयला माफिया ने हाइटेक बना दिया है। कोयला कटिंग और मिक्सिंग का काम कुछ इस तरह करता है कि लोगों को दूसरे दिन निशान भी नहीं मिलता। देखते ही देखते उसने बिलासपुर संभाग के कमोबेश ज्यादातर जिलों में एक नहीं बल्कि दो या इससे अधिक डिपो से दिन के हिसाब से लाखों रूपए का कोयला चोरी का व्यवसाय कर रहा है। शायद ना तो इसकी भनक पुलिस को है और ना ही खनिज प्रशासन को इसकी जानकारी है।
आन के आटा आन के घी
आन के आटा आन के घी..भोग लगाए बाबा जी…इंदौर वाला कोल माफिया का अंदाज कुछ ऐसा ही है। उसने न्यायधानी को कोयला चोरी का नयी परिभाषा दी है। से ना तो पुलिस का भय और ना ही जिला प्रशासन का डर । दूसरे के लायसेंस पर धड़ल्ले से कोयला कटिंग और मिक्सिंग का काम करता है। उसका अंदाज भी निराला है। उसे ना तो छापामार कार्रवाई का डर है और ना ही स्थानीय लोगों की धमकी की चिंता ही है। क्योंकि उसका मानना है कि इंदौर से यहां कमाने आया हूं..संबंध बनाने नहीं। यदि यह मेरा इलाका होता तो कमाई की बात ही कुछ होती।
तेजी से फैलाता कोयला चोरी का दुकान
जानकारी के अनुसार इंदौर से कोयला माफिया को बिलासपुर में लाने का श्रेय कुछ कोयला माफियों को जाता है। अब यही लोग कोयला माफिया से कन्नी काटने लगे हैं। उसने प्रशासनिक स्तर पर अपने संबधों को फेविकोल की तरह मजबूत बना लिया है। यही कारण है कि वह संभाग के कमोबेश सभी जिलों में एक नहीं बल्कि दो-दो..तीन-तीन कोयला चोरी का दुकान चलाना शुरू कर दिया है।
इंदौर वाला कोयला माफिया का कोयला चोरी का व्यवसाय रतनपुर से मोहदा मोड़ बिल्हा तक फल फूल रहा है। धर्मनगरी रतनपुर के सांधी पारा कोल डिपो में कोयला चोरी की बड़ी मात्रा में करता है। इसी तरह बिल्हा स्थित मोहदा मोड़ के पास भी सड़क से चंद कदम दूर ओपेन कोल डिपो में कोयला चोरी का खेल खेलता है। चोरी का खेल रात भर टार्च और कैंडल की रोशनी में किया जाता है।
बिल्हा और रतनपुर में अवैध तरीके से चला रहा डीपो
इंदौर वाले कोयला माफिया के पास अपना कोई लायसेंस नहीं है। उसने लायसेंसधारियों से मोटी रकम देकर कोल डिपो में खुद कोयला चोरी करना शुरू कर दिया है। अकेले रतनपुर स्थित सांधी पारा कोल डिपो में रोजाना रात्रि 6-7 घंटे के भीतर लाखो रूपए का चोरी का कोयला डंप करवाता है। इसी तरह बिल्हा मोड़ के पास अधिकारियों की आंख में धूल झोंककर होते शाम ओपेन कोलडिपो का बाजार सजा लेता है। बिल्हा मोड़ में दिन-रात थानेदार की जानकारी में कोयला का अवैध कारोबार करता है।
जानकारी के अनुसार कोल माफिया का दावा है कि उसे रसूखदारों का आशीर्वाद हासिल है । शायद यही कारण है कि वह दोनों कोल डिपो से हजारों टन कोयला चोरी कर मंहगे दाम में ट्रांसपोर्ट कर देता है
कटिंग और मिक्सिंग का खेल
तथाकथित कोलमाफिया को कोयला कटिंग और मिक्सिंग खेल में महारत हासिल है। कटिंग के खेल में ओव्हरलोड कोयला को कोलडिपो में उतरवाया जाता है। जबकि मिक्सिंग का खेल मिलावाट वाला होता है। जितना कोयला ट्रक से उतारा जाता है उतनी ही मात्रा में डोलोमाइट ट्रक में मिक्स कर दिया जाता है।
नियमों का उड़ रही धज्जियां
रतनपुर और बिल्हा स्थित मोहदा कोल डिपो का दूसरे के नाम पर है। दोनों ही कोल डिपो इंदौर का कोल माफिया किराये पर चलाता है। जबकि कोल डिपो में स्टाक रखने की अनुमति है। लेकिन यहां कोयला आता कहां से है किसी को इसकी जानकारी नहीं है। डिपो में धड़ल्ले से कोयला चोरी का कारोबार चलता है। समझ से परे है कि इसकी जानकारी आलाधिकारियों को अभी तक क्यों नहीं है।
मिलाया जाता है डस्ट व पत्थर
सांधीपारा और बिल्हा मोड़ मोहदा स्थित ओवेराय के अवैध कोयला डिपो में ना सिर्फ कोयला डंप किया जाता है बल्कि अच्छी क्वालिटी के कोयले को घटिया बनाया जाता है। डस्ट और पत्थर मिलाकर उतारे गए कोयले के बराबर मात्रा में घटिया कोयला ट्रक में चढ़ा दिया जाता है। फिर उतारे गए अच्छे कोयले को कोल माफिया ऊंचे दाम में दूसरे को जिलो और व्यापरियों को कोयला बेचकर मुनाफा कमाता है।
दूसरे के लाइसेंस पर चल रही
सांधी पारा और मोहदा मोड़ॉ स्थित कोल डिपो में ना तो लायसेंस की शर्तो का पालन किया जा रहा है। और ना ही पर्यावरण नियमों पर गौर किया गया है। दोनों ही जगह डिपो संचालक के पास खुद की जमीन नहीं है। जहां कोल डिपो है उसके आस पास खेती किसानी का काम होता है। खड़ी फसल कोयले के डस्ट से काली हो गयी है। मजेदार बात है कि कोयला डिपो तक पहुंचने के लिए रास्ता भी नहीं है। सरकारी जमीन को बिना अनुमति कोल माफिया ने हथिया लिया है। मजेदार बात है कि पर्यावरण और वन विभाग को गड़बड़ी अभी तक दिखाई नहीं दे रही है।
ज्वाइंट टीम गठित के बाद भी कार्रवाई नहीं
कोल डिपो में जांच करने के लिए बिलासपुर कलेक्टर ने पुलिस और खनिज विभाग की ज्वाइंट टीम बनाई है । जो सूचना मिलने पर कार्रवाई करेगी। फिर भी रतनपुर और मोहदा कोल डिपो में काले हीरे का अवैध कारोबार रूकने का नाम नहीं ले रहा है।
संबंधित थानेदार को चेतावनी दी थी
बिलासपुर पुलिस कप्तान और खनिज विभाग ने छापामार कार्रवाई कर दोनों कोल डिपो को सील कर दिया था । अफसरों ने संबंधित थानेदार को चेतावनी दी थी कि कोयले का कारोबार फिर से शुरू हुआ तो किसी को छोड़ा नहीं जाएगा। लेकिन अधिकारियों के दूसरे काम में व्यस्त होते ही इंदौर वाला कोल माफिया फिर सक्रिय हो गया। यानि मना करने के बाद भी डिपो खुल गया।
गड़बड़ी करने पर लाइसेंस रद्द करने की चेतावनी दी थी
इस कोल डिपो संचालक को खनिज विभाग ने कहा था कि यदि कोई गड़बड़ी पाई गयी तो डिपो का लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा । तावनी के बाद भी डिपो संचालक पर कोई असर नहीं हुआ। दिन रात काले हीरे का अवैध कारोबार धड़ल्ले से जारी है।