सियासी भूचाल के केन्द्र में बिलासपुर..”हीरो” और “विलेन” के किरदार पर टिकीं निगाहें…

Chief Editor
8 Min Read

(गिरिजेय)भूकम्प की खबर जब भी आती है…कुछ लाइनें उसमे जरूर होती हैं। मसलन……फलां इलाके में भूकम्प के झटके महसूस किए गए…… इससे इतने लोग प्रभावित हुए हैं….. रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता इतनी आँकी गई है……और भूकम्प का केन्द्र बिंन्दु फलां जगह पर है…..। छत्तीसगढ़ में चुनाव से ठीक पहले सियासी माहौल में जिस तरह की गरमाहट महसूस की जा रही है, उसे भूकम्प का नाम भले ही न दें। लेकिन कुछ तो ऐसा जरूर हुआ है, जिसकी तरंगे रह-रह कर उठ रहीं हैं और सियासी फिंजा में हल-चल मचा रही हैं। कांग्रस – भाजपा दोनों ही इससे प्रभावित हैं।राजनैतिक विश्लेषक सियासी स्केल पर इस झटके को नापने की कोशिश कर रहे हैं। यह सीन सबके सामने है कि लाठी चार्ज के बाद इस भूचाल का केन्द्र बिलासपुर में बना फिर गिरफ्तारी-जेल-बेल के साथ ही इसकी तरंगे दूर-दूर तक फैलती रहीं हैं। इसे लेकर नेताओं की ओर से बयानबाजी- आरोप – प्रत्यारोप का सिलसिला चल निकला है। पार्टियों के बाहर और पार्टियों के भीतर तक हलचल मचाने वाला यह  घटनाक्रम चुनाव के आते-आते कितना असरदार रहेगा , यह अब दिलचस्पी के साथ देखा जा रहा है।

Join Our WhatsApp Group Join Now

अगर बहुत अधिक पीछे न जाकर पिछले पांच साल के घटनाक्रम पर नजर डालें तो छत्तीसगढ़ के सियासी नक्शे पर ऐसे कई निशान दिख जाएगे, जिसे देखकर समझा जा सकता है कि सरकार कैसे चल रही है और विपक्ष किस तरह काम कर रहा है। लेकिन बिलासपुर कांग्रेस भवन में हुई लाठी चार्ज की घटना अभी तो राजनैतिक पटल पर साफ-साफ और उभरी हुई दिखाई दे रही है। एक तो यह ताजा है और यह घटना छत्तीसगढ़ में चुनावी बिगुल बजने के ठीक पहले हुई है। जिसे लेकर जमकर राजनीति चल रही है।

इसमें कौन सही है – कौन गलत है….. किसे फायदा होगा और किसे नुकसान उठाना पड़ेगा… ?  इन सवालों के जवाब आने वाला वक्त देगा। लेकिन इतना तो सभी मान रहे हैं कि कुछ न कुछ तो हुआ है। सरकार ने भी बिलासपुर के एक बड़े पुलिस अफसर को पीएचक्यू अटैच करके मान लिया कि कुछ तो हुआ है। सही – गलत का पता जाँच के बाद ही पता चलेगा। उधर कांग्रेस मान रही है कि बहुत कुछ हुआ है और इसीलिए संजीवनी पाकर पार्टी इस मुद्दे को जिंदा रखने पूरी कवायद कर रही है।

लाठी चार्ज के बाद जिस तरह से प्रधानमंत्री-मुख्यमंत्री-स्थानीय मंत्री के कार्यक्रमों के विरोध में काले झंडे निकले और गिरफ्तारियों का दौर चला…। फिर सीडी कांड सुर्खियों मे आ गया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल बिना जमानत लिए जेल चले गए….। फिर कांग्रेस आलाकमान के फैसले के तहत बेल पर राजी हुए ….। इस दौरान ऐसी बयार चलती रही कि सियासत में गिरफ्तारी शब्द का इस्तेमाल बढ़ गया । इतना ही नहीं कांग्रेस की इस कवायद पर बीजेपी जिस तरह आक्रामक हुई, वह भी गौर करने लायक है। खुद सूबे के मुखिया ने इस पर बयान देकर कांग्रेस की राजनीति को बेनकाब करने की कोशिश की। नतीजतन बिलासपुर लाठी चार्ज से उठी लहरें दूर-दूर तक टकरा रहीं हैं और चुनावी फैसले के लिए मन बना रहे छत्तीसगढ़ के मतदाताओं के बीच एक मैसेज भी पहुंच रहा है।

इस घटनाक्रम ने सिर्फ कांग्रेस – बीजेपी के बीच की राजनीति पर ही असर नहीं किया है। इसके साइड इफेक्ट कांग्रेस और भाजपा दोनों  के भीतर भी महसूस किए जा रहे हैं। सीडी कांड में कैलाश मुरारका का नाम आरोपी के रूप में सामने आने के बाद जिस तरह से बीजेपी ने उन्हे बाहर का रास्ता दिखा दिया, उससे लगा कि बीजेपी पर भी इसका असर पड़ा है। बीजेपी इस रूप में भी प्रभावित दिखती है कि कार्यकाल के आखिरी गिने-चुने दिनों में जब पार्टी को अपनी उपलब्धियां सामने रखना है और बेहतर छवि बनाना है, ऐसे वक्त में नई चुनौती सामने पेश हो गई।

जिस तरह से सोशल मीडिया में बिलासपुर लाठी चार्ज के वीडियो वायरल हुए…. मोबाइल दर मोबाइल कहानी लोगों तक पहुंचती रही  और सरकार की तानाशाही पर कमेंट हुए , उसका भी मुकाबला करना पड़ रहा है। जिसके चलते सरकार को पुलिस अफसर को हटाने का फैसला करना पड़ा । पार्टी को ऐसे समय में यह तो सोचना ही पड़ रहा होगा  कि लोगों की याददाश्त काफी कमजोर मानी जाती है और वे सरकार का किया- सरकार का दिया याद रखेंगे या उस पर लाठी चल जाएगी।

उधर कांग्रेस के भीतरखाने में इस एपीसोड का कम असर नहीं है। जहाँ फायदे – नुकसान की बात हो वहां असर तो होगा ही। हालांकि हर समय बिखराव को समेटने में लगे कांग्रेसियों को इस घटनाक्रम ने नजदीक आने का मौका तो दिया था। जिसे शुरूआत में कांग्रेसियों ने शिद्दत से निभाया भी और अलग-अलग जगह टीम की अगुवाई कर गिरफ्तारियां दीं । लेकिन लगता है जोश बढ़ते ही पुरानी बीमारी भी उभर आती है। तभी तो एमएलए की टिकट से लेकर मंत्री और मुख्यमंत्री के दावेदारों के बीच इस बात को लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गई कि हमारे बीच से  ‘ हीरो ‘ कौन बन रहा है …..?

इस सवाल का जवाब खोजते हुए कोई भी जान सकता है कि बिलासपुर लाठी चार्ज में अटल श्रीवास्तव और  गिरफ्तारी में भूपेश बघेल हीरो बन गए। पार्टी के बाहर भी लोग कहने लगे कि इस घटनाक्रम ने अटल श्रीवास्तव को बिलासपुर की टिकट का स्वाभाविक दावेदार बना दिया और भूपेश बघेल का नाम मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में सबसे ऊपर हो गया। हीरो कौन….? इस सवाल का यह जवाब आने के बाद कांग्रेस इस चिराग को चुनाव के पहले कब तक रौशन रख पाती है, यह भी दिलचस्पी के साथ देखा जा रहा है।

वैसे चुनाव से पहले की हवाओं नें आपस में गुत्थमगुत्थी कर जो चक्रवात बनाया है , उसमें एक बात तो साफ दिखाई देती है कि गोल-गोल रानी के बीच एक ही सवाल घुमड़ रहा है कि सियासी सारियल के इस एपीसोड में आम लोग  हीरो और विलेन का किरदार किसे मान रहे है। पूरा झगड़ा इसी सवाल पर टिका है। इस मुद्दे पर कांग्रेस – बीजेपी के बीच चल रही रस्साकशी का अब तक यही लब्बोलुआब सामने आया है कि दोनों खुद को हीरो और सामने वाले को विलेन बताने पर पूरी ताकत लगा रहे हैं। बीजेपी ने बिलासपुर में कचरा फेंकने और राजधानी में अश्लील सीडी लहराने के लिए कांग्रेस के बड़े नेताओँ को जिम्मेदार ठहराया है।

उधर कांग्रेस दोनों ही जगह सत्ता और पुलिस के दुरुपयोग का उदाहरण बताकर अपना बचाव भी कर रही है और इसी बचाव में आक्रमण के सूत्र तलाश रही है। ऐसे में वक्त का इंतजार करने की सिफारिश करने वाले लोग यही मानकर चल रहे हैं कि अगर चुनाव तक इस सीन की एक भी झलक बरकरार रह गई तो छत्तीसगढ़ का वोटर ही तय करेगा कि हीरो कौन….. और विलेन कौन है…?

close