लोरमी(योगेश मौर्य)।अचानकमार टाइगर रिजर्व के अंतर्गत 42 गांव आते हैं जहां जंगल क्षेत्र में रहने वाले हजारों ग्रामीण इसबार मतदान नही करते हुए विधानसभा चुनाव बहिष्कार करने चेतावनी दे रहे है। पूरा मामला वनांचल क्षेत्र का सामने आया है जहां पर सैकड़ो ग्रामीणों का आरोप है कि वनांचल में विस्थापन के नाम पर बहुत से ऐसे परिवार हैं जिन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास की सुविधा मुहैया नही कराई गई ना ही उन्हें एक भी हितग्राहियों को संचार क्रांति योजना के तहत निःशुल्क मोबाइल वितरण किए गए।
जिससे नाराज ग्रामीणों ने इस बार विधानसभा चुनाव में मतदान नहीं करते हुए चुनाव बहिष्कार करने चेतावनी दीये है। उनका कहना है जब उन्हें किसी योजना का लाभ ही ठीक तरीके से नही मिल रहा तो वोट क्यूँ डालें। वही उनका आरोप यह भी है की उन्हें विस्थापित करने की बात कहते हुए प्रशासन द्वारा किसी तरह कोई सुविधा नही दी जा रही है।
साथ ही खुड़िया से सुरही तक बने रोड में केवल गड्ढे और बोल्डर ही हैं जिससे किसी मरीज या गर्भवती महिला को लाने ले जाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है,,उनका आरोप है जंगल क्षेत्र के बैगाओं को राष्ट्रपति दत्तकपुत्र केवल कागजों में कहा जाता है।
कई ग्रामीण ऐसे भी हैं जो प्रधानमंत्री आवास की आश में घर तोड़ दिए जो आजतक अधूरा पड़ा हुआ है। उनका आरोप है कि चाहे जिसकी भी सरकार बनी हो या क्षेत्र से किसी भी पार्टी के कोई भी विधायक बने हों सभी ने हमेशा ही उनके साथ विकास के नाम पर केवल धोखा किया है।
आपको बता दें कि अभी वर्तमान हालात में जीवन यापन करने उनके पास कोई रोजगार नही हैं और उनका यह भी कहना है कि पहले जो मजदूरी किये भी हैं तो उसका आजतक कई साल बीत जाने के बाद भी उन्हें मजदूरी का पैसा नही मिला है जिससे उनकी स्थिति गंभीर बनी हुई है।
साथ ही वनांचल क्षेत्र के लोगो ने राजनीतिक पार्टियों के नेताओ पर गम्भीर आरोप लगाते हुए बताते है कि जब चुनाव नजदीक आता है तभी सारे नेताओ को हमारी याद आती है चुनाव के समय सारे नेता जंगलो का दौरा करते है और उन्हें अपनी पार्टी में वोट डालने के लिए प्रलोभन देते है लेकिन चुनाव जीतने के बाद हमारी सुनने वाला कोई नही होता इसीलिए इस बार हम सभी मिलकर चुनाव का बहिष्कार करेंगे।
वहीं जब इस पूरे मामले को लेकर जनपद पंचायत के सीईओ से बात की गई तो उन्होंने इस समस्या को उच्चाधिकारियों को अवगत कराने की बात कहते हुए अपना पल्ला झाड़ लिए। बहरहाल देखना यह है कि राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले बैगा आदिवासियों की समस्याएं कब तक दूर होती है ये आने वाले चुनाव में स्पष्ट हो जाएगा।