तानाखार से ही चुनाव लड़ेंगे रामदयाल उइके…….. दादा हीरा सिंह मरकाम को मिल सकता है कांग्रेस का समर्थन ….?

Chief Editor
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रायपुर । कांग्रेस से बीजेपी में आए तानाखार विधायक रामदयाल उइके इस बार भी तानाखार सीट से ही चुनाव मैदान में उतरेंगे। लेकिन इस बार उनका चुनाव चिन्ह पंजा की जगह कमल छाप होगा। उनके दल बदलने के बाद से ही चल रही अटकलबाजी पर फुलस्टाप लगाते हुए रायपुर में पत्रकारों से बातचीत के दौरान रामदयाल उइके ने खुद पूरी तरह से य़ह साफ कर दिया कि वे तानाखार सीट से ही चुनाव लड़ेेंगे और कोरबा जिले की चारों विधानसभा सीटें बीजेपी को जिताकर देंगे।

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तानाखार से लगातार तीन बार एमएलए और प्रदेश कांग्रेस  के कार्यकारी अध्यक्ष रहे रामदयाल उइके शनिवार को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की मौजूदगी में  बीजेपी में शामिल हुए हैं। विधानसभा चुनाव के बाद यह छत्तीसगढ़ में दलबदल का पहला बड़ा शो था। जिसे लेकर खबरे चलीं कि बीजेपी ने कांग्रेस को तगड़ा झटका देकर कांग्रेस से एक विधायक तोड़ लिया। वह भी आदिवासी विधायक…। वह भी प्रदेश कांग्रेस में कार्यकारी अध्यक्ष……।

यकीनन यह कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका है। चुनाव के ठीक पहले इस तरह किसी नेता के बाहर निकलने से असर तो पड़ता है। वह भी ठीक उस समय जब कांग्रेस  के दिग्गज टिकट को लेकर मंथन कर रहे हैं और लिस्ट पर आखिरी मुहर लगाने की तैयारी कर रहे हैं।

जाहिर सी बात है कि कांग्रेस कोरबा जिले के तानाखार विधानसभा सीट से रामदयाल उइके को सीटिंग एमएलए के रूप में इस बार भी अपना उम्मीदवार ही मानकर चल  रही थी। अब पार्टी को इस सीट पर अपनी ओर से नया चेहरा तलाशना पड़ेगा। भाजपा इसे लेकर भी खुश है कि तानाखार में उसे रामदयाल उइके के रूप में एक दमदार चेहरा मिल गया है। उधर कांग्रेसियों को अपनी खीझ मिटाते हुए  यही कहना पड़ रहा है कि उइके के जाने से पार्टी को कोई फर्क नहीं पड़ेगा। कांग्रेस के भीतरखाने से मिल रही खबरों के मुताबिक रामदयाल उइके के बीजेपी में जाने के संकेत पिछले चार -छः महीने से मिल रहे थे और ठीक चुनाव के समय उन्होने पार्टी को गच्चा दिया। कांग्रेसियों के पास यह दलील भी है कि उइके के साथ तानाखार इलाके से कोई भी कांग्रेसी पार्टी छोड़कर नहीं गया । लिहाजा वे इसे अपने लिए बेअसर ही मान रहे हैं। अब यह तो आने वाले समय में ही पता  लग सकेगा कि उइके के जाने से कांग्रेस पर कितना असर पड़ेगा।

रामदयाल उइके के कांग्रेस छोड़ने के बाद सियासी हलकों में अटकलें लगाई जा रही थीं कि बीजेपी उन्हे मरवाही सीट से उम्मीदवार बना सकती है। लेकिन बीजेपी में शामिल होने के बाद पहली बार मीडिया रू-ब-रू होते हुए रामदयाल उइके ने जो बातें कहीं हैं, उसके बाद सारी अटकलों पर विराम लग गया है। पहली बात तो उन्होने यह साफ कर दिया है कि वे तानाखार से ही चुनाव मैदान में उतरेंगे और मरवाही भेजने की बड़े नेताओँ की साजिश के चलते ही बीजेपी में आए हैं। डॉ.चरणदास महंत, भूपेश बघेल और जयसिंह अग्रवाल का नाम लेते हुए उन्होने कहा कि ये नेता उन्हे लगातार परेशान करते रहे। और यह भी कहा कि ये नेता मुझे मरवाही से चुनाव लड़ाना चाहते थे। जिससे अजीत जोगी से चुनाव लड़कर एक आदिवासी नेता हार जाए। उइके ने यभी कहा कि कांग्रेस के नेता गोंड़वाना गणतंत्र पार्टी के नेता को तानाखार से चुनाव लड़ाना चाहते थे। उइके ने तानाखार इलाके के दो लाख दस हजार मतदाताओँ को अपने साथ बताते हुए यहां तक कहा कि वे कोरबा जिले की सभी चार सीटे जिताकर बीजेपी को देंगे। कांग्रेस कोरबा जिले में अपना खाता ही नहीं खोल पाएगी। उनकी इन बातों का मतलब साफ है कि वे तानाखार से ही चुनाव लड़ेगे और पक्के तौर पर  यह तय होने के बाद ही वे बीजेपी में आए हैं।

उधर इस घटनाक्रम का एक  कोण यह भी है कि रामदयाल उइके के इस बयान से साफ है कि तानाखार सीट पर कांग्रेस -गोंगपा गठबंधन की आशंका के बीच ही उन्होने बीजेपी की ओर रुख किया है। माना जा सकता है कि इतना बड़ा कदम उन्होने तभी उठाया होगा , जब उन्हे  कांग्रेस -गोगपा गठबंधन के पक्के संकेत मिल गए होंगे। इसका एक मतलब यह भी है कि अब कांग्रेस और गोंगपा के बीच गठबंधन पर मुहर लग सकती है। जिसके बाद तीन बार तानाखार से विधायक रह चुके गोंड़वाना गणतंत्र पार्टी के सुप्रीमों हीरा सिंह मरकाम को कांग्रेस के समर्थन से तानाखार का उम्मीदवार बनाया जा सकता है। माना यह भी जा रहा है कि अगर ऐसी स्थिति बनती है तो कांग्रेस और गोंगपा के वोट मिलकर रामदयाल उइके के नए निशान- कमल के लिए चुनौती बन सकते हैं। तेजी से बदल रहे समीकरण के बीच आने वाले कल के बारे में कुछ भी कहना भले ही कठिन है । लेकिन इस समीकरण के सूत्रों को आपस में जोड़े तो कुछ ऐसी तस्वीर नजर आती है कि रामदयाल उइके तानाखार से ही चुनाव लड़ेंगे औऱ उस गोंगपा से ही उनका मुकाबला होगा, जिसके साथ गठबंधन की आशंका ने उन्हे कांग्रेस से निकालकर भाजपाइयों के बीच पहुंचा दिया ।

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