काग्रेसियों को किसी स्थान के काबिल नहीं समझा…एक मुलाकात में अमर ने कहा…विकास के साथ अच्छा आचरण,व्यवहार भी जरूरी

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— प्रदेश के कद्दावर नेता अमर ने कहा कि कांग्रेसियों का भ्रम ही कांग्रेस को ले डूबा। मध्यप्रदेश के समय बिलासपुर को दूसरा कहने वालों को पता होना चाहिए कि उन्होने बिलासपुर को दिया क्या। सच तो यह है कि राज्य बनने के बाद भाजपा सरकार ने बिलासपुर का नाम प्रदेश के दूसरे स्थान पर स्थापित किया। आज प्रदेश ही नहीं बल्कि देश में बिलासपुर का नाम जोन,मेडिकल कालेज,हाईकोर्ट और एसईसीएल,एनटीपीसी को लेकर गर्व से लिया जाता है। गोलबाजार की चिमनी तलाशने वालों ने हमेशा बिलासपुर को पिछड़ा बनाकर रखा। तो कभी बताया कि मध्यप्रदेश के समय बिलासपुर को दूसरे स्थान का शहर माना जाता था। सच्चाई तो यह है कि लगातार काम करने के बाद भाजपा सरकार ने देश में बिलासपुर को छत्तीसगढ़ के दूसरे बड़े शहर के रूप में स्थापित किया। अनर्गल प्रलाप करने वालों को बताना जरूरी है कि बिलासपुर की गिनती प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े शहर के रूप में होती है…लेकिन काग्रेस की गिनती बिलासपुर दूसरा तो दूर…बल्कि है ही नहीं।

सीजी वाल…आप बीस साल से सदन के नेता हैं…कभी महसूस किया कि राजनीति का स्तर लगातार गिर रहा है। इसकी वजह क्या हो सकती है।

अमर अग्रवाल–क्या राजनीति में गिरावट आई है…एक मुलाकात में सीजी वाल का अमर अग्रवाल ने बताया कि समय के साथ बहुत से मापदण्ड बदल जाते हैं। आजादी के समय की राजनीति कुछ अलग थी। समय के साथ परिवर्तन हुआ। असर राजनीति पर भी पड़ा। लेकिन गिरावट से इंकार नहीं करूंगा। फिर भी बहुत ज्यादा परिवर्तन नहीं हुआ है। जितना लोग समझ रहे हैं। समय के साथ परिवर्तन हुआ है। इस बात से इकार भी नहीं किया जा सकता।  उसकी वजह भी है.. प्रतिस्पर्धा बढ़ी है…। जाहिर सी बात है कि प्रतिस्पर्धा के स्वभाविक गुण का असर राजनीति पर भी पड़ा है। सबको मिलकर प्रयास करना होगा कि प्रतिस्पर्धा हो..लेकिन राजनीति की सुचिता बरकरार रहे।

सीजी वाल…सीधे तौर पर आप राजनीति मेंं गिरावट की बात से इंकार कर रहे हैं। फिर सीडी..वीडियो और पिछले कुछ दिनों लग रहे आरोप-प्रत्यारोप क्या हैं..?

अमर अग्रवाल–-मेरा मानना है कि सीडी वीडियो डीवीडी आदि आदि…इस प्रकार की राजनीति ठीक नहीं है। छत्तीसगढ़ का दुर्भाग्य है कि प्रदेश में इस प्रकार की परम्पराओं की शुरूआत हो रही है। ऐसा कतई नहीं होना चाहिए। बताना चाहूंगा कि कभी कभी ऐसा भी देखने को मिल जाता है राजनीतिक पार्टियां घटनाक्रम से सबक नहीं ले पाती हैं। नेता सुचिता की सीमाएं लांघ जाते हैं। फिर ऐसी पार्टियों और नेताओं को जनता सबक सिखाती हैं। इस बार जनता यदि सबक सिखा देती है तो सीडी वीडियों की राजनीति करने की हिमाकत ना तो कोई नेता करेगा और ना ही कोई प्रार्टी की साहस ही होगी।

सीजीवाल…अब आपके खिलाफ और अपने लोग ही टिकट मांग रहे हैं…क्या इसे आपके खिलाफ कार्यकर्ताओं की नाराजगी मानी जाए…

अमर अग्रवाल–ऐसा कुछ नहीं है…मेरे अगल बगल वाले कोई टिकट नहीं मांंग रहे। लोकतंत्र में सबको अधिकार है कि अपनी बात को रखें। भाजपा लोकतांत्रिक पार्टी है। कार्यकर्ता अपनी बातों को पार्टी के अन्दर खुलकर रखते हैं। कुछ लोगों ने चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की है। यह स्वस्थ्य और पुष्ट लोकतंत्र के लिए बहुत जरूरी भी है। कार्यकर्ताओं का अधिकार भी बनता है कि इच्छा जाहिर करें। ऐसा भाजपा में ही देखने को मिलेगा कि कार्यकर्ता टिकट मांग सकता है। लेकिन यह भी सही है कि टिकट एलान के बाद सब लोग कंधे से कंधा मिलाकर प्रत्याशियों की जीताने के  एड़ी चोटी की मेहनत करने लगते हैं। खुशी की बात है कि हम दुनिया के सबसे बड़ी लोकतांंत्रिक पार्टी का हिस्सा हैं। यहां कार्यकर्ताओं को अभिव्यक्ति की आजादी है।

सीजीवाल…क्या इस बार भी चुनाव का मुद्दा विकास ही होगा…या पार्टी कुछ नए मुद्दों के साथ चुनाव मैदान में उतरेगी…।

अमर अग्रवाल–विकास को मुद्दा बनाने का सबसे श्रेय पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी को जाता है। इसके पहले पार्टियां जाति सम्प्रदाय और भावनाओं को केन्द्र में रखकर चुनाव मैदान में उतरती थीं। अटल बिहारी वाजपेयी ने विकास को मुद्दा बनाया। इस बार भी विकास जैसे मुद्दों को नकारा नहीं जा सकता है। भविष्य में विकास मुद्दा रहे या ना रहे…लेकिन कोई भी दल विकास से हटकर सोच भी नहीं सकता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्पष्ट कर दिया है कि काम के मूल्यांकन के आधार पर ही देश की राजनीति होनी चाहिए। देश के तमाम राजनीतिक दल भी ऐसा मानते हैं..लेकिन ऐसी बहुत सी बातें होती है जो जनता के मन मतिष्क में घुमड़ती है। जैसे प्रत्याशी का आचरण, सहजता, सुलभता और उसका व्यवहार,संवेदनशीलता भी मायने रखते हैं। यदि नेता विकास की ही बात करे और उसका आचरण और व्यहार ठीक ना हो तो जनता ऐसे लोगों को धूल चटा देती है।

                        बिलासपुर की जनता विकास के साथ प्रत्याशी के आचार विचार को परखती है। जिसका आचरण ठीक ना हो…जिसमें सहजता, सुलभता और संवेदनशीलता ना हो…बिलासपुर की जनता ऐेसे लोगों को हाशिए पर डाल देती है। पिछले 20 सालों से इन्ही बातों को लेकर जनता प्यार दिया है।जाहिर सी बात है कि पिछले बीस साल से इस साल बेहतर परिणाम के सामने आएगा।

सीजीवाल…शहर यानि मतदाता गुमसुम है…इसका क्या अर्थ निकाला जाए। यदि जतना की चुप्पी को समझ रहे हैं तो बताएं..

अमर अग्रवाल—जनता की चुप्पी को समझना आसान है। इसके पहले वाले सवाल में ही मैने जवाब दिया है। फिर भी बताना चाहता हूं कि मैं काम करने में विश्वास रखता हूं। जनता भी काम देख रही है। मूल्यांकन भी कर रही है। नेताओं को मूल्यांकन का अधिकार नहीं है। नेता का काम जनता की सेवा करना है। जनता की जिम्मेदारियों को पूरा करना है। मैने हमेशा ध्यान रखा कि जनता क्या उम्मीद कर रही है। हमेशा ध्यान दिया कि जनता के लिए क्या कुछ बेहतर किया जा सकता है। पुराने चुनाव और अनुभवों को लेकर मैने हमेशा काम किया। यही कारण है कि हर चुनाव में जीत का अंतर पिछले चुनाव से डेढ़ से दो गुना हुआ है। इस बार भी ऐसा ही होगा। मेरे लिए शहर गुमसुम नहीं है। क्योंकि चुनाव के बाद जिन्हें गुमसुम होना है…उन्हें शहर गुमसुम तो दिखाई देगा ही।

सीजीवाल…आपकी पार्टी और नेता अस्थि कलश की राजनीति कर रहे हैं…कलश को कार्यालय में बंंधक बनाकर रखा है…इसमें कोई राज है क्या..

अमर अग्रवाल—हम अस्थि कलश की राजनीति नहीं करते। ना ही हंगामा और हथकण्डो पर विश्वास करते हैं। अटल बिहारी का नाम विश्व के कद्दावर नेताओं में शुमार है। उनकी अन्त्येष्टी में सैकड़ों विदेशी राजनयिक और विश्व के हजारों नेताओं ने भाग लिया। समझ सकते हैं कि ना केवल भाजपा बल्कि देशवासियों के दिल में अटल बिहारी वाजपेयी क्या स्थिति होगी। इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। एकात्म परिसर में कांंग्रेसियों का प्रायोजित हंगामा था। प्रोपेगण्डा कर कांग्रेसियों ने सस्ती राजनीति का परिचय दिया है। सच्चाई तो यह है कि एकात्म परिसर में अटल जी की अस्थि कलश नहीं। बल्कि प्रदेश के एक एक घर से तुलसी के पौधे से एकत्रित मिट्टी रखी गयी है।लेकिन कांगेसियों ने लोगों की भावनाओं को भड़का मुद्दा देने का प्रयास किया। बाद में जनता को भी समझ में आय गया कि कलश में लोगों की भावाएं संग्रहित है। इसी मिट्टी से राजधानी में अटल स्मारक बनया जाएगा।

सीजीवाल…कहा जा रहा है कि मध्यप्रदेश के समय बिलासपुर का स्थान नम्बर दो था…अब स्थान ही नहीं है। कम से कम कांग्रेस का तो यही मानना है…

अमर अग्रवाल— ऐसा कांग्रेसी ही सोच सकते हैं…जनता नहींं…। या कुछ पत्रकार सोचते होगे तो नहींं कह सकता…। मैं नहीं समझता का मध्यप्रदेश के समय बिलासपुर का कोई स्थान भी था। समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर बिलासपुर को कांग्रेस ने दिया ही क्या था कि नम्बर दो का शहर होता। रेलवे जोन नहीं दिया…। बिलासपुर को कभी राष्ट्रीय राजमार्ग से नहीं जोड़ा गया। स्वास्थ्य सुविधाओं की तरफ ध्यान नहीं दिया। एक मेडिकल कालेज भी तो तो कांग्रेसी सरकार ने नहीं खुलवाया। फिर बिलासपुर नम्बर दो शहर था कहां…।

                       राज्य बनने के बाद बिलासपुर को न्यायधानी का दर्जा हासिल हुआ। हाईकोर्ट खुलने के बाद देश में बिलासपुर की पहचान बनी। फिर बाद में क्रांतिकारी विकास हुआ। इसके बाद राष्ट्रीय स्तर पर बिलासपुर की छत्तीसगढ़ के दूसरे शहर के रूप में बनी। इसका श्रेय केवल भारतीय जनता पार्टी को जाता है। आज बिलासपुर की गिनती 100 स्मार्ट शहरों में होने लगी है। स्वच्छता अभियान में बिलासपुर का नाम राष्ट्रीय स्तर पर गर्व से लिया जाता है। राज्य बनने के बाद  बिलासपुर अपग्रेड हुआ है। प्रदेश में दूसरे बड़े शहर का दर्जा हासिल किया है।

                          मैने कही एक कांग्रेस नेता का बयान पढ़ा कि वे पचास पहले गोलबाजार में लगी चलने वाली चिमनी गायब हो गयी है। समझ में नहीं आ रहा है कि कांग्रेसी अपनी पिछड़ी मानसिकता को जनता पर क्यों थोपना चाहते हैं। शायद यही कारण है कि बिलासपुर को दूसरे स्थान पर आने मे समय लग गया। लेकिन सच्चाई यह भी है कि आज बिलासपुर की जनता ने कांंग्रेस को दूसरा तो दूर किसी स्थान के लायक नहींं छोड़ा है।

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