सीबीआई रिश्वतकांड: पद से नहीं हटाए गए अस्थाना-वर्मा, CVC जांच तक काम देखेंगे एम नागेश्वर राव

Shri Mi
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नईदिल्ली।सीबीआई रिश्वतकांड के बीच छुट्टी पर भेजे गए सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा फ़िलहाल अपने पद पर बने रहेंगे. वहीं रिश्वत मामले में जांच झेल रहे विशेष निदेशक राकेश अस्थाना भी अपने पद पर बने रहेंगे. गुरुवार को सीबीआई प्रवक्ता ने इस बात की जानकारी देते हुए कहा कि एम नागेश्वर राव तब तक सीबीआई निदेशक और विशेष निदेशक के कामकाज की निगरानी करेंगे जब तक की सीवीसी (केंद्रीय सतर्कता आयोग) मामले की जांच कर रही है.

             
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प्रतिष्ठित एजेंसी के भीतर की लड़ाई के बाद मोदी सरकार ने डैमेज कंट्रोल के तहत सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया था। इसके साथ ही एम. नागेश्वर राव को अंतरिम निदेशक की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके बाद आलोक वर्मा केंद्र के इस कदम के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। सुप्रीम कोर्ट ने आलोक वर्मा की याचिका को स्वीकार भी कर लिया है और इस पर शुक्रवार को सुनवाई होगी.

वहीं केंद्र सरकार ने बुधवार को दावा किया कि छुट्टी पर भेजे गए सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) का सहयोग नहीं कर रहे थे।

उन्हें (वर्मा को) छुट्टी पर भेजने के अपने फैसले का बचाव करते हुए सरकार ने कहा कि एजेंसी के वरिष्ठ पदाधिकारियों के खिलाफ ‘भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों’ की वजह से एक ‘असाधारण और अभूतपूर्व’ स्थिति बन गई थी. सीबीआई में गुटीय विवाद का माहौल अपने चरम पर पहुंच गया है, जिससे इस प्रमुख संस्था की विश्वसनीयता और प्रतिष्ठा को गहरा आघात पहुंचा जबकि इसके अलावा संगठन में कामकाज का माहौल भी दूषित हुआ है.

वहीं राकेश अस्थाना के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए गठित एसआईटी को लेकर सीबीाई ने भरोसा दिलाते हुए कहा कि मामले की जांच तेजी और निष्पक्ष तरीके से की जाएगी. एजेंसी ने कहा कि अस्थाना के खिलाफ रिश्वत के आरोपों की जांच के लिए विशेष जांच दल में अच्छी साख वाले अधिकारियों को शामिल किया गया है.

सीबीआई के एक प्रवक्ता ने बताया, ‘अस्थाना के खिलाफ रिश्वत मामले की हम तेजी से निष्पक्ष जांच कराने का प्रयास कर रहे हैं.’

वहीं सीबीआई प्रवक्ता ने सरकार और केंद्रीय सतर्कता आयोग के बयानों पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया कि सीबीआई के निदेशक पद से हटाए गए आलोक वर्मा भी सीवीसी के साथ सहयोग नहीं कर रहे थे.

बता दें कि केंद्र सरकार की तरफ से जारी एक लंबे बयान में कहा गया कि सीवीसी को 24 अगस्त 2018 को एक शिकायत मिली थी, जिसमें सीबीआई के वरिष्ठ अधिकारियों पर विभिन्न आरोप लगाए गए थे. सीवीसी ने सीवीसी अधिनियम, 2003 की धारा 11 के तहत 11 सितंबर को तीन नोटिस जारी कर सीबीआई निदेशक को आयोग के समक्ष 14 सितंबर को फाइलें और दस्तावेज उपलब्ध कराने को कहा था. इन दस्तावेजों को उपलब्ध कराने के लिए सीबीआई को विभिन्न मौके दिये गए और कई बार स्थगन के बाद सीबीआई ने आयोग को 24 सितंबर को आश्वासन दिया कि वह तीन हफ्तों के अंदर दस्तावेज मुहैया करा देगी.

बयान में कहा गया, ‘बार-बार आश्वासन देने और याद दिलाए जाने के बावजूद, सीबीआई निदेशक आयोग को दस्तावेज और फाइल उपलब्ध कराने में विफल रहे. सीवीसी ने कहा कि गंभीर आरोपों से जुड़े मामलों में आयोग द्वारा मांगे गए दस्तावेज उपलब्ध कराने में सीबीआई निदेशक सहयोग नहीं कर रहे थे.’

सीवीसी ने यह भी पाया कि सीबीआई निदेशक का रवैया जरूरतों/निर्देशों के अनुपालन को लेकर असहयोगजनक था और उन्होंने इरादतन आयोग की कार्यप्रणाली को बाधित करने की कोशिश की.

केंद्र सरकार ने अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा कि देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी की छवि को बचाने के लिए ऐसा करना जरूरी हो गया था. सरकार ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सीवीसी की सिफारिश के बाद केंद्र ने अधिकारियों को हटाने का फैसला किया है.

केंद्र ने कहा कि सीबीआई की ऐतिहासिक छवि रही है और उसकी ईमानदारी को बनाए रखने के लिए ऐसा करना जरूरी हो गया था. सीवीसी की अनुशंसा पर एक एसआईटी पूरे मामले की जांच करेगी. केंद्र ने यह भी साफ किया अगर अधिकारी निर्दोष होंगे तो उनकी वापसी हो जाएगी. बता दें कि केंद्र ने सख्त ऐक्शन लेते हुए सीबीआई चीफ आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया है.

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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