नई दिल्ली. स्कूलों में छोटे बच्चों की बढ़ते बस्ते के बोझ को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार ने सोमवार को अहम फैसला लिया. मानव संस्थान विकास मंत्रालय ने एक नोटिफिकेशन जारी कर कहा कि अब से सरकारी स्कूल की पहली और दूसरी कक्षा के छात्रों के होमवर्क नहीं दिया जाएगा. साथ ही बैग के वजन की सीमा भी निर्धारित की गई है. आधिकारिक आदेश के मुताबिक, एचआरडी मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से कहा कि पढ़ाने के तरीके और स्कूल बैग के वजन को कंट्रोल करने के लिए दिशानिर्देश तैयार करें.
आदेश के मुताबिक, पहली और दूसरी क्लास के बच्चों के बैग का वजन 1.5 किलो और तीसरी से पांचवी क्लास के बच्चों के बैग का वजन 2 से 3 किलो से ज्यादा नहीं होना चाहिए. दूसरी ओर छठी और सातवीं के छात्रों का बैग 4 किलो, जबकि आठवीं से नौवीं क्लास के छात्रों का स्कूल बैग 4.5 किलो से ज्यादा नहीं होना चाहिए. दसवीं के छात्रों के स्कूल बैग का वजन 5 किलो निर्धारित किया गया है.
Read More-राजेन्द्र ने की रिजर्व मशीन देखने की मांग…कहा दूर नहीं किया जा रहा शक…उप-निर्वाचन अधिकारी का दावा…मशीनें सुरक्षित
निर्देशों के मुताबिक, स्कूल दूसरी क्लास तक के बच्चों को होमवर्क भी नहीं दे सकेंगे. आदेश में कहा गया, ”पहली और दूसरी क्लास के लिए भाषा और गणित और तीसरी से पांचवी क्लास के लिए ईवीएस और मैथ के अलावा स्कूलों को कोई और विषय तय नहीं करना चाहिए.” इसके अलावा अतिरिक्त किताबें और सामग्री लाने के लिए भी मना किया गया है, ताकि बच्चे के स्कूल बैग का बजन तय सीमा से ज्यादा न हो.
Read More-प्राचार्या ने कहा…ईडली डोसा बनाने में फायदा…3 बच्चे स्कूल से बाहर..अभिभावक को दिखाई औकात..NSUI नेता भी अपमानित
1993 में यशपाल कमिटी ने भारी स्कूल बैग की समस्या पर सुझाव देकर कहा था कि किताबों को स्कूल प्रॉपर्टी मानना चाहिए. स्कूलों को बच्चों को लॉकर देना चाहिए. इसमें होम वर्क और क्लास वर्क के लिए अलग-अलग टाइमटेबल बनाने की बात कही गई थी, ताकि बच्चों को हर रोज वही किताबें स्कूल में न ले जानी पड़ें.
बेंगलुरु मिरर ने जुलाई 2017 में एक टेस्ट रन आयोजित किया था, जिसमें स्कूली बच्चों के बस्तों का वजन 11 किलो तक पाया गया.