रायपुर-छत्तीसगढ़ के नक्सल मुठभेड़ों में 200 से अधिक नक्सली मारे गए हैं. बस्तर के डीआईजी रतन लाल डांगी ने यह बात सोमवार को यह जानकारी दी. उन्होंने गणेश उइके के दिए आकड़ों को झूठा करार देते हुए बताया कि एक साल में लगभग 200 नक्सली मारे गए हैं. उनमें से 125 शवों को बरामद किया गया है. डीआईजी ने कहा कि कई नक्सलियों के शवों को उनके साथी ले जाने में कामयाब हो जाते हैं और दफना देते हैं, जिसका हिसाब नहीं है. इन एक साल में नक्सलियों को भारी नुकसान हुआ है. आगे भी नुकसान होगा, बस्तर में जल्द नक्सलवाद का खात्मा होगा.
उल्लेखनीय है कि दक्षिण सब जोनल ब्यूरो भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) प्रवक्ता गणेश उईके ने सोमवार को स्वीकार किया है कि इस वर्ष उनके 65 लड़ाके मुठभेड़ में मारे गए हैं. 26 नवंबर की तारीख में जारी एक पत्र में प्रवक्ता ने 2 से 8 दिसंबर तक पीएलजीए की स्थापना दिवस जोश खरोश से मनाने की अपील भी की है.
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गणेश के जारी पत्र के माध्यम से बताया है कि केंद्रीय कमेटी और पोलित ब्यूरो सदस्य अरविंद की गंभीर बीमारी के बाद 65 साल की उम्र में मौत हुई है. इसके अलावा तेलंगाना बॉर्डर तड़पाल में प्रभाकर सहित दरभा डिविजनल के पाली, सीनू, नंदू, साईंनाथ, लता, कैलाश मीना, रोशनी सहित 10 नक्सली मुठभेड़ में मारे गए हैं.
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इस तरह सितंबर 2017 से 2018 के बीच उनके 65 लड़ाके ढेर हुए हैं. मारे गए इन नक्सलियों में आयाम क्रांति, डोडी, बुधराम ओयाम, रुकनी, जैनी, ओयाम कामा, हिरदो भिमाल, वजाम हिड़मे, इसके अलावासोढ़ी सीताल, सोढ़ी लखपाल, उइके माड़ा, नुप्पो मुत्तल, दरभा डिविजनल के उधम सिंह, मरकाम सुकराम, ज्योति सहित अन्य हैं.गणेश उइके ने सालभर में मारे गए सभी नक्सलियों को शहीद करार दिया है. प्रवक्ता ने कई फर्जी मुठभेड़ फोर्स की ओर से किए जाने की बात लिखी है.
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मुठभेड़ों का जिक्र करते हुए प्रवक्ता ने आइपेंटा में 8, तिम्मेदम मुठभेड़ में 8 और कसानपुर मुठभेड़ में 40 नक्सलियों के मारे जाने की बात कबूल की है. साथ ही नुलकातोंग में 15 आम ग्रामीणों को फोर्स की ओर से मारे जाने का आरोप लगाया है. इसके अलावा प्रवक्ता ने 8 दिसंबर तक मुक्ति छापामार सेना की 18वीं स्थापना वर्षगांठ गांव-गांव, पंचायतों, एरिया, डिविजनल स्तर में मनाने की अपील की है.