कौन सच्चा..कौन झूठा…सीएसआईडीसी की जमीन पर झोलझाल…लीज पुट्टी प्लांट को…चल रहा टाइल्स का धंधा

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—छत्तीसगढ़ स्टेट इन्डस्ट्रीज डेवलपमेन्ट कार्पोरेशन यानि सीएसआईडीसी अधिकारियों की लंगड़ी चाल आम जनता की समझ से परे है। अधिकारियों और व्यापारियों के बीच फेविकोल जैसे लूट का अटूट रिश्ता है। शासन को फटका लगे तो लगे..लेकिन अधिकारियों का हर दिन दीवाली और हर दिन दशहरा है। नाक के नीचे नियम कायदों की धज्जियां उड़ायी जा रही है। जाहिर सी बात है कि लाखों करोड़ो के झोलझाल में अधिकारियों का हित होेने से इंकार नहीं किया जा सकता है।

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                           शासन ने स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार देने और उद्योगों को बढ़ावा देने कुछ नियम कायदें बनाए हैं। तिफरा और सिरगिट्टी क्षेत्र में उद्योग को बढ़ावा देने सैकड़ों-हजारों एकड़ जमीन को कब्जे में लेकर सीएसआईडीसी के हवाले किया है। शासन की तरफ से तिफरा और सिरगिट्टी क्षेत्र में मामूली कीमत पर जमीन देकर उद्योपतियों को व्यापार के लिए उत्साहित किया जा रहा है। लेकिन कई ऐसे उदाहरण हैं जहां सीएसआईडीसी के अधिकारी बेरोजगारों और शासन की हित से कहीं ज्यादा अपने हित को तवज्जों देने से बाज नहीं आ रहे हैं।

                                                                                                       सीएसआईडीसी कार्यालय से चन्द कदम दूर पेट्रोल पम्प के सामने संतोषा टाइल्स फर्म का संचालन किया जा रहा है। फर्म से रोजाना लाखों रुपए का व्यापार होता है। प्रदेश के कोने कोने में देशी विदेशी टाइल्स की सप्लाई होती है। मजेदार बात है कि जिस जगह से टाइल्स फर्म का संचालन किया जा रहा है। जमीन गीता इऩ्डस्ट्रीज को लीज पर दी गयी है। कम्पनी कोल ब्रेकेट्स बनाने का काम करती थी। आजकल उसी जमीन से सीएएसआईडीसी के बिना जानकारी में टाइल्स फर्म का संचालन किया जा रहा है। फर्म संचालक के अनुसार सीएसआईडीसी से अनुमति से फर्म का संचालन हो रहा है। लेकिन सीएसआईडीसी अधिकारी जानकारी होने से इंकार कर रहे हैं।

जमीन का लाखों रूपए किराया…नियमों की उड़ रही धज्जियां

                 सूत्रों की माने तो जिस जगह टाइल्स फर्म संचालित हो रहा है। सीएसआईडीसी ने उस जमीन को 99 साल के लीज पर कोल ब्रेकेट्स बनाने वाली गीता इन्डस्ट्रीज को दिया है। बाद में फर्म मालिक ने जमीन का गुपचुप सौदा, वाल पुट्टी बनाने वाले व्यवसायी से कर लिया। बताया जा रहा है कि नयी कम्पनी को सीएसआईडीसी से वालपुट्टी प्लान्ट लगाने की अनुमति भी मिल गयी है। लेकिन प्लास्टर ऑफ पेरिस का प्लान्ट लगाने वाले व्यवसायी ने बने बनाए कन्ट्रक्शन को टाइल्स फर्म संचालक को किराए पर दे दिया। जानकारी के अनुसार वाल पुट्टी प्लान्ट संचालक को टाइल्स संचालक से महीने में लाखों रूपए किराए में मिलता हैं। यानि जहां उद्योग लगना चाहिए था वहां निजी हितों को तवज्जों को देकर औद्योगिक नियमों और शासन के मंसूबों पर पानी फेरा जा रहा है।

शासन और बेरोजगारों से धोखा

                सीएसआईडीसी अधिकारियों ने व्यापारियों से मिलकर बेरोजगारों और शासन के साथ धोखा किया है। यह जानते हुए भी कि जिन उद्देश्यों को लेकर जमीन का आवंटन किया गया है। उसका पालन कराना सीएसआईडीसी की जिम्मेदारी है। बावजूद इसके अधिकारी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि बिना अधिकारियों की मिलीभगत से दूसरे मद की लीज वाली जमीन पर  टाइल्स फर्म का संचालन किराए पर किया जाना संभव नहीं है।

जानकारी नहीं…करेंगे कार्रवाई

                   जमीन टाइल्स फर्म का संचालन किया जा रहा है के सवाल पर सीएसआईडीसी अधिकारी ने बताया कि उन्हें इसकी जानकारी  नहीं है। जमीन गीता इन्ड्स्ट्रीज को 99 साल की लीज पर दिया गया है। चूंकि उसने काम बंद कर दिया है। इसलिए दूसरा अद्योगपति चाहता उस जमीन पर वालपुट्टी का प्लान्ट डालना चाहता है। हस्तांतरण की प्रक्रिया अभी होना बाकी है। जमीन से टाइल्स फर्म का संचालन नहीं किया जा सकता है।  उन्हें इसकी जानकारी नहीं है। गीता और अर्नव कम्पनी को नोटिस जारी किया जाएगा। संतोषप्रद जवाब नहीं मिलने पर लीज खत्म कर दिया जाएगा।

सीएसआईडीसी को जानकारी

         टाइल्स फर्म संचालक प्रणव पटेल ने बताया कि हम लोग अर्नव वाल पुट्टी कम्पनी संचालक से जमीन को किराए पर लिए हैं। इसकी जानकारी सीएसआईडीसी को है। फर्म पिछले दो साल से चला रहे हैं। हमारा व्यापार दूर-दूर तक फैला है। मामले में बेहतर जानकारी बड़े भाई साहब दे सकते हैं। क्योंकि उन्होने ही  डील किया है।

मिलकर दे रहे शासन और बेरोजगारों को धोखा

     बहरहाल आगे क्या कार्रवाई होती है..समय ही बताएगा। सच तो यह है कि क्षेत्र में कई ऐसे उदाहरण है..जिन्होने जमीन लीज पर तो ली. है..लेकिन फर्म नहीं लगाया है। जमीन किसी दूसरे को किराए पर देकर घर बैठे लाखों रूपए कमा रहे हैं। इससे शासन के उद्देश्यों को ना केवल झटका लग रहा है। बल्कि  बेरोजगारों के साथ छल भी हो रहा है। इसके लिए जिम्मेदार केवल और केवल सीएसआईडीसी कर्मचारी और व्यापारियों की मिलिभगत को जाता है। देखने वाली बात है कि कार्रवाई होती है या नहीं।

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