बिलासपुर—मच गया शोर सारी नगरी रे…..बिलासपुर में भी कन्हैया आला रे दिन भर गूंजा। देर शाम तक माखनचोर बनकर ग्वाल बाल की टीम जगह-जगह मटकी फोड़ प्रतियोगिता में शिरकत कर ना केवल जश्न मनाया। बल्कि अपनी गतिविधियों से शहर को बृन्दावन का स्वरूप दे दिया। बिलासपुर में ऐसी कोई भी गली नहीं दिखाई दी जहां दही हाण्डी प्रतियोगिता का आयोजन नहीं किया गया हो। सभी जगह ग्वाल बालों ने जान हथेली पर रखकर ना केवल मटकी फोड़ा बल्कि भगवान कृष्ण के , जड़ता पर जीवन्तता का संदेश जन-जन तक पहुंचाया।
बिलासपुर के हृदय स्थल गोलबाजार में हमेशा की तरह इस भार भी मटकी फोड़ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। प्रतियोगिता का आनंद उठाने पूरा शहर गोलबाजार में दिखाई दिया। जन सैलाब इतना कि सड़क पर कहीं भी पैर रखने का स्थान नहीं। भारी पुलिस व्यवस्था के बीच माखनचोर के भक्तों ने ना केवल मटकी फोड़ा बल्कि पूरे शहर को भाई चारे का संदेश भी दिया।
गोल बाजार में आयोजित दही हाण्डी का जश्न देखने ही लायक था। प्रतिरोध के बाद भी ग्वालों ने ऊंचाई पर पहुंचने का प्रयास किया। हर असफलता ने उनमें नए जोश का संचार किया। इसे मौके पर जांति पांति का भेद कहीं भी नजर नहीं आया। सभी लोग एक रंग में नजर आए। अमीरी गरीबी की भावना तो जैसे कहीं छूमंतर हो गयी थी। माखनचोरों में जमकर इनाम की भी वर्षा हुई।
दिन भर शहर का माहौल कृष्णमय था। बच्चों ने बालकृष्ण बनकर लोगों का जमकर मनोरंजन किया। बाल कृष्णों ने अपने मधुर मुस्कान से लोगों के बीच जड़ता पर मानवता का संदेश दिया। बच्चों के सिर पर सजा मोर पंख देखने ही लायक था। हांथ की बांसुरी ने फिजाओं में मधुरस घोलने का काम किया।
शहर कई जगह कृष्णलीला का भी आयोजन किया गया। सभी मंच से मानव धर्म और समरसता का संदेश दिया गया। इतना ही नहीं लोगों ने इस मौके पर खुशहाल भारत और मुस्कान भारत बनाने का संकल्प लिया। इस बात को ध्यान में रखते हुए कि बेशक हम किसी भी धर्म और मजहब से हों लेकिन हमारी जरूरतों के साथ तनाव भरे जीवन से छुटकारा पाने और मानव धर्म को नजदीक से पहचानने का सही अर्थों में कृष्णाजन्माष्टमी सबसे बड़ा उत्सव है। इसमें स्वतंत्रता है, उन्मुक्त जीवन के साथ विपरीत परिस्थितियों में आकाश की ऊंचाइयों को मुठ्ठी में बंद करने का संदेश भी है। जैसा कि ग्वाल बालों ने आज आकाश की ऊचाईं को नापते हुए दही हाण्डी को फोड़ा।