रवि की कठोर खजुराहों फिल्म फेस्टिवल में शामिल…क्रिटिक करेंगे समीक्षा…देखेंगे नीलकंठ बनने की कठोर कहानी

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—कुछ तो रही होगी मजबूरी..यूं ही कोई बेवफा नहीं होता...मुकम्मल शेर है…। फिल्म कठोर देखने के बाद शेर के वजन को महसूस किया जा सकता है। पत्रकार रवि शुक्ला की फिल्म कठोर निश्चित रूप हिन्दी फिल्म जगत में मील का पत्थर साबित होगा। खासतौर पर छत्तीसगढ़  में कठोर को ट्रैंड चैंजर के रूप में देखा जा रहा है। रवि शुक्ला ने निश्चित रूप से साहसी और जोखिम भरा कदम उठाया है। लेकिन यह भी सच है..कि जोखिम उठाने वालों का ही सफलता वरण करती है। रवि शुक्ला पत्रकार हैं..उनमें रिस्क के साथ स्क्रिप्ट को असरदार बनाने की काबिलियत है। यही कारण है कि  क्षेत्रीय स्तर पर खासकर प्रदेश में कठोर पहली सार्थक फिल्म बनती नजर आती है। करण कश्यप का सशक्त निर्देशन और काबिल अभिनेता ललित परिमू का अभिनय दिल को छूने वाला है।
                         मुम्बइया मसाला से दूर विशुद्ध छत्तीसगढ़ की हिन्दी फिल्म ‘कठोर ’ को देश में काफी सराहना मिल रही है। देश दुनिया के क्रिटिक ने ललित परिमू के अभिनय, करण कश्यप के सशक्त निर्देशन और पत्रकार से फिल्म निर्माता बने रवि शुक्ला के प्रयासों की जमकर तारीफ की है। कई मंचों से तारीफ समेटने के बाद फिल्म कठोर को अब 19 दिसम्बर को खजुराहो  फिल्म फेस्टिवल में देखा जाएगा। फिल्म में वालीवुड अभिनेता ललित परिमू का लाजबाब अभिनय ने दर्शकों को झकझोर कर रख दिया है। फिल्म की कहानी हालात के हाथों मजबूर ललित परिमू के ईर्द गिर्द घूमती है। बेबस, लाचार, मजबूर पिता और आज्ञाकारी पुलिस जवान की भूमिका में ललित परिमू ने किरदार के साथ न्याय किया है। क्षेत्रीय कलाकारों की भूमिका भी काबिल-ए-तारीफ है। क्रिटिक का मानना है कि कठोर फिल्म ने छत्तीसगढ़ी फिल्म जगत के लिए ऐसा रास्ता गढ़ दिया है..जो मनोरंजन जगत के राष्ट्रीय कैनवास को ना केवल चुनौती देता है। बल्कि सोचने को मजबूर करता है कि क्षेत्रीय सिनेमा मुम्बई या लासएंजेल्स की  चुनौतियों का सामना करने को पूरी तरह तैयार है।
                   कठोर फिल्म नक्सली क्षेत्र में बसे एक खुशहाल परिवार की कहानी है। जाहिर सी बात है कि यह फिल्म नक्सल समस्याग्रस्त राज्य छत्तीसगढ़ के तानेबाने में बुना गया है। बेशक राज्य नक्सल समस्या से ग्रस्त हो…लेकिन यहां के लोगों का मूल स्वभाव अमन पसंद का है। फिल्म कठोर का नायक नीलकंठ भी कुछ ऐसा ही है। पुलिस नौकरी के साथ वह अपनी पत्नी और बच्ची के बीच सुखभरी जिन्दगी जीता है। कहानी का ताना बाना कुछ ऐसा है कि पूरे समय दर्शकों को अहसास करता है कि कहानी रील की नहीं बल्कि रीयल की है। हालात कैसे बदलते हैं…अच्छी खासी जिन्दगी बेपटरी कैसे होती है…हसंता गाता परिवार कैसे विखरता है।  फिल्म कठोर की यही कहानी है।
                          फिल्म कठोर छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि हिन्दी फिल्म जगत की ऐसी पहली फिल्म है जिसे 24 घण्टों में लगातार 8 शो चलने का रूतबा हासिल है। यदि यह रिकार्ड गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल हो जाए तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी।
           फिल्म कठोर एक सामान्य इंसान के कर्तव्य और भावनाओं के बीच अन्तरद्वन्द्व की कहानी है। एक सीधे सादे पारिवारिक और कर्तव्य से बंधे इंसान की कठोर बनने की कहानी है। दर्शकों की भावनाओं को झकझोरती फिल्म में पीड़ा और उहाफोह को बहुत ही गंभीरता से पेश किया गया है। करण कश्यप के निर्देशन और ललित परिमू के अभिनय दर्शकों के मन को अन्दर तक द्रवित कर देता है।
                    फ़िल्म की कहानी सेंट्रल जेल से है। अधेड़ नीलकंठ चतुर्वेदी दो साल बाद रिटायर होने वाला है। वह सेन्ट्रल जेल में खुंखार अपराधियों की खानपान का ध्यान रखता है। इसी बीच  ला़ड़ली बेटी की सगाई होती है। लेकिन एक नक्सली हमले में डोली उठने से पहले बेटी की अर्थी उठती है। नीलकंठ बदले की आग में जलने लगता है। इत्तफाक है कि जिस नक्सली ने नीलकंठ की बेटी को मौत की नींद सुलाया। गिरफ्तारी के बाद उसी की खान पान की जिम्मेदारी दी जाती है। बावजूद इसके बदले की भावना को भूलकर नीलकंठ अपना फर्ज निभाता है। रोजाना जहर की घूंट पीता है।
                          नीलकंठ की पत्नी को जानकारी मिलती है कि बेटी की हत्यारे की सेवा नीलकंठ कर रहा है…नीलकंठ की पत्नी आपा खो देती है। धिक्कारने के बाद घर भी छोड़ देती है। फिर  शुरू होती है कठोर नीलकंठ बनने की कहानी…जो बेटी की मरने का दुख..पत्नी का घर छोड़ने की पीड़ा..और फर्ज के हाथों मजबूरी में कड़वे घूंट पीने की। इसके बाद क्या कुछ होता है..जानने के लिए सबको कठोर होकर कठोर को देखना ही पड़ेगा।इसके बाद ही फैसला होगा कि नीलकंठ की ऐसी कौन से मजबूरी थी कि उसे फर्ज से बेवफा होना पड़ा। 19 दिसम्बर को खजुराहो फिल्म फेस्टिवल में कठोर को  दिखाया जाएगा। इस दौरान देश के नामचिन क्रिटिक कठोर फिल्म  की समीक्षा  करेंंगे।
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