जब सांसद साहू ने कहा..बोलने का अवसर नहीं मिलता…पेश किया लेखा जोखा…बताया..छत्तीसगढ़ी भाषा के लिए किया प्रयास

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—विचार मंच की 131 वी  गोष्ठी में बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र के सांसद लखनलाल साहू ने रविवार को आमजन के सामने अपने कार्यकाल का लेखा जोखा पेश किया। साथ अपनी संसदीय काल के अनुभवों को भी साझा किया। कार्यक्रम का आयोजन पुराना बस स्टैण्ड के पास स्थित राष्ट्रीय पाठशाला में विचार मच के बैनर तले किया गया। इस दौरान शहर के सुधिजन भी मौजूद थे।

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सुधिजनों के सामने सांंसद लखनलाल साहू ने बताया कि मुझे अपने जीवन के पहली बार ही लोकसभा चुनाव में सांसद बनने का अवसर मिला। संसद पहुंचने के पहले और बाद में महसूस किया कि उनके पास अनुभव की कमी है। फिर भी काम सीखना कठिन नहीं था। लगातार उपस्थित रहक लोकसभा की कार्यवाही को समझने का मौका मिला। संसदीय कार्यवाही में सक्रियता बढ़ी और सांसद के रूप में चौतरफा काम करने का अवसर मिला।

आकांक्षाएं अलग-अलग
लखनलाल ने बताया कि लोगों की आकांक्षाएँ अलग होती हैं। सांसद का काम बड़े स्तर का होता है। जनता यदि नाली, पानी, बिजली जैसी समस्याओं के समाधान की आशा सांसद से उम्मीद करती है तो उसे निराशा होगी। हम क्या कर सकते हैं…कागज को आगे बढ़ा देंगे… क्योंकि ये काम स्थानीय निकाय के होते हैं। सांसद वह काम करते हैं जिनसे आमजन के जीवन में बड़ा परिवर्तन आए। नयी रेल लाइनों का निर्माण, राजमार्ग की सड़कों का निर्माण जैसे कामों के लिए लगातार कोशिश की। पत्राचार किया, संबंधित मंत्रालय से संपर्क किया। नागरिकों की समस्या समाधान के प्रयास किये। जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आए भी हैं।
बोलने का मौका नहीं मिला
सासंद साहू ने बताया कि ऐसा कई बार होता है कि जनता सोचती है कि हमने उनकी आवाज़ को संसद में नहीं उठाई।  सच तो यह है कि हमें बोलने का अवसर नहीं मिलता। रेल बजट के समय मुझे सचेतक का निर्देश था कि मुझे बोलना है, रात भर तैयारी की। अगले दिन रेल बजट रात ग्यारह बजे तक चला लेकिन मुझे बोलने का मौका नहीं मिला। मैंने शिकायत की लेकिन आश्वासन मिला कि इस बार समय नहीं था, फिर कभी मौका देंगे। मुझे बहत दुख हुआ, बहुत पीड़ा होती है ऐसे में।
सांसदों की संख्या बहुत
                      लखनलाल ने कार्यक्रम में बताया कि असल में सांसदों की संख्या बहुत अधिक है। आमतौर पर संसद में उनको बोलने का अधिक मौका मिलता है जो कई बार के सांसद हैं। या फिर विषय-विशेष के एक्सपर्ट होते हैं। नए सांसद मुंह ताकते रह जाते हैं। उन्होने बताया कि सदन के अंदर पार्टी का सांसद होने के कारण पार्टी के निर्देशों का पालन करना होता है। निर्देशों के अनुसार वोट डालना होता है।  मन की बात मन में रह जाती है। इन्ही वजहों से वहाँ सहभागिता नहीं हो पाती।
नकारात्मक खबर से निराशा

काम इतना रहता है कि हम ठीक से सो नहीं पाते, हमारे बच्चे का जन्मदिन हमारी गैरहाजिरी में हो जाता है। लेकिन सोशल मीडिया में हमारे विरुद्ध ऐसी बातें प्रचारित की जाती हैं, जैसे हम कुछ नहीं करते। इस प्रकार के आक्षेपों से दुख होता है। काम करने की ललक कम हो जाती है। मैं भी मानव हूँ, अच्छे काम की तारीफ भी होनी चाहिए। इसलिए मानसिकता में बदलाव ज़रूरी है।

संवैधानिक मान्यता के लिए प्रयास
सांसद लखनलाल साहू ने बताया कि छत्तीसगढ़ी भाषा को संवैधानिक मान्यता मिलने और आठवी सूची में जोड़ने के लिए मैंने छत्तीसगढ़ी भाषा में लोकसभा में आवाज़ उठाई। जिसका बहुत स्वागत हुआ। छत्तीसगढ़ी भाषा का मामला केवल मेरे क्षेत्र का नहीं था, पूरे प्रदेश का है।

मुंगेली क्षेत्र को रेल मार्ग से जोड़ने के लिए लगातार कोशिशें हुई। परिणामस्वरूप 272 किलोमीटर रेल लाइन बिछाने का काम स्वीकृत हुआ। बिलासपुर को स्मार्ट सिटी घोषित कराने, हवाई सेवा आरंभ कराने, बिलासपुर रायपुर सड़क मार्ग के काम को गति देने और अन्य राष्ट्रीय के साथ राज्य मार्गों के निर्माण में सक्रिय रूप से सांसद होने की भूमिका निभाई।

फिर हुआ सवाल जवाब
प्रश्नोत्तर काल में राधेश्याम दुबे, राजेश अग्रवाल, राजेश दुआ ने प्रश्न किए। सांसद ने बारी बारी से सबका जवाब दिया। कार्यक्रम में बैंक अधिकारी संघ के अध्यक्ष और उनके साथियों ने बैंक अधिकारियों की समस्या से सासंद को अवगत कराया। उनकी आवाज को प्रधान मंत्री तक बात पहुँचाने का आग्रह किया। सांसद लखनलाल साहू का स्वागत राजेंद्र अग्रवाल ने किया। स्मृति भेंट पत्रकार राजेश अग्रवाल ने भेंट किया। राष्ट्रीय पाठशाला में आयोजित रोचक कार्यक्रम में अनेक जागरूक नागरिकों ने भाग लिया।
अमर अग्रवाल देंगे हिसाब

विचार मंच के समन्वयक और लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकार द्वारिका प्रसाद अग्रवाल ने बताया कि इस दौरान निर्वाचित प्रतिनिधि को आमजन के समक्ष अपनी बात को प्रस्तुत करने भरपूर मौका मिला। उपस्थित लोगों ने आमजन और जनप्रतिनिधि के मध्य वार्तालाप के प्रयास को पसंद भी किया। कार्यक्रम के दौरान किसी भी राजनैतिक दल या नेता के नाम का ज़िक्र नहीं किया गया। द्वारिका प्रसाद ने बताया कि कार्यक्रम की दूसरी कड़ी में भाजपा के कद्दावर नेता और प्रदेश के पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल विचार मंच से अपने कार्यकाल के कामकाज का लेखा जोखा पेश करेंगे।

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