अजीत जोगी बोले – दस दिन में ही दिखा दिया, सरकार की कर्ज़ माफी नीति और नीयत दोनों में खोट

Shri Mi
7 Min Read

रायपुर।भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के दौरान प्रदेश के 70 लाख किसानों का मुख्यमंत्री के शपथ लेने के 10 दिनो के सम्पूर्ण कर्ज माफ भीतर करने का घोषणा करी थी। आज मुख्यमंत्री के 10 दिनका कार्यकाल समाप्त होने जा रहा है। इन दस दिनों में उनकी सरकार द्वारा 21 दिसम्बर को किसानों की ऋण माफी का एक तथाकथित आदेश पारित किया गया।

Join Our WhatsApp Group Join Now

इस आदेश की कण्डिका 4 में स्पष्ट रुप से उल्लेखित है कि (1) किसानो के मध्यकालीन और दीर्घकालीन ऋणमाफ नहीं होंगे। (2) आर.बी.आई. द्वारा संचालित बैंकों से लिए गए ऋण भी माफ नहीं होंगे। (3) निजी वित्तीय और गैर-वित्तीय (कार्पोरेट, ट्रस्ट, पार्टनरशीप) संस्थाओं से लिए गए कर्जे भी माफ नहीं होंगे। (4) किसानो द्वारा गिरवी रखी गई चल एवं अचल संपत्ति के विरुद्ध लिए गएकर्ज भी माफ नहीं होंगे।

स्पष्ट रुप से दिख रहा है कि तथाकथित ऋण माफी के उक्त आदेश में केवल 2018-19 में किसानों द्वारा खाद, बीज और कीटनाशक के विरुद्ध सहकारिता संस्थाओं से लिए गए अल्पकालीन-लघु ऋण ही माफ किये जायेंगे। इस प्रकार का आदेश पारित करके सरकार ने छत्तीसगढ़ के70 लाख किसानों की आंखों में धूल झोंकने का काम किया है।

यह पहली बार नहीं है कि कांग्रेस की सरकार ने वादा खिलाफी करके किसानों के साथ छलावा किया है। इसके पहले पंजाब और कर्नाटक में भी कांग्रेस ने किसानों को धोखा दिया है। पंजाब में कांग्रेस अध्यक्ष ने सरकार बनने के 10 दिनो के अंदर प्रदेश के किसानों का 2 लाख तक के कर्जमाफी की घोषणा करी थी। इसके लिए 90 हजार करोड़ रुपये की आवश्यकता के विरुद्ध अब तक केवल 3 हजार करोड़ (20 प्रतिशत) का ही वित्तीय प्रावधान किया गया है।

इसी प्रकार कर्नाटक में कर्जमाफी करने के लिए 45 हजार करोड़ रुपये की आवश्यकता के विरुद्ध अब तक मात्र 75 करोड़ ही किसानो में बंट पाया है क्योंकि कर्जमाफी के लिए सरकार ने 52 बिन्दुओं की पात्रता शर्तें रख डाली है जिसके चलते कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष की कर्जमाफी घोषणा करने के बाद कर्नाटक के 394 किसानों ने कर्जमाफी आवेदन निरस्त होने के कारण आत्महत्या कर ली है। इसप्रकार कांग्रेस की कर्जमाफी घोषणा के बाद प्रतिदिन औसतन 2 किसान आत्महत्या कर रहे है।

छत्तीसगढ़ में विगत 3 वर्षो से लगातार अकाल की मार झेल रहे किसानों का पिछले 3 वर्षो में ही करीब 40 हजार करोड़ रुपये कर्जा बक़ाया हो गया है। कर्ज न पटा पाने के कारण प्रदेश के लगभग 3 हजार किसानों ने आत्महत्या करी।

स्वयं कांग्रेस पार्टी के द्वारा गठित किये गएविभिन्न जांच दलों ने पाया कि किसानों ने लघु सहकारिता बैंको से लिए अल्पकालीन कर्जे के कारण नहीं बल्कि कण्डिका 4 में जिन चार श्रेणियों के कर्जे माफी नहीं करने का स्पष्ट रुप से आदेश दिया गया है, उनके कारण ही आत्महत्या करी है।

प्रदेश के किसानो को इस सरकार केपहले 10 दिनों में ही उसकी नियत और नीति, दोनो में खोट स्पष्ट रुप से दिखने लगा है। जिस आदेश को पारित करने सरकार एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष ट्वीट करके खुद की पीठ थपथपा रहें है, उस आदेश से प्रदेश के किसानों को अच्छे से समझ में आ गया है कि सम्पूर्ण कर्जमाफी का वादा करने वाली ये सरकार ने सबसे पहले उनका 90 प्रतिशत कर्जा माफ नहीं करने का आदेश पारित कर दिया है।

जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) मांग करती है कि सरकार द्वारा पारित कर्जामाफी आदेश की कण्डिका 4 में अंकित चारों वर्गो के कर्जे माफी को सम्मिलित करने के उद्देश से इस विधानसभा के प्रथम सत्र में ही आवश्यकता के अनुरुप कम से कम 40 हजार करोड़ का विशेष ‘‘कर्जमाफीबजट’’ पारित किया जावे।

ताकि किसानों के मध्यकालीन, दीर्घकालीन, आर.बी.आई. द्वारा नियंत्रित बैंको से, निजी वित्तीय और गैर-वित्तीय संस्थाएं से और गिरवी रखी चल और अचल संपत्ति के विरुद्ध लिए गए समस्त प्रकार के कर्ज माफ किये जा सके। हम पंजाब और कर्नाटकजैसे वादा खिलाफी छत्तीसगढ़ के किसानों के साथ कदापि बरदास्त नहीं करेंगे। प्रदेश के मुख्यमंत्री को मंत्रियों के विभागों का बंदर बाट करने के बजाय किसानों की ऋणमाफी के लिए राशि बांटने में ज्यादा ध्यान देना चाहिए।

साथ ही जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) मांग करती है कि पिछले 4 वर्षो से ‘मौसम आधारित फसल बीमा योजना’ के तहत किसानों के खाते से जो जबरिया बीमा के नाम पर 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक प्रीमियम राशि काटकर 7 निजी बीमा कम्पनियों को दी गई थी, उसके विरुद्ध तत्काल किसानों को 15000 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से सूखा राहत मुआवजा दिया जावे। इसका अलग से प्रावधान भी उपरोक्त विशेष बजट में रखा जावे।

जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) को यह अहसास है कि 15 साल से राज करने वाली भारतीय जनता पार्टी को 15 सीट पर लाने वाले जनादेश के बाद भाजपा कोमा में चली गई है और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के गठबंधन को 7 विधायक और 14 प्रतिशत वोट देकर 82 वर्ष बादपहली बार क्षेत्रीय दल को मान्यता प्रदान करके, प्रदेश की जनता हमसे मज़बूत विपक्ष की भूमिका निभाने की अपेक्षा करती है।

इस नाते सरकार की वादा खिलाफी के विरोध में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) सरकार के तथाकथित कर्ज माफ़ी के उक्त आदेश की वास्तविकता, उसकीप्रतियां गांव-गांव में जलाकर, प्रदेश के किसानों तक पहुँचाएगी। हम कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री राहुल गांधी को यह भी स्मरण दिलाना चाहेंगे कि उन्होने कहा था कि मुख्यमंत्री के शपथ के 10 दिन में अगर सम्पूर्ण कर्जमाफी नहीं होती है तो प्रदेश के मुख्यमंत्री को ही बदल देंगे।

By Shri Mi
Follow:
पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
close