दिल्ली हाई कोर्ट से राकेश अस्थाना,देवेन्द्र कुमार को झटका, एफआईआर रद्द करने की मांग खारिज

Shri Mi
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Cbi, Cbi Vs Cbi, Alok Verma, Cca, Cabinet, Central Bureau Of Investigation, Modi Govt, Rakesh Asthana, Moin Kuraishi, Vijay Malya, Karti Chidambaram, Laloo Prasad Yadav, Fodder Scam, Robert Vadra, Aircel Maxis Scam, Upa Scam,नई दिल्ली-दिल्ली हाई कोर्ट से सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना ,डीएसपी देवेंद्र कुमार को झटका लगा है. कोर्ट ने इन दोनों के अलावा बिचौलिए मनोज प्रसाद की अर्ज़ी को खारिज कर दिया है, जिसमे उन्होंने अपने खिलाफ दायर एफआईआर को रद्द करने की मांग की थी. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अस्थाना पर घूसखोरी, वसूली जैसे आरोप लगे हैं, इसके चलते उन्हें प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के सेक्शन 17 ए के तहत सरंक्षण हासिल नहीं है. कोर्ट ने अपने लिखित आदेश में गिरफ्तारी पर लगी रोक को बढ़ाने से इंकार कर दिया था, लेकिन बाद में राकेश अस्थाना के वकील ने कोर्ट से अंतरिम राहत जारी रखने की मांग की तो जज ने मौखिक तौर पर कहा – दो हफ़्ते तक यथास्थिति कायम रहेंगी. यानि अभी दो हफ़्ते तक अस्थाना की गिरफ्तारी होने की संभावना नहीं है. सीजीवालडॉटकॉम के whatsapp ग्रुप से जुडने के लिए यहाँ क्लिक करे

             
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 क्या है पूरा मामला

दरअसल हैदराबाद के कारोबारी सतीश सना ने शिकायत में कहा था कि मीट कारोबारी मोइन कुरैशी से जुड़े एक मामले में राहत पाने के लिए राकेश अस्थाना और देवेंद्र कुमार ने उनसे दो करोड़ की रिश्वत की मांग की थी. इसके बाद अस्थाना के खिलाफ 15 अक्टूबर को एफआईआर दर्ज़ की गई थी. अस्थाना का कहना था कि आलोक वर्मा के इशारे पर दुर्भावना से ये FIR दर्ज़ की गई थी. हालाकि इसके अलावा ख़ुद अस्थाना ने कैबिनेट सेक्रेटरी को की गई शिकायत में आरोप लगाया था कि सना ने आलोक वर्मा को दो करोड़ की रिश्वत दी थी.

राकेश अस्थाना की दलील
राकेश अस्थाना ओर से पूर्व एडिशनल सॉलिसीटर जनरल अमरेन्द्र शरण पेश हुए. उन्‍होंने दलील दी-

  • प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के सेक्शन 17 A के तहत किसी अधिकारी के खिलाफ एक्शन लेने के लिए पहले से इजाजत लेना जरूरी है. इस मामले में ऐसा नहीं हुआ.
  • सीवीसी ने उनके खिलाफ किसी भी कार्रवाई से इंकार किया था, इसके बावजूद उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज़ की गई.

सीबीआई की दलील

सीबीआई की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसीटर जनरल बिक्रमजीत चौधरी का कहना था कि एफआईआर दर्ज करने से पहले इस मामले में सरकार की अनुमति की ज़रूरत नहीं थी. एफआईआर दर्ज़ करने से पहले क़ानूनी राय ली गई और प्रकिया का पालन किया गया.

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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