बैंकिंग साइबर क्राइम पर चिंतन…बैंकरों ने कहा..टीटीपी से बढ़ेगा बोझ..अपराध से बचने..सावधान रहें ग्राहक

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—बैंक और सायबर के बीच में गहरा नाता है। साइबर क्राइम रोकने बैंकर्स क्लब ने एक कार्यशाला का आयोजन कर जनता को जागरूक रहने को कहा। बैंकर्स क्लब समन्वयक ललित अग्रवाल ने बताया कि जालसाजों से सावधान रहने की जरूरत है। एटीएम कार्ड बदल कर या फिर टेलीफोन पर झांसा देकर ठगी की जा रही है। ऐसे धोखेबाजों से हर व्यक्ति को बचकर रहना होगा।
             बैंकर्स क्लब के सहयोग से साइबर क्राइम को लेकर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस दौरान बैंकिंग क्षेत्र में साइबर अपराध को लेकर लोगों ने अपनी बातों को सबके सामने रखा। बैंकर्स क्लब संगठन के समन्वयक ललित अग्रवाल ने बताया कि धोखाधड़ी की बढ़ती घटनाओं से जनता में भय का वातावरण हैं। सावधानी रखने के साथ लोगों को जागरूक करने बैंकर्स क्लब ने कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। तमाम सावधानियों के बावजूद हर बार  जालसाज कामयाब हो जाता है। जनता को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
               ललित अग्रवाल ने बताया कि ठगी के नित नये नये तरीके अपनाए रहे हैं। इसलिए हमें अब अतिरिक्त जागरूकता की जरूरत है। बैंकों के प्रत्येक शाखा में यू वी लैम्प का इस्तेमाल अवश्य करे। बड़ी राशि के भुगतान में व्यक्तिगत रूप से दूरभाष पर पुष्टि अवश्य करे। आते जाते एटीएम की मशीन के आसपास अवांछित चीजो की जांच करे। ललित ने जानकारी दी कि सामान्यतः ऑन लाईन पेमेंट के समय कुछ बातों पर ध्यान रखा जाए। जैसे एटीएम/डेबिट/क्रेडिट कार्ड पर प्रिंट 16 अंक प्रविष्ट करना, 3 अंको की सीवीवी प्रविष्ट करना,  4 अंको का पासवर्ड डालना, मोबाईल पर आये ओटीपी दर्ज करने पर ही ऑन लाईन पेमेंट प्रक्रिया पूर्ण होती हैं। ग्राहक को खाता डेबिट होने का एसएमएस आता हैं।
                          हैकर्स या फ्राड करने वालो का ग्रुप किसी प्रलोभन का लालच देकर  बातों में उलझा कर उपरोक्त समस्त जानकारी  हासिल कर लेते हैं। रूपयों को बैंक खाता निकाल लेते हैं। इसलिए ऐसे किसी भी प्रकार के प्रलोभन से दूर रहे। अपने दिल और दिमाग में मनन करे कि कोई भी आपको अनावश्यक छूट क्यो देना चाहता हैं।  हमेशा याद रखे कि कोई भी बैंक कभी भी एटीएम/डेबिट/क्रेडिट कार्ड के बारे में फोन नहीं करता हैं। कभी भी गलतफहमी में ना आये।
सदैव सिक्योर्ड साइट  का ही इस्तेमाल करे।
            यदि आम जनता सुरक्षा के उपायों का इस्तेमाल करती है तो बढ़ते सायबर क्राइम पर रोक लगाई जा सकती हैं। इस दौरान कुछ सदस्यों ने सलाह दी कि आम जनता की मांग पर बैंकिंग में ओटीपी  (वन टाईम पास वर्ड) के बजाय टीटीपी ( टू टाईम पासवर्ड ) की व्यवस्था की जाए। ओटीपी की तरह पूरी प्रकिया पूर्ण होने के बाद और ट्रांजक्शन होने के पहले ग्राहक को सूचना मिले कि जिसमे हितग्राही का नाम, पता/लोकेशन, ट्रांजेक्शन का कारण, अंको और शब्दो मे राशि का विवरण हो। जानकारी से सन्तुष्ट होने पर ग्राहक बैंकिंग सिस्टम को हाँ/नहीं का एसएमएस करे। “हां” का एसएमएस मिलने के बाद ही ग्राहक को ट्रांजेक्शन पूर्ण करने के लिए दूसरा ओटीपी दिया जाए। इसके बाद ही ट्रान्जेक्शन पूर्ण हो। शायद ऐसा करने से बैंकिंग जालसाजी पर रोक लगाई जा सके।
              ललित ने बताया कि टीटीपी लागू करने पर बैंको और ग्राहकों पर अतिरिक्त समय के साथ शुल्क का भार पड़ेगा।  हो सकता हैं जालसाजों की लच्छेदार बातों में फंसाकर लोगों भ्रमित कर दें। जरूरी यह हैं कि इस बात को गांठ बांध ले कि कोई भी बैंक कभी भी फोन नही करता। कार्यशाला में बैंकर्स क्लब के सक्रिय सदस्यो ने कोलकाता ट्रान्सफर होने के साथ मुख्य प्रबंधक बनाए जाने पर भावपूर्ण विदाई दी ।
              कार्यशाला में ललित अग्रवाल, अनूप साहू, प्रदीप महानन्द, कैलाश अग्रवाल, रवि पटनायक, गौरव शर्मा, सुभाष कुमार, पिंटू कुमार,हरनीत सिंह, राहुल परिहार, सुजीत मंडल, कुमारिल आदित्य, अशोक सिंह, मनीषा कायम, श्वेता तिग्गा, नीतिश्री साहू, शायरी सुमन, विश्वजीत भौमिक, बॉबी बक्सी समेत बड़ी सँख्या में  बैंकर्स और ग्राहक मौजूद थे।
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