बिलासपुर—जनता कांग्रेस नेता मणिशंकर पाण्डेय ने सिम्स आगजनी में प्रबंधन की लापरवाही का आरोप लगाया है। मणिशंकर पाण्डेय ने कहा कि सिम्स अव्यस्था का दूसरा नाम है। नवजात बच्ची की मौत के कारणों की जांच होनी चाहिए। डॉक्टरों का कहना है कि बेबी तारीणी की मौत सेप्टीसिमिया से हुई है। लेकिन हमारी मांग है कि मृत बच्ची को रायपुर स्थित रिसर्च सेन्टर के हवाले किया जाएगा। इसके बाद मालूम हो जाएगा कि उसकी मौत धुआं के घुटन से हुई है। या किसी गंभीर बीमारी से उसने दम तोड़ा है। पाण्डेय ने बताया कि सिम्स में ऊपर से लेकर नीचे तक भ्रष्टाचार हो रहा है। जिस स्थान पर जनरेटर वायरिंग में हादसा होना बताया जा रहा है…सवाल उठता है कि उस समय जनरेटर आपरेटर कहां था। यदि इसकी व्यवस्था नहीं है तो जवाबदेही तय की जाए।
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एक्टिविस्ट और जनता कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता मणिशंकर पाण्डेय ने बताया कि सिम्स का दूसरा नाम अव्यवस्था है। आगजनी समेत अन्य गंभीर प्रकार का हादसा सिम्स के लिए नया नहीं है। एनआईसीयू में आगजनी के बाद धुआं भर गया। नवजात बच्चों को बचाते हुए तीन लोग गंभीर रूप से बीमार हो गए। तीनों का इलाज आफ रिकार्ड सिम्स में किया जा रहा है। समझने वाली बात है कि जब तीन गैर सरकारी बहादुरों ने बच्चों को बचाया तो उनका नाम आन रिकार्ड क्यों नहीं किया जा रहा है। इससे जाहिर होता है कि दाल में कुछ काला है। जाहिर यह भी होता है कि आपदा स्थिति में सिम्स में किसी प्रकार की सुरक्षा उपाय नहीं है। अभी तक तीनों का नाम उजागर नहीं किया गया है।
प्रेस नोट जारी कर मणिशंकर ने कहा कि ठीक आगजनी के समय एक बच्ची की मौत और प्रबंधन का कहना कि बेबी तारीणी को सेप्टिसिमिया हो गया था। यदि दावे में सच्चाई है तो उसके शव को रिसर्च सेन्टर के हवाले किया जाए। रिपोर्ट आने के बाद दूध और पानी होने का पता चल जाएगा। यदि सिम्स प्रबंधन ने घटना को दबाने का प्रयास किया गया तो ना केवल उग्र आंदोलन किया जाएगा। बल्कि मामले को कोर्ट तक घसीटा जाएगा। पाण्डेय ने कहा कि सिम्स में जिस जगह आगजनी हुई है। वहां दिन रात दारूबाजों का जमावड़ा रहता है। बावजूद इसके एमएस का कहना कि वह सिम्स के मैनेजर है…। तो बताना चाहूंगा कि उन्हें मैनेजरी भी ठीक से नहीं आती। मणिशंकर ने शासन से सिम्स आगजनी को लेकर निष्पक्ष जांच की मांग की है।