घर परिवार से दूर रहकर नौकरी करने वाले शिक्षाकर्मियों को भूपेश और कमलनाथ सरकार से निराशा

Shri Mi
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संविलियन,शिक्षाकर्मियों,chhattisgarh,pran,cps,ddoबिलासपुर।खुली और सरल स्थानांतरण नीति के अभाव  में मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के हजारों शिक्षाकर्मी अध्यापक भूपेश और कमलनाथ सरकार से भी निराश है। ये शिक्षक घर परिवार से दूर रहकर नौकरी करने को मजबूर हैं। विधानसभा चुनाव के बाद नई सरकार बनने के पश्चात उनके मन में एक आशा की किरण दिखाई देने लगी थी। पर अब तक दोनों राज्य सरकारो की ओर से कोई सार्थक पहल नही हुई है।जिससे दोनों प्रदेश के शिक्षको में निराशा व्याप्त है। है।   सीजीवालडॉटकॉम के whatsapp ग्रुप से जुडने के लिए यहाँ क्लिक करे

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मध्यप्रदेश में पिछ्ले डेढ़ साल पहले आन लाइन स्थांतरण के लिए जो आवेदन मंगवाए गए थे। उसमे शुरुवात में कुछ ही लोगो के स्थांतरण हुआ है। कुछ मजबूर पीड़ितों को कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा तब जा कर कुछ हजार शिक्षको का तबादला हुआ। जबकि स्थान्तरण चाहने वाले शिक्षको की सँख्या पचास हजार के आसपास है। जिसमे बड़ी महिलाओं की भी है।

पूर्व छत्तीसगढ़ सरकार ने 8 वर्ष की सेवा वाले शिक्षाकर्मियों का संविलियन कर दिया है। वर्षों से स्थानांतरण की राह देख रहे शिक्षाकर्मी परिवार में आशा की नई किरण दिखाई दी पर इस ओर पूर्व की सरकार ने कोई ठोस कदम नही उठाये।

शिक्षको के स्थान्तरण पर कोई सकारात्मक पहल कागजो से निकलकर सामने नही आई। इसी परम्परा को आगे बढ़ाते है भूपेश बघेल की सरकार ने भी स्थान्तरण पर कोई पहल नही की है। जिससे छत्तीशगढ़ के शिक्षक जगत में भी निराशा का दौर जारी है।

आम शिक्षक हमेशा इस बात का दोष देते रहे है कि शिवराज सिंह और रमन सिंह  की सरकार ने शिक्षाकर्मीयो के स्थानान्तरण पर कोई ठोस नीति या मसौदा पेश नही किया।

पूर्व में कई स्थानान्तरण कुछ वक्त के लिए हुए तो उसमें कई पेंच थे। आम शिक्षक यह कहते है कि स्थानान्तरण की उस वक़्त वह व्यवस्था में खास खास लोग बाजी मार ले गए।आम शिक्षक व्यवस्था के पेंच में फंस गया। आम शिक्षक स्थानान्तरण मसौदे का लाभ ही नही ले पाए।

मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ दोनों प्रदेशो में शिक्षको का संविलियन हुआ है। शिक्षक संघो की माँग खुली स्थान्तरण नीति की है।  मध्यप्रदेश में संविलियन के मसौदे का राजपत्र में प्रकाशन हो चुका है पर खुली।स्थानान्तरण नीति से जुड़े सेवा शर्ते शासन ने पेश नही की है।

छत्तीसगढ़ में शिक्षा कर्मीयो के नीति नियमो का राजपत्र का प्रकाशन नही हुआ कब तक होगा यही कहना अभी मुश्किल है। उसमे भी खुली स्थानान्तरण नीति की सेवा शर्ते प्रकाशित होंगी या मध्य प्रदेश जैसा हाल होगा इस पर संशय बरकरार है।

ऐसे में क्या स्थानांतरण की राह देख रहे इन शिक्षाकर्मी परिवारों को भूपेश सरकार से राहत मिलती नही दिखाई दे रही है। वही कमलनाथ सरकार का भी यही हाल दिखाई दे रहा है।

मध्यप्रदेश अध्यापक संघर्ष समिति के हीरानंद नरवरिया का मानना है कि लोकसभा चुनाव के लिए आचार सहिंता लगने में ज्यादा वक्त नही है। सम्भवतः चुनाव के पूर्व ही परीक्षा खत्म हो जाएगी।इसके बाद  शिक्षा सत्र की समाप्ति हो जायेगी ओर नया शिक्षा सत्र लग जायेगा। और चुनाव खत्म और मुदद्दा ठंडे बस्ते में चला जायेगा और खुले और सरल स्थानान्तरण के लिए फिर शिक्षको को चार साल का इंतजार करना पड़ेगा। मुख्यमंत्री जब तक विशेष रुचि लेकर इस दिशा में पहल नही करेंगें यह तब तक यह दूर नही होगी।

छत्तीसगढ़ के शिक्षक नेता गंगा पासी ने बताया कि मोर्चा ने पिछले आंदोलन में खुली स्थानान्तरण नीति सहित अन्य मांगे प्रमुखता से रखी थी। खुली स्थानान्तरण नीति पर सहमति बनी है। ये संविलियन किये हुए शिक्षको को मिलेगी पर जब तक राजपत्र में संविलियन का मसौदा प्रकाशन में नही होता तब तक खुली स्थानान्तरण नीति पर शंका ही रहेगी। यह भी एक गंभीर मसला है। भूपेश सरकार इस विषय को गंभीरता से ऐसे प्रयास संघ की ओर से किये जा रहे है।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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