नईदिल्ली।कभी विपक्ष को अपने बयान और भाषण विपक्ष को चित्त करने वाले बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी अब संसद में बोलना बिल्कुल कम कर चुके है. पिछले पांच सालों में आडवाणी ने संसद में 296 दिन उपस्थित रहें लेकिन इस दौरान उन्होंने केवल 365 शब्द ही बोले है. जानकारी के मुताबिक 15वीं लोकसभा (2009-14) की तुलना में 16वीं लोकसभा (2014-19) में आडवाणी के संसद में बोले शब्दों में लगभग 99 फीसदी तक की कमी आई है।
‘लौह पुरुष’ के नाम से जाने जाने वाले लालकृष्ण आडवाणी ने साल 2012 में लोकसभा में असम में घुसपैठ और राज्य में बड़े पैमाने पर होने वाली जातीय हिंसा को लेकर स्थगन प्रस्ताव पर हुई बहसा में बीजेपी की तरफ से नेतृत्व किया था।
यह भी पढ़े- कलेक्टर ने सभी BEO को जारी किया शो कॉज नोटिस,आय – जाति -निवास पर प्रमाण पत्र में लापरवाही
उस दिन संसद में खूब हंगाम हुआ था और ट्रेजरी बेंच की तरफ से लगातर रुकावट डालने के बावजूद लालकृष्ण आडवाणी लगातार बोलते रहे और अपनी बात रखते रहे. उस दिन आडवाणी के भाषण में 4,957 शब्द शामिल थे।
वहीं कुछ सालों बाद बिल्कुल इसके उलट हुआ पिछले साल 8 जनवरी 2018 को पीएम मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने सदन में नागरिकता संशोधन बिल पेश किया था, सदन में इस दिन भी खूब हंगामा मचा लेकिन वहां मौजूद आडवाणी ने महत्वपूर्ण बिल होने के बाद भी कुछ नहीं बोला. जिन्होंने 8 साल पहले, 50 व्यवधानों को दरकिनार कर, असम की समस्या पर सदन में अपना मत रखा था.