जेटली के बयान पर कांग्रेस का पलटवार: कहा – नमक छिड़क रहे हैं हमारे जख्मों पर

Shri Mi
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Agusta Westland Case, Christian Michel, Ed, Rahul Gandhi, Sonia Gandhi,,Rajasthan Election, Congress Manifesto, Jan Ghoshna Patra, Farm Loans, Congress Manifesto Rajasthan, Congress Jan Ghoshna Patra, Sachin Pilot, Rajasthan,रायपुर।प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री और संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि आज का केन्द्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली का बयान गैर जिम्मेदारी और झूठ, फरेब और धोखे की भाजपा की राजनीति का जीता जागता सबूत है। भाजपा सरकार ने अपनी जिम्मेदारी से बचने का उपक्रम इस हद तक हावी है कि वित्त मंत्री गृह मामलों पर बयान देते हैं। रक्षा घोटाले पर मोदी का बचाव गृहमंत्री राजनाथ सिंह करते हैं।

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वित्तमंत्री अरुण जेटली ने राहुल गांधी और कांग्रेस पर माओवादियों से गठबंधन का निराधार आरोप जनता को गुमराह करने के लिये लगा रहे हैं जो मोदी सरकार के 55 महीने के कार्यकाल में नक्सली मोर्चे पर असफलता को ढकने की बेहद लचर और नाकाम कोशिश मात्र हैं।

अरुण जेटली जी केंद्रीय वित्तमंत्री हैं। ऐसे नकारा बेमानी आरोप लगाने के पहले अरूण जेटली बतायें कि नक्सल प्रभावित राज्य को कम पैसा और कम नक्सल प्रभावित राज्य को ज्यादा पैसा अरुण जेटली ने किस आधार पर दिया वह देश को बताएं? उत्तर प्रदेश में कोई भी ज़िला गहन नक्सली हिंसा से प्रभावित नहीं है और न ही पिछले चार वर्षों में वहां कोई गंभीर वारदात हुई है।

लेकिन वर्ष 2014 से 2018 के बीच उत्तर प्रदेश के नक्सली हिंसा ने निपटने के लिए 349.21 करोड़ की राशि दी गई जबकि इसी अवधि में छत्तीसगढ़ को सिर्फ़ 53.71 करोड़ की राशि दी गई। जबकि छत्तीसगढ़ देश का सर्वाधिक नक्सल प्रभावित प्रदेश है और कई ज़िले गहन नक्सली गतिविधियों के लिए जाने जाते है।

छत्तीसगढ़ माओवादी हिंसा और सर्वाधिक माओवाद प्रभावित क्षेत्र के लिये पूरे देश में बदनाम है। गृहमंत्रालय के वर्ष 2012 से 2017 तक के आंकड़े बताते है कि सबसे अधिक नक्सली हिंसा में मारे गए लोगों की संख्या पिछले छह सालों में सबसे अधिक 2017 में रही है।

वर्ष 2012 में 109, 2013 में 111, 2014 में 112, 2015 में 101, 2016 में 107 और 2017 में 130 जानें गई हैं. वर्ष 2017 में 2015 और 16 की तुलना में सर्वाधिक सुरक्षाकर्मियों की जानें भी गईं। 2015 और 16 में क्रमशः 48 और 38 जवान मारे गए थे लेकिन 2017 में 60 जवानों की मौतें हुईं।

कांग्रेस नेताओं ने कहा है कि जिस वर्ष छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक नक्सली हिंसा हुई उसी साल पुलिस बल के आधुनिकीकरण के लिए जहां उत्तर प्रदेश को 77.16 करोड़ दिए गए वहीं छत्तीसगढ़ को मात्र 11.87 करोड़ की राशि केंद्र से दी गई।

केन्द्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली यह बयान देकर क्या केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह, मुख्यमंत्री रमन सिंह और गृहमंत्री रामसेवक पैकरा की कार्यशैली पर और निर्णय क्षमता पर गंभीर सवाल नहीं उठा रहा है?

केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली के कांग्रेस और माओवादियों से संबंध के आरोप के बारे में कांग्रेस ने कहा है कि देश में माओवाद का सबसे बड़ा शिकार कांग्रेस हुई है और वह लगातार न्याय की गुहार लगाती रही है। भाजपा की सरकारें हमारे ज़ख्मों पर मरहम तो लगा नहीं सकीं, अब जेटली उल्टे ज़ख्मों को कुरेदकर उस पर नमक मिर्च लगा रहे हैं।

कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि भाजपा की करारी हार रमन सरकार के गलत कामों, भ्रष्टाचार, कमीशनखोरी और बड़ी-बड़ी गड़बड़ियों की वजह से हुई। हार के कारणों की समीक्षा बैठकों में लड़ते झगड़ते भाजपाई पत्रकारों से दुर्व्यवहार कर रहे हैं, पत्रकारों पर हमला कर रहे है, उनको पीट रहे हैं। जब कुछ न सूझा तो बेसिरपैर और अनर्गल आरोप लगा रहे हैं। सर्वाधिक दुख और पीड़ा की बात है, इसे झूठे आरोप लगाने के लिये भाजपा के वित्तमंत्री सामने आये है।

जेटली का आरोप झीरम कांड की जांच की पीड़ा से भी उपजा है। अरूण जेटली और शीर्ष भाजपा नेतृत्व बखूबी जानता हैं कि झीरम के षडयंत्र में किसका-किसका नाम आएगा। वादे करके भी झीरम की जांच न करवाने वाली भाजपा जानती है कि कांग्रेस के दिग्गजों की सुपारी किलिंग किसने और कैसे करवाई? जीरम के आपराधिक राजनैतिक षड़यंत्र की जांच शुरू होने की बौखलाहट में अरूण जेटली ने यह बयान दिया है।

कांग्रेस को 2013 में रोकने के लिए भाजपा ने बहुत षडयंत्र किए। फिर 2018 में भी उसने बहुत कुछ किया लेकिन जनता ने उन्हें पहचान लिया था इसीलिए भाजपा को छत्तीसगढ़ में 15 सीटों पर समेट दिया।

कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि अगर मोदी सरकार के पास अरूण जेटली के पास कांग्रेस के खिलाफ कोई ठोस सबूत होते तो वे उसे अभी तक सार्वजनिक कर चुके होते और कार्रवाई हो गयी होती। अगर ऐसी कोई जानकारी अगर मोदी सरकार या रमन सरकार के पास थी तो दोनों सरकारों ने इसे उसी समय रोका क्यों नहीं?

मोदी सरकार की यह खासियत है कि उसके मंत्री अपना विभाग छोड़कर दूसरे के विभाग पर बयान देते हैं। अच्छा होगा कि जेटली जी इस बारे में अपने गृह मंत्री से चर्चा कर लें। राजनीति करनी है तो करें लेकिन कांग्रेस के नंद कुमार पटेल, विद्याचरण शुक्ल, महेंद्र कर्मा, उदय मुदलियार, योगेन्द्र शर्मा, दिनेश पटेल, गोपी माधवानी, अभिषेक गोलछा जैसे नेताओं की शहादत का असम्मान न करें।

कांग्रेस ने तो माओवाद के दंश को झेला है। कांग्रेस नेताओं की पूरी पीढी माओवादियों के हमले में शहीद हुई। उस माओवादी हमले में हुयी जो ठीक उसी जगह हुआ यहां भाजपा की सरकार ने रमन सिंह की सरकार ने पुलिस सुरक्षा हटा ली थी।

मरहम तो लगा नहीं सके, हमारे ज़ख्मों को कुरेदकर उसमें नमक मिर्च तो मत छिड़किए जेटली जी!

प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री और संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि कानून व्यवस्था की स्थिति को इस तरीके से भाजपा सरकार ने 15 साल में बिगाड़ा है, पूरे तंत्र को प्रदूषित करेगा, उसे सुधारने में कांग्रेस की सरकार प्राणप्रण से जुटी है, लेकिन कुछ वक्त तो लगेगा।

भाजपा की सरकार गए, महिना भर ही हुआ है और आप राज्य की नवोदित कांग्रेस सरकार पर आरोप लगा रहे जिसे आपकी सरकार द्वारा 15 वर्षो के कुशासन में तैयार किया गया निकम्मा तंत्र विरासत में मिला है।

प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री और संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि इसे सुधारने में कांग्रेस की सरकार पूरी तरह से लगी हैं और बहुत जल्दी परिणाम राज्य की जनता के सामने होंगें।

जेटली जी देश को बताएं कि कांग्रेस ने कहां और कैसे नक्सलियों से गठबंधन किया था? कांग्रेस यदि गठबंधन कर रही थी राज्य में रमन सिंह की सरकार गृहमंत्री रामसेवक पैकरा डीजीपी उस वक्त क्या कर रहे थे?

प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री और संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि केन्द्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली जो बयान दे रहे हैं वह सरासर गलत है और अब तो प्रधानमंत्री और अरुण जेटली देश में सार्वजनिक करें कि अपने 55 महीने के कार्यकाल में नक्सल मुक्ति अभियान में उन्होंने खुद क्या किया।

अरुण जेटली की सरकार ने जब नोटबंदी लागू की थी तो उन्होंने कहा था कि इससे माओवादी घटनाओं की रोकथाम हो सकेगी, लेकिन माओवादी घटनाओं में मारे जाने वाले पुलिस जवानों की संख्या लगातार बढ़ती रही, जिसकी अरुण जेटली को नैतिक जिम्मेदारी स्वीकार करना चाहिये।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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