लोहण्डीगुड़ा मामला… जांच अधिकारी का कांग्रेस ने किया घेराव

BHASKAR MISHRA
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IMG-20150915-WA0015बिलासपुर—लोहण्डीगुड़ा फर्जी परीक्षार्थी मामले में आज जांच टीम सुन्दर लाल शर्मा विश्वविद्यालय पहुंची। इसके पहले कांग्रेसियों ने विश्वविद्यालय पहुंचकर जांच टीम का घंटो इंतजार किया। जांच अधिकारी लोहण्डीगुड़ा थानेदार नियत समय से कुछ देरी से विश्वविद्यालय पहुंचे। थानेदार ने जांच के विषय में कुछ भी बताने से इंकार कर दिया। कांग्रेस नेताओं ने बताया कि जांच की कछुआ गति से जाहिर हो रहा है कि  सरकार मामले को ठण्डे बस्ते में डालना चाहती है। लेकिन कांग्रेस भाजपा के मंसूबों को परवान नहीं चढ़ने देगी।

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               लोहण्डीगुडा फर्जी परीक्षा मामले में आज एक सदस्यीय जांच टीम सुन्दरलाल शर्मा विश्विद्यालय पहुंची। इसके पहले कांग्रेसियों की टीम विश्वविद्यालय पहुंचकर जांच अधिकारी का घंटो इंतजार किया। देरी से विश्वविद्यालय पहुंचे लोहण्डीगुड़ा थानेदार ने कांग्रेस नेताओं को कुछ भी बताने से इंकार कर दिया।

                 मालूम हो कि ड़ेढ़ महीने पहले सुन्दरलाल शर्मा मुक्त् विश्वविद्यालय परीक्षा केन्द्र लोहण्डीगुड़ा में शांति कश्यप के स्थान पर किसी अन्य महिला परीक्षार्थी ने परीक्षा दी थी । बताया जा रहा है कि परीक्षा देने वाली महिला का नाम किरण मोर्य है। जिसे शांति कश्यप की बहन बताया जा रहा है। फिलहाल अभी तक इस मामले में किसी को हिरासत में नहीं लिया गया है और ना ही एफआईआर दर्ज किया गया है।

         तत्कालीन समय मामले को गंभीरता से लेते हुए कुलपति वंशगोपाल ने तीन सदस्यीय जांच टीम का गठन किया। रिपोर्ट आने के बाद कुलपति ने विश्वविद्यालय के तीन कर्मचारियों पर कानूनी कार्रवाई करते हुए जगदलपुर एसपी को पत्र लिखकर आरोपी के खिलाफ जांच के बाद एफआईआर दर्ज करने का निवेदन किया था।

                     लोहण्डीगुड़ा थानेदार वर्मा ने आज कांग्रेस नेताओं को बताया कि जांच अभी चल रही है इसलिए मामले में कुछ भी कहना सही नहीं होगा। जांच पूरी होने के बाद आरोपी के खिळाप प्राथमिकी दर्ज की जाएगी।  कांग्रेस महामंत्री अटल श्रीवास्तव से बातचीत के दौरान वर्मा ने बताया कि कुछ जरूरी दस्तावेज लेने वे विश्वविद्यालय आए हैं। जो जांच के लिए जरूरी है। इसके अलावा थानेदार ने इस मामले में कुछ भी बोलने से इकार कर दिया।

               मीडिया से चर्चा करते हुए अटल श्रीवास्तव ने बताया कि यदि शांति कश्यप के स्थान पर पोरा बाई या फिर किसी गरीब का नाम  होता तो उसे अब तक सूली पर लटका दिया गया होता। अटल ने बताया कि मामले को पूरे डेढ़ महीने से अधिक हो गये हैं। अभी तक जांच पूरी नहीं हुई है। इससे जाहिर होता है कि सरकार मंत्री, पत्नी और साली को बचाना चाहती है। अटल ने बताया कि पोरा बाई को मात्र सात दिन के भीतर दोषी मानते हुए हवालात के पीछे भेज दिया गया था। सरकार अब इतनी तत्परता क्यों नहीं दिखा रही है।

           सीजी वाल से बातचीत के दौरान अटल ने बताया कि जो प्रमाण अभी तक मिले हैं उसके आधार पर सब कुछ जाहिर हो चुका है कि केदार कश्यप की पत्नी शांति कश्यप ही परीक्षार्थी थीं। उसके स्थान पर केदार कश्यप की साली किरण मौर्य परीक्षा दे रही थी। चूंकि सरकार शुरू से केदार कुनबे को बचाना चाहती है इसलिए जांच में हीलाहवाली की जा रही है। अटल ने बताया कि कांग्रेस इस मुद्दे को अंजाम तक पहुंचाकर रहेगी। उन्होने कहा कि थानेदार एक महीने बाद कागजात लेने विश्वविद्यालय पहुंचे है। समझ से परे है कि जब कुलपति ने सब कुछ सौंप दिया है तो यहां आकर वे क्या बताना चाहते हैं। अटल ने बताया कि पर्दे के पीछे का खेल पूरा हो चुका है अब जांच के बहाने मामले को दबाने का प्रयास का अंतिम चरण चल रहा है।

                   प्रदेश कांग्रेस सचिव महेश दुबे टाटा ने कहा कि रमन सरकार बर्दास्त की इन्हां को पार कर गयी है। केदार को बचाने के लिए कभी कुलपति पर तो कभी पुलिस पर दबाव डाला जा रहा है। पोरा बाई को सजा दिलवाने में उन्होंने बड़ी जल्दबाजी की। अब वह जल्दबाजी कहां गयी। महेश दुबे ने  आरोप लगाया है कि प्रदेश का मुखिया जांच के बहाने किसी गरीब के गले को तलाश रहा है। जैसे ही किसी गरीब का गला मिलेगा जांच रिपोर्ट का खुलासा कर दिया जाएगा। उन्होने कहा कि यह सब केदार कश्यप के अहसान का बदला चुकान के लिए किया जा रहा है। क्योंकि शिक्षा मंत्री ने नान घोटाले में प्रदेश की मुखिया का काफी सहयोग किया है।

               विश्वविद्यालय घेराव के दौरान अटल श्रीवास्तव, महेश दुबे के अलावा अभय़ नारायण राय,नरेन्द्र बोलर,पंकज सिंह, शैलेन्द्र जायसवाल,शेख नजरूद्दीन,ऋषि पाण्डेय समेत कई वरिष्ठ कांग्रेस कार्यकर्ता मौजूद थे।

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