बहुआयामी व्यक्तित्व बनाएं…IG प्रदीप गुप्ता ने बताया..थानों पर बढ़ा अतिरिक्त भार..होनी चाहिए कानून की जानकारी

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— बिलासपुर का तेजी से विकास हुआ है। थानों पर अतिरिक्त दबाव पड़ा है। शहर को अतिरिक्त थानों की जरूरत है। शासन भी इस बात को मानता है। आज का दौर पुलिसिंग में क्रांतिकार बदलाव का है। प्रत्येक व्यक्ति को अपने प्रोफेशन के बाहर भी जाकर सामाजिक गतिविधियों का हिस्सा बनना चाहिए। भारत की पुलिसिंग पर कानून के अलावा सामाजिक गतिविधियों का भी प्रभाव है। जबकि विदेशों में ऐसा नहीं है। यह बातें बिलासपुर रेंज पुलिस महानिरीक्षक प्रदीप गुप्ता ने पहुंना कार्यक्रम में कही। प्रदीप गुप्ता ने बताया कि सभी व्यक्ति को कानून की जानकारी होना जरूरी है। यही कारण है कि सेवा में रहते हुए मैने भी कानून की पढ़ाई की है।

             
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                           हमर पहुना कार्यक्रम में आईजी प्रदीप गुप्ता ने पत्रकारों के सामने जीवन से जुड़े तमाम पहलुओं को सामने रखा। प्रदीप गुप्ता ने बताया कि जन्म रायपुर में हुआ। पिता रविवशंकर विश्वविद्यालय में भूगोल के विभागाध्यक्ष थे। रायपुर में स्कूलिंग के बाद दिल्ली से आईआईटी किया। जेनएनयू में रहकर एमफिल किया। इसी दौरान तैयारी करते हुए सिविल सर्विस की तैयारी की। 1995 बैच का आईपीएस बन गया।

          प्रदीप गुप्ता ने बताया कि आईपीएस बनने से पहले टाटा कम्पनी से जुड़ने का अवसर मिला। उस्मानिया से पुलिस ट्रेनिंंग का मौका मिला। आईपीएस के बाद चार साल तक नागपुर में प्रतिनियुक्त मेंं काम करने का मौका मिला। इसी दौरान कानूनी दांव पेंच का सामना हुआ। कानूनी पेचीदिगीयों को समझने के लिए ही एलएलबी किया।

                               आईजी ने बताया कि आईपीएस बनने के बाद नौकरी की शुरूआत अविभाज्य मध्यप्रदेश के शहर उज्जैन से हुई। इसके बाद ग्वालियर और सागर में काम करने का मौका मिला। राज्य बनने के बाद छत्तीसगढ़ कैडर मिला। छत्तीसगढ़ के जांजगीर, जशपुर, सेनानी भिलाई में काम किया। एक साल के लिए कोसोवा में पुलिसिंंग का काम किया। बातचीत के दौरान प्रदीप गुप्ता ने विदेशों और खासकर कोसोवों के अनुभवों का साझा किया।

        उन्होने बताया कि कोसोवा से लौटने के बाद कांकेर, बिलासपुर एसपी बना और फिर नागपुर चार साल की प्रतिनियुक्ति पर गया। इसके बाद दुर्ग, रायपुर, का एसपी बना। अब बिलासपुर रेंज की जिम्मेदारी दी गयी है।

                     बातचीत में आईजी ने बताया  कि दुर्ग आईजी रहने के दौरान अभिषेक मिश्रा हत्याकाण्ड की गुत्थी सुलझाने में खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। आईजी ने बताया कि क्राइम पेट्रोल जैसे सीरियल समाज के लिए घातक  है। ऐसे सीरियलों से समाज पर दुष्प्रभाव पड रहा है। अपराधों की संख्या में बृद्धि हुई है। थानों पर अतिरिक्त दबाव बढ़ा है। यही कारण है कि बल की संख्या में कमी महसूस की जा रही है। बिलासपुर को अतिरिक्त थानों की जरूरत है। प्रशासन ने इस बात को स्वीकार भी कर लिया है।

                                     आईजी ने बताया कि सबको कानून की जानकारी का होना जरूरी है। खासकर पत्रकारों को भी। इससे उन्हें आसानी होगी। उन्होने बताया कि पत्रकारों की अपनी अलग चुनौती है। उनके साथ पुलिस का व्यवहार सकारात्मक होना चाहिए। चाहे खबर एडवर्स हो या रिवर्स..लेकिन पुलिस का व्यवहार सकारात्मक ही होनी चाहिए।

                 पहुंना कार्यक्रम में आईजी प्रदीप गुप्ता ने अपनी हावी का भी जिक्र किया। उन्होने कहा कि फोटोग्राफी का शौक रखता हूं। खासकर ट्राइवल क्षेत्र में फोटग्राफी का शौक है। वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी भी पसंद है। उन्होने कहा कि हर व्यक्ति को अपने कार्यक्षेत्र से हटकर कुछ अच्छा और करना चाहिए। व्यक्तित्व को बहुआयामी बनाना चाहिए।

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