भास्कर मिश्र को पितृशोक, कवि – साहित्यकार पारसनाथ मिश्र का निधन

Chief Editor
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बिलासपुर । CGWALL.COM  के संपादक  भास्कर मिश्र के पिता और जाने – माने कवि – साहित्यकार श्री पारसनाथ मिश्र का शुक्रवार को आकस्मिक निधन हो गया । उन्होने बिलासपुर के अपोलो अस्पताल में अँतिम सांसे लीं। वे करीब 87 साल के थे। श्री पारसनाथ मिश्र पिछले कुछ दिनों से बीमार थे और अपोलो अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था।

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उनका पार्थिव शरीर शहडोल ले जाया गया है। जहां शनिवार को उनका अँतिम संस्कार किया जाएगा।वे अपने पीछे भरा – पूरा परिवार छोड़ गए हैं। श्री पारसनाथ मिश्र  ने मध्यप्रदेश सरकार में ब्ल़ॉक डेव्हलपमेंट ऑफिसर  के रूप में अपनी लम्बी सेवाएँ दीं। वे अंबिकापुर , रींवां, भोपाल  सहित कई स्थानों पर  पदस्थ रहे। मूलतः सक्ती क्षेत्र के रहने वाले श्री मिश्र  रिटारमेंट के बाद शहडोल में बस गए थे।

उनका हिंदी साहित्य के क्षेत्र में बड़ा योगदान रहा। उन्होने अखिल भारतीय कवि सम्मेलनों में करीब 50 साल तक हिस्सा लेकर कविता पाठ किया। उनकी कविताएं मध्यप्रदेश में एपीएस में संग्रहित हैं। उन्हे बिलासपुर के देवकीनंदन दीक्षित सभा गृह में आयोजित एक समारोह में राज्यपाल के हाथों सम्मानित किया गया था।

वे आकाशवाणी से भी लगातार कविता पाठ करते रहे। जनअभिव्यक्ति के कवि के रूप में वे प्रसिद्ध थे। उनकी कविता .. धनुष कोई है, मैं बाण हूं,,,,, लक्ष्य के अनुमान पर छोड़ा गया…… 1977 में प्रतिबंधित कर दी गई थी। उनकी रचनाएं सीधी – सपाट और मुखर रही हैं। जिसमें बघेली की भी झलक मिलती है। श्री पारसनाथ मिश्र  ऐसी पीढी के रचनाकार रहे , जिनकी रचनाओँ में वक्त की हकीकत बयां होती है।

उनका निधन साहित्य – समाज के लिए एक अपूरणीय क्षति है। CGWALL.COM  परिवार दुःख की इस घड़ी में मिश्र परवार के साथ है।

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