पुलिस कप्तान ने कहा…घटना के समय नहीं था थानेदार…हम किसी को नहीं बचा रहे…कोटा एसडीओपी करेंगे जांच

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—मरवाही थाना क्षेत्र के कुम्हारी गांव में पुलिस प्रताड़ना से चन्द्रिका तिवारी की मौत को पुलिस कप्तान ने अपरोक्ष से इंकार कर दिया है। पुलिस कप्तान अभिषेक मीणा ने पत्रकारों को बताया कि थानेदार तो मृतक के साथ था ही नहीं..फिर उस पर मारपीट का आरोप लगाना परिजनों को पीड़ा को जाहिर करता है। हां मुलायजा नहीं कराया गया..थानेदार की गलती है..इसलिए लाइन अटैच किया गया है। मामले की जांच कोटा एसडीओपी करेंगे।

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                                  बताते चलें कि कुम्हारी निवासी मृतक चन्द्रिका तिवारी की मरवाही थाना में पुलिस प्रताड़ना से मौत का मामला सामने आया है। चन्द्रिका तिवारी के बेटे और पत्नी ने थानेदार पर मारपीट का आरोप लगाते हुए कहा कि रात भर लाकअप में रखा गया। दूसरे दिन मारपीट से बुरी तरह घायल चन्द्रिका तिवारी की मौत हो गयी। लेकिन इधर प्रेस वार्ता में पुलिस कप्तान अभिषेक मीणा ने पुलिस मारपीट से मौत होने की घटना से साफ इंकार किया है। मीणा ने बताया कि चन्द्रिका की मौत तहसील कार्यालय में लाकअप से छूटने के बाद करीब साढ़े पांच घंटे बाद हुई है।

                      पुलिस कप्तान अभिषेक मीणा ने पत्रकारों को बताया कि घटना दो दिन पहले की है। कुम्हारी थाना मरवाही में एक ही परिवार के दो गुटों में जमीन को लेकर विवाद हुआ। किसी ने 112 को घटना की जानकारी दी। बाद में दोनो गुट खुद शिकायत करने थाना पहुंचे। इस बीच थानेदार ने दोनों गुटों को समझाने का प्रयास किया। लेकिन दोनों गुट थाने के सामने ही लड़ने लगे। जबकि इसके पहले दोनों गुटों में घर पर भी मारपीट भी हुई थी। थानेदार के समझाने के बाद भी मामला शांत नहीं हुआ तो दोनों गुटों के चार लोगों के खिलाफ 151 का मामला दर्ज किया गया। दूसरे दिन सुबह 11 बजे न्यायिक दण्डाधिकारी के कोर्ट लाया गया। तहसीलदार की व्यस्तता के बीच शाम चार बजे सभी को जमानत मिली। इस दौरान करीब साढ़े पांच घंटे तक आरोपियों के साथ थानेदार भी नहीं था। मौके पर केवल दो आरक्षक थे। थानेदार पर लगाया गया आरोप प्रथम दृष्टया गलत है।

                   वायरल वीडियो और आडियों में बताया जा रहा है कि थानेदार ने चन्द्रिका को लाकअप में पीटा। महिला के साथ भी अभद्र व्यवहार किया। तहसील में दुसरे गुट के इशारे पर कुछ ऐसा ही किया। अभिषेक मीणा ने कहा कि थानेदार तहसील कार्यालय में था ही नहीं…क्योंकि न्यायिक  दण्डाधिकारी के न्यायालय में दर्ज सारे रिकार्ड हमारे पास हैं। आरोप गलत है कि लाकअप में पीटा गया। दरअसल चन्द्रिका को चोट आपसी विवाद के दौरान ही लगी थी। न्यायालय में पेश होने के करीब साढ़े पांच घंटे बाद उसकी मौत हार्ट अटैक से हुई है। मीणा ने कहा कि किसी को नहीं बचाया जा रहा है। दोनों गुट के चारों के खिलाफ धारा 151 का मामला दर्ज किया गया था। थाने में रोजाना 151 के मामले आते रहते हैं। इसलिए एसपी को संख्या की जानकारी बहुत नहीं होती । उन्हें घटना की जानकारी मौत के बाद हुई।

                     वीडिया और आडियों वायरल पर मीणा ने कहा कि अभी तक उनके पास ऐसी कोई जानकारी नही है। फिर भी यदि उन्हें वीडियो या आडियो मिलता है तो जांच करेंगे। थाने के रिकार्ड भी हमारे पास हैं। कोर्ट की गतिविधियों से जुडे दस्तावेज भी हैं। मुलायजा क्यों नहीं किया गया के सवाल पर मीणा ने कहा कि निश्चित रूप से गलत हुआ है। थानेदार को लाइन अटैच कर दिया गया है। मामले की जांच कोटा एसडीओपी करेंगे।

           मीणा ने बताया कि खुद चन्द्रिका तिवारी के बेटे ने स्वीकार किया है कि है पहले भी उसके पिता को अटैक आ चुका है। अटैक के बाद आरक्षकों ने सेनेटोरिम में भर्ती कराया था। बाद में सिम्स रिफर कर दिया गया। लेकिन रतनपुर पहुंचने से पहले चन्द्रिका की मौत हो गयी। रतनपुर अस्पताल में भर्ती किया गया। अब पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार है। पोस्ट मार्टम रिपोर्ट के बाद जांच की दिशा निर्धारित होगी।

           पुलिस कप्तान मीणा ने थानेदार या थाने में मारपीट के मामले से बार बार साफ इंकार किया। उन्होने बताया कि हमारे पास भी पुख्ता प्रमाण हैं। यद्यपि उन्होेने कहा कि थाने का सीसीटीवी बन्द था। अब जांच के बाद खुलासा हो जाएगा।

सीएम ने कहा था जांच करें

                      बताते चलें कि मंगलवार को सुबह मुख्यमंत्री भूपेश बघेल रतनपुर मेें एक कार्यक्रम में कहा कि निश्चित रूप मौत के कारणों की जांच होगी। उन्होने कहा कि एसपी आईजी को निर्देश दिया गया है कि मामले की गंभीरता से जांच करें। मुख्यमंत्री के निर्देश पर पुलिस कप्तान ने कोटा एसडीओपी को जांच की जिम्मेदारी दी है।

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