बिलासपुर लोकसभा पर टिकी निगाहे,रोचक मुक़ाबले मे काँग्रेस-बीजेपी दोनों के सामने कड़ी चुनौती

Shri Mi
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तखतपुर(टेकचंद कारड़ा)-
इस बार बिलासपुर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस जहां हिसाब बराबर करना चाहेगा तो बीजेगी पुन: सीट अपने झोली में रखना चाहेगी और इसी लिए दोनों पार्टी प्रत्याशी चयन करने में फुंकफुंक कर कदम रख रही है. तो सभी समीकरण पर भी गौर कर रही है। बिलासपुर लोकसभा सीट में इस बार आज होने वाले मतदान में मुकाबला काफी रोचक है। कांग्रेस प्रत्याशी अटल श्रीवास्तव और भाजपा प्रत्याशी अरूण साव की बीच ही है और प्रदेश में कांग्रेस की सरकार क्या पिछले 23 साल से कांग्रेस के सुखे इस लोकसभा को क्या जीत का शेहरा पहना पाऐंगी।बिलासपुर लोकसभा सीट पूरे प्रदेश में सबसे हाई प्रोफाईल लोकसभा सीट है इसलिए पूरे प्रदेश् के लोगों की निगाह बिलासपुर लोकसभा सीट पर रहता है और अभी तक इस सीट में दो प्रमुख पार्टीयां भाजपा और कांग्रेस के बीच ही मुकाबला रहा है। प्रदेश में पहली बार आम चुनाव 1951 और उसके बाद 1957 में हुआ जिसमें दोनों बार यह कांग्रेस के खाते में गई जहां रेशम लाल सासंद निर्वाचित हुए थे। 1962 की चुनाव में कांग्रेस ने निर्दलीय प्रत्याशी सत्यप्रकाश को समर्थन दिया और वे निर्वाचित हो गए।सीजीवाल डॉटकॉम के whatsapp ग्रुप से जुडने यहाँ क्लिक करे

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1967-71 में फिर से कांग्रेस के खाते में फिर से कांग्रेस के खाते में गई जहां रामगोपाल तिवारी ने जनसंघ के मनहरण लाल पाण्डेय को पराजित किया था 1977 के चुनाव में भारतीय लोकदल ने निरंजन प्रसाद केशरवानी को टिकट दी और कांग्रेस के अशोक राव को पराजित कर दिया जब 1980 में चुनाव हुआ तो कांग्रेस के गोदिल प्रसाद अनुरागी सांसद निर्वाचित हुए। जब 1984 में चुनाव हुआ।

तब पहली बार भाजपा के गोविंदराम मिरी चुनाव मैदान में उतरे और कांग्रेस के खेलनराम जांगडे ने शिकस्त दी इसके बाद जब 1989 में जब चुनाव हुआ तो पहलीबार भाजपा ने अपना खाता खोला और रेशम लाल सांसद बने। 1991 के चुनाव में एक बार फिर से गोविंदराम मिरी चुनाव जीतकर हिसाब बराबर कर लिए। इसके बाद 1996 में जब चुनाव हुआ तो भाजपा ने पुन्नू लाल मोहले को मैदान में उतारा और फिर वह कांग्रेस के पूर्व सांसद गोविंद प्रसाद अनुरागी की बेटी तान्या अनुरागी को 48 हजार वोटो से परास्त किया और सीट भाजपा की झोली में डाल दिया और फिर 1998, 99 और 2004 में लगातार सांसद निर्विचित हुए।

और अभी तक के पुन्नू लाल मोहले बिलासपुर लोकसभा के ऐसे एकलौते सांसद रखे कि तीन बार सांसद निर्वाचित हुए और पहली भाजपा ने जब 2009 में दिलीप सिंह जुदेव को मैदान में उतारा तो वे कांग्रेस के दिग्गज प्रत्याशी रेणु जोगी को 20 हजार से अधिक मतों से परास्त कर दिया और जब 2014 में चुनाव हुआ तो लखन लाल साहू ने भाजपा का सीट बचाए रखा अब 2019 का यह चुनाव किस पार्टी के लिए सांसद देगा यह तो मतगणना की तारीख 16 मई को ही तय हो पाएगा कि भाजपा अपनी इस पुरानी गण को बचा पाती है या कांगेस उसमें सेंध लगाने में सफल हो पाती है जो भी हो यह चुनाव पूरे प्रदेश की राजनीति की दशा और दिशा दोनों तय करेगी।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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