मरवाही से भी पिछड़ गया बिलासपुर,शहरी क्षेत्र में मतदान का प्रतिशत कम

Shri Mi
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बिलासपुर।लोकसभा चुनाव के लिए हुए मतदान में एक बार फिर यह मिथक कायम रहा कि बिलासपुर विधानसभा के शहरी मतदाता वोट डालने के मामले में ग्रामीण क्षेत्र के मतदाताओं से एक बार फिर पिछड़ गए है।मतदान के जो अन्नतिम आंकड़े सामने औए है उनमें यह साफ नजर आ रहा है कि बिलासपुर जिले में बिलासपुर विधानसभा में मतदान का प्रतिशत मरवाही क्षेत्र से भी कम रहा है।पिछले कुछ चुनाव से यह स्थिति अलग नही है।सीजीवाल डॉटकॉम के whatsapp ग्रुप से जुडने यहाँ क्लिक करे

मौजूद लोकसभा चुनाव के लिए मंगलवार को हुए मतदान के अनंतिम आंकड़े बताते है कि बिलासपुर जिले के सात विधानसभा क्षेत्रों में सबसे कम 56 फीसदी मतदान मस्तूरी विधानसभा क्षेत्र में हुआ।इसके बाद बिलासपुर विधानसभा क्षेत्र का नम्बर है जहां 57.53 प्रतिशत मतदान के आंकड़े सामने आए है।

कोटा विधानसभा में 63 फीसदी,तखतपुर में 64,बिल्हा में 68 व बेलतरा में 64.27 प्रतिशत मतदान हुआ है।दिलचस्प बात यह है कि आदिवासी बहुल मरवाही विस् में 73 फीसदी लोगो ने अपने वोट डाले।इस तरह बिलासपुर विस् क्षेत्र के शहरी मतदाता वोट डालने के मामले में ग्रामीण क्षेत्रों से भी पिछड़ गए है।वैसे पिछले कई चुनाव के आंकड़े बताते है कि बिलासपुर शहरी विस् क्षेत्र में मतदान का प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों से कम रहा है।

2008 के विधानसभा चुनाव में बिलासपुर में 61.21 फीसदी वोट डाले गए थे।2013 के विधानसभा चुनाव में 60.72 वोट पड़े।2018 के पिछले विधानसभा चुनाव में 61.34 वोट डाले गए।2008 के लोकसभा चुनाव में बिलासपुर विधानसभा में 49.90 प्रतिशत,2014 के लोकसभा चुनाव में 57.02 वोट पड़े।

बिलासपुर विधानसभा क्षेत्र में मतदान का यह प्रतिशत बिलासपुर जिले की अन्य विधानसभा क्षेत्रों के मुकाबले सबसे कम है।मौजूद लोकसभा चुनाव में भी यह मिथक बरकरार रहा और।मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए चले अभियानों को दरकिनार कर मतदाताओं ने कम प्रतिशत का आंकड़ा बरकरार रखा।

हालांकि मतदान के दिन सुबह से दोपहर व शाम तक मतदान केंद्रों में लगी लम्बी लाइनों को देखकर उम्मीद थी कि बिलासपुर विधानसभा क्षेत्र में भी वोटिंग का प्रतिशत बढ सकता है लेकिन अनंतिम आँकड़े बताते है कि बिलासपुर विधानसभा क्षेत्र एक बार फिर पिछड़ गया।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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