विराट के अपहरण के बाद मांगी थी 6 करोड़ की फिरौती …. वारदात में शामिल थे 5 लोग… IG ने किया खुलासा

Chief Editor
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बिलासपुर । शहर के करबला रोड में रहने वाले विवेक सराफ के बेटे विराट का अपहरण 6 करोड़ रुपए की फिरौती के लिए किया गया था। इस वारदात में 5 लोग शामिल थे। जिसमें से तीन पकड़ लिए गए हैं। वारदात का मास्टरमाइंड बिहार का रहने वाला है और वह अभी पुलिस की पकड़ से बाहर है। अपहृत बच्चे की सकुशल वापसी के बाद शुक्रवार को बिलासपुर रेंज के आईजी प्रदीप गुप्ता ने मंथन सभा कक्ष में वारदात की पूरी कहानी बताई।

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आईजी प्रदीप गुप्ता ने बताया कि विराट का अपहरण 21 अप्रैल को रात करीब 8 बजकर 20 मिनट पर किया गया था। जिसमें पाँच लोग शामिल थे। लेकिन बच्चे को करबला रोड से उठाने के लिए एक वैगन आर कार में तीन लोग पहुंचे थे। जो  यहां से रायपुर रोड पर गए । जहां चकरभाठा के पास गाड़ी बदल दी गई और बच्चे के साथ अपहरणकर्ता भी एक डस्टर गाड़ी  में सवार होकर गौरवपथ के पास स्थित एक मकान में पहुंचे । जहां पर बच्चे को रखा गया था। यह मकान राजकिशोर सिंह ने किराए पर ले रखा है। जो खुद बिहार का रहने वाला है और बिलासपुर में पिछले कई साल से रहकर टाइल्स – ट्रांस्पोर्ट का कारोबार चलाता है। उसने दिल्ली में रहने वाले बिहार के अनिल सिंह ठाकुर, हरिकृष्ण उर्फ विसाल कुमार और रतनपुर के सतीश शर्मा के साथ मिलकर इस वारदात को अंजाम दिया।

आईजी ने बताया कि अपहरण के बाद बच्चे को गौरवपथ के पास मकान में रखा गया और वारदात का सरगना राजकिशोर सिंह खुद  बिहार चला गया । वहां से उसने 23 अप्रैल को विवेक सराफ को फोन कर बच्चे के बदले 6 करोड़ की फिरौती मांगी। जिसे देने में विवेक सराफ ने असमर्थता जताई थी। इस बीच राजकिशोर सिंह के बारे में पता लगाने की कोशिश पुलिस करती रही। उसने कुशीनगर और देवरिया से फोन किया। लेकिन अपनी जगह लगातार बदलता रहा। इस बीच पुलिस को मामले से जुडे कुछ सूत्र हाथ लगे। जिसके आधार पर पुलिस आगे बढ़ी और गौरवपथ स्थित उस मकान तक पहुंची। यह ऑपरेशन गुरूवार की रात करीब 10 बजे से शुरू हुआ और सुबह तक चला। आखिर सुबह पुलिस ने मकान के बाहर लगा ताला तोड़कर बच्चे को अपहरणकर्ताओँ के चंगुल से बाहर निकाला। बच्चे को पुलिस ने सकुशल उसके घर – परिवार तक पहुंचाया । मामले में तीन आरोपी हरिकृष्ण उर्फ विशाल कुमार, अनिल सिंह और सतीश शर्मा पकड़े गए हैं। वारदात का सरगना राजकिशोर सिंह फरार है ।

आईजी प्रदीप गुप्ता ने बताया कि इस तरह की घटना पुलिस के लिए एक अग्निपरीक्षा होती है। लेकिन इसमें बिलासपुर एसपी अभिषेक मीणा और उनकी पूरी टीम ने  बेहतर ढ़ंग से काम किया। इस मामले में डीजीपी डीएम अवस्थी नें भी निर्देश दिए थे।

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