त्रिवेणी डेन्टल कालेजः पानी के लिए हाहाकार..शुतुुमुर्ग प्रबंधन की दादागिरी…बच्चे आयल टैंकर का पानी पीने को मजबूर

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर– ऊंची डेन्टल दुकान फीका पकवान..त्रिवेणी डेन्टल कालेज पर सौ टका साबित होता है। कोयला माफियों के कालेज में चैयरमैन,प्रोफेसर और डीन को आरओ और मिनरल वाटर ना मिले तो बीमार पड़ जाते हैं। लेकिन छात्र छात्राओं को म्यूनिसिपल्टी का भी पानी नसीब नहीं है। जबकि इन्ही के दम पर कालेज स्टाफ ऐश कर रहा है। पिछले पन्द्रह बीस दिनों से डेन्टल कालेज के छात्र-छात्राएं पानी के लिए हाहाकार कर रहे हैं। लेकिन प्रबन्धन शुतुरमुर्ग की तरह रेत में सिर छिपाकर परेशानी हटने की उम्मीद कर रहा है।  मामला जब हाथ से बाहर निकलते देखा तो छात्र छात्राओं को पानी की सुविधा देने की वजाय मानसून आने तक छुट्टी पर भेज दिया है।

             
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                               कोयला माफिया का त्रिवेणी डेन्टल कालेज के छात्र छात्राओं ने पानी के लिए एक दिन पहले प्रबंधन का घेराव किया। यद्यपि पिछले पन्द्रह दिनों से पानी के लिए छात्र-छात्राएं प्रबंधन से दो दो हाथ कर रही हैं। मामला सीधे सीधे हल होता नहीं दिखायी दिया तो छात्र छात्राओं ने  एक होकर प्रबंधन का घेराव किया। मामला मीडिया तक पहुंच गया। इसके बाद प्रबंधन ने सभी छात्र छात्राओं को 25 दिन की छुट्टी पर भेज दिया है।

                             बताते चलें कि देश और प्रदेश में नामचीन त्रिवेणी डेन्टल कालेज के बच्चों ने पानी को लेकर प्रबंधन के खिलाफ जंग का एलान किया है। एक दिन पहले सभी छात्र छात्राओं ने प्रबंधन का घेराव कर फीस लौटाने और सुविधा नहीं दिए जाने पर कालेज बन्द करने की  मांग की। नाम नहीं छापने की शर्त पर कई छात्र छात्राओं ने बताया कि पानी की समस्या पिछले कई साल से है। लेकिन आज की स्थिति का मना हमें मई और जून में ही करना पड़ता था। बावजूद इसके हमने हर साल प्रबंधन के साथ सामंजस्य बैठाया। जैसे ही गर्मी खत्म हुई..प्रबंधन ने पानी की समस्या की तरफ ध्यान नहीं दिया। यह जानते हुए भी कि सभी छात्र छात्राओं से सुविधा के नाम पर सालाना लाखों रूपए वसूल किए जाते हैं। लेकिन सुविधाएं नहीं दी जाती है।

एक बोर के सहारे 600 छात्र-छात्राएं

             छात्र-छात्राओं ने बताया कि कालेज में मात्र एक बोर है। लेकिन पिछले तीन सालों से गर्मी आते ही सूख जाता है। 600 से अधिक स्टूडेन्ट को इसी बोर से पानी दिया जाता है। इस बार फरवरी खत्म होने के साथ मार्च से ही पानी की समस्या बढ़ गयी। मार्च में हमने पानी को लेकर प्रबंधन से शिकायत की। लेकिन हमेशा की तरह शिकायत को अनसुना कर दिया गया।

दो घंटे पानी देने का आदेश

                      मार्च खत्म होते पानी की समस्या कुछ ज्यादा बढ़ गयी। प्रबंधन ने दबाव में आकर आदेश दिया कि अब दिन में सिर्फ दो घण्टे ही पानी दिया जाएगा। दो घंटे तो दूर मात्र दो चार दिन ही 600 छात्र छात्राओं के बीच पन्द्रह मिनट के लिए पानी की सप्लाई हुई। बाद में उसे भी बंन्द कर दिया गया। बताया गया कि इससे ज्यादा पानी किसी को नहीं दिया जाएगा। पीने टैंकर से दिया जाने लगा। फिर भी पानी की किल्लत अब भी जस की तस है।

आयल टैंकर से पानी सप्लाई

                        छात्र छात्राओं ने बताया कि जिस टैंकर से पानी की सप्लाई की जा रही है। उससे तेल की गंध आती है। पानी की गुणवत्ता भी घटिया है। फिर भी छात्र पीने के लिए मजबूर हैं। टैंकर से पानी दूसरी तीसरी मंजिल तक ले जाना पड़ता है। पानी चढ़ना छात्राओं के लिए बहुत बड़ी परेशानी है।

सुविधा के नाम पर जमकर वसूली

              छात्र छात्राओं ने बताया कि त्रिवेणी डेन्टल कालेज में देश के कोने कोने से लोग पढ़ने आते हैं। प्रवेश के समय सुविधा के नाम भारी भरकम फीस लिया जाता है। लेकिन सुविधाएं नाम मात्र की नहीं है। लायब्रेरी की हालत बद से बदतर है। कालेज में कुल 600 स्ट्रैन्थ है। प्रत्येक स्टूडेन्ट से सालाना एक लाख तिरासी हजार सात सौ रूपए लिए जाते हैं। रहने की सुविधा के अलावा हमें खाने पीने का अलग से खर्च करना पड़ता है। फेकल्टी की भी कमी है।

जबरदस्ती छुट्टी दी गयी

                             जानकारी अनुसार प्रबंधन ने मुसीबत से बचने हमेशा की तरह शुतुरमुर्ग की तरह रेत में सिर छिपाकर समस्या टलने का इंतजार करता है। इस बार भी कुछ ऐसी ही किया गया। फायनल को छोड़कर प्रथम द्वितीय और तृतीय वर्ष के स्टूडेन्ट को जबरदस्ती छुट्टी पर भेजा जा रहा है। यह जानते हुए भी ज्यादातर बच्चे दूर प्रदेश के हैं। उनकी टिकट भी कन्फर्म नहीं है। ऐसा करना माता पिता पर अतिरिक्त बोझ है। बावजूद इसके त्रिवेणी कालेज प्रबंधन अपनी दादागिरी से बाज नहीं आ रहा है।

कूलर और मेंढक और मकड़ी का डेरा… फेल करने की धमकी

                    कई स्टूडेन्ट ने बताया कि हम लोग यहां पढ़ने और डिग्री लेने आए हैं। समस्या लेकर जब प्रबंधन के पास जाते हैं..तो मुंह बंन्द करने की धमकी दी जाती है। कहा जाता है कि नेतागिरी करने वालों को फेल कर दिया जाएगा। कालेज में साफ सफाई की स्थिति बद से बदतर है। कूलर में मेंढक और मकड़ी का डेरा है। पानी टंकी की हालत बताने लायक नहीं है। जगह जगह काक्रोच को देखा जा सकता है। मेस की सुविधा पर कुछ कहने से डर लगता है। फिलहाल पानी नही होने से हाहाकार की स्थिति है। समझ में नहीं आता कि दो तीन लाख रूपए सालाना खर्च करने के बाद भी हमें तकलीफ क्यों दिया जा रहा है।

जिला प्रशासन से करेंगे शिकायत

     नाराज छात्र छात्राओं ने बताया कि पानी हमारे लिए बहुत बड़ी समस्या है। हम लोगों ने फैसला किया है कि जिला प्रशासन से मामले में लिखित शिकायत करेंगे। जरूरी होगा तो धरना प्रदर्शन भी करेंगे। इसके अलावा प्रबंधन की अन्य कारस्तानियों को भी सामने रखेंगे।

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