स्कूलों में समर क्लास लगाने का चौतरफा विरोध,शिक्षक-पालक-छात्र-सभी पर भारी पड़ रहा सरकारी फरमान

Shri Mi
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राज्य शासन ,संतान पालन अवकाश,प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा,छत्तीसगढ़ पंचायत न नि शिक्षक संघ,रायपुर । प्रदेश में ग्रीष्मकालीन अवकाश में स्कुलो में समर कैंपो का विरोध पूरे राज्य भर में हो रहा है।शिक्षक अधिकारीयो के आदेश साल के दस महीने तो सह लेते है। परन्तु समर कैम्प को बर्दाश्त नही कर रहे है और लगातार सभी जगह से विरोध के स्वर सुनाई दे रहे हैं । इस संबंध में शिक्षक नेताओ आम शिक्षको व पालको सहित छात्रो का कहना है कि ग्रीष्म कालीन अवकाश केवल छुट्टी नहीं है, बल्कि अध्ययन – अध्यापन से जुड़े लोगों के तरो ताजा होने का एक अवसर है, जिसे समाप्त कर समर क्लास जैसा प्रयोग गलत साबित होगा।सीजीवालडॉटकॉम के Whatsapp ग्रुप से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करे

शिक्षक पंचायत व नगरीय निकाय संघ के प्रांताध्यक्ष संजय शर्मा ने बताया कि शिक्षक वर्ष भर निरन्तर अध्यापन सह अन्य शिक्षा सेवा देते है, शासकीय कार्य, या विशेष पर्व हो तो अवकाश के दिन भी शाला आकर अपना दायित्व पूर्ण करते है।

अन्य विभाग के शासकीय कर्मचारियो को द्वितीय व तृतीय शनिवार को अवकाश मिलता है, साथ ही उन्हें 30 से 70 दिन तक का अर्जित अवकाश मिलता है,,शिक्षको को शनिवार को अवकाश नही मिलता, और न ही उन्हें 30 दिन का अर्जित अवकाश मिलता है,।

शिक्षको को मात्र 10 दिन का अर्जित अवकाश मिलता है,,भारत मे गर्मी के मौसम की प्रतिकूलता के कारण 2 माह का ग्रीष्मावकाश मिलता था,,जिसे अब 45 दिन डेढ़ माह कर दिया गया है।

साल भर एक ही विधा शिक्षा में कार्य करने के बाद रिफ्रेश के लिए अपने परिवार के साथ भ्रमण के भी कार्य करते है, बीच सत्र में शाला से अलग जाना संभव नही होता है।

शिक्षको के लिए यह अवकाश बौद्धिक दृढ़ता, शिक्षकीय प्रतिबद्धता, स्वाध्याय, और नवाचार के अन्वेषण तथा उसके क्रियान्वयन के सोच के लिए मिलता है, इस अवकाश में ही शिक्षक अन्य संदर्भ से अपने शिक्षकीय ज्ञान में अभिवृद्धि कर आने वाले शिक्षा सत्र की पूर्ण तैयारी कर अपडेट होते है।

संयुक्त शिक्षक संघ छ ग प्रान्तीय महासचिव

कार्तिक गायकवाड़ ने बताया कि छात्र और शिक्षक को ग्रीष्म कालीन अवकाश देना जरुरी है । शिक्षा विभाग का वार्षिक केलेंडर

में साल भर व्यस्त कार्यक्रम रहता है ।

दशहरा 2 दिन दीवाली अवकाश केवल 5 दिन तक शीतकालीन 4 दिन सीमित ही गया है ऎसे में भीषण गर्मी प्रतिकुल परिस्थिति में मानसिक विश्राम स्वध्ययन की आवश्यकता होती है ऐसा शिक्षा का अधिकार अधिनियम भी कहता है ।

ग्रीष्मावकाश में शाला लगाए जाने पर हमें अपने शिक्षा विभाग के नियमों की  जानकारी होनी चाहिए ।

हमारे राज्य में शिक्षक संहिता तथा शिक्षा का अधिकार कानून 2009 केंद्रीय नियम प्रभावी है। उपरोक्त कानून लागू होने से शैक्षणिक संस्थानों कक्षा 1 से 12 तक की शालाओ में मानसिक विश्राम के लिए ग्रीष्मकालीन अवकाश प्रावधान कर घोषित किए गए हैं।

शासकीय बहुदेशीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के छात्रों ने चर्चा में बताया कि साल भर माता पिता बाहर घूमने से लेकर नानी – नाना ,मामा -मामी के घर जाने को लेकर टालते रहते है। गर्मी की छुटियो में माता पिता हमारे लिए समय निकाल लेते है। अगर समर कैम्प के नाम से गर्मी की छुट्टियों में वापस स्कूल भेज दिया जायेगा तो नए सत्र की पढ़ाई बोझिल हो जायेगी ।

By Shri Mi
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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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