शिक्षकों के लिए एक और फरमान : कलेक्टर का आदेश हेडक्वार्टर का प्रमाण पत्र पेश करें, संघ ने किया विरोध

Shri Mi
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राजनांदगांव-
राजनांदगांव कलेक्टर ने 03 मई को आदेश जारी किया है, जिसमे अधिकारी व शिक्षकों को अपने कार्यालय में निवास सुनिश्चित करने तथा निर्धारित प्रपत्र में प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने का आदेश है।छत्तीसगढ़ पंचायत ननि शिक्षक संघ के प्रदेशाध्यक्ष संजय शर्मा एवं प्रदेश उपाध्यक्ष हरेंद्र सिंह, देवनाथ साहू, बसंत चतुर्वेदी, प्रवीण श्रीवास्तव, विनोद गुप्ता, प्रांतीय सचिव मनोज सनाढ्य, प्रांतीय कोषाध्यक्ष शैलेन्द्र पारीक, प्रांतीय संयोजक सुधीर प्रधान, प्रदेश मीडिया प्रभारी विवेक दुबे ने राजनांदगांव कलेक्टर के आदेश को शिक्षकों के मनोबल को कमजोर करने वाला आदेश बताते हुए कहा है, कि जब विभागीय व प्रशासनिक अधिकारियो द्वारा समय समय पर शालाओं का निरीक्षण किया ही जाता है तब पंचायत / नगरीय निकाय प्रतिनिधि/ सदस्यों के हस्ताक्षरयुक्त प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने पर ही वेतन भुगतान करने का आदेश का कोई औचित्य नही है।सीजीवालडॉटकॉम के Whatsapp ग्रुप से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करे

प्रत्येक माह समय पर पंचायत/नगरीय निकाय की बैठक हो पाना सम्भव नही,,उक्त बैठक में दो तिहाई सदस्य उपस्थित नही रहते, कई बार कोरम के अभाव में बैठक स्थगित करना पड़ता है, शिक्षको को समय पर वेतन भुगतान हो पाना मुमकीन नही होगा।केवल शिक्षा विभाग के लिए आदेश जारी करने का अर्थ होता है, कि सभी विभाग बेहतर कार्य कर रहे है, केवल शिक्षा विभाग में और ध्यान देने की जरूरत हुई है, जबकि सबसे बेहतर कार्य शिक्षक ही करते है, यह कई बार प्रमाणित हो चुका है।

शिक्षण कार्य तो निरन्तर उत्कृष्ट हुआ है, यह परीक्षा परिणाम से समझा जा सकता है।राजनांदगांव कलेक्टर ने शिक्षा विभाग के अधिकारियो पर भरोसा नही किया है, इसीलिए उनके निरीक्षण अधिकार को दरकिनार कर यह आदेश जारी किया है।कलेक्टर सभी विभाग के उच्चाधिकारी है, जब विभाग को अपने कर्मचारियों पर भरोसा नही है, तो शिक्षा गुणवत्ता में वृद्धि की अपेक्षा करना भी बंद करें।

संघ पदाधिकारियो ने मांग किया है कि जिला कलेक्टर, मुख्यालय में रहने के लिए पहले शाला के निकट आवास बनवाए।संघ ने शासन से मांग किया है कि शासन मकान भाड़ा हेतु पर्याप्त आवास भत्ता का प्रावधान करें, या राजनांदगांव कलेक्टर के आदेश को निरस्त करे।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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