युगों से दोहराई जाती, एक प्रेम कथा……. वनरानी ने बुलाया और वनराज चला आया……

Chief Editor
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  ( प्राण चड्ढा ) 10 मई सन्ध्या मध्यप्रदेश में टाइगर के घर के नाम से अभिहित बाँधवगढ़ के ताला में एक टाइग्रेस कजरीं रह-रह कर मीटिंग काल देते मिली, वह मैदान में मीर्टिंग काल देते करीब सड़क तक आयी।
जिप्सी से यह सफारी का हमारा दूसरा दिन था,पहले दिन दो सफारी में कुछ खास नहीं मिला पर अब रब ने हमारे लिए मुकद्दर के दरवाजें खोल दिए थे। बिलासपुर से हमारी टीम पारिवारिक थी,जिसमें वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर विक्रम खन्ना, उनकी धर्मपत्नी सुलेखा और बेटी सिमरन थी सबने मीटिंग काल देती टाइग्रेस की फोटो ली।
दूसरे दिन फिर ताला गेट से तड़के जिप्सी से भीतर आये, जिप्सी हमारा मेजबान शरद बांधवगढ़ चला रहा था। पहले स्पॉटी की फोटों ली और तय हुआ वही चलें जहां कल कजरीं ‘मीटिंग काल’ कर रहीं थी।
यहां पहुँचे तो कजरीं पेड़ के नीचे चाट कर बदन साफ कर रही थी। हमसे पहले कुछ जिप्सी आ गई थी और कजरीं का फोटो सत्र चल रहा था। कजरीं उठी और नीचे करीब बहती जलधारा से पानी पिया। लेकिन अचानक वो सतर्क हों दबे पांव ऊपर की तरफ बढ़ी।पहले लगा किसी का शिकार करने वह झाड़ी में खो गयीं पर हैरत तब हुई जब थोड़ी देर बाद कजरीं,अपने साथी टाइगर बनदेही मेल को ले आयी थी। कल वह जिसके लिए मेटिंगकाल कर रही थी।वह सामने था, उसका साथी आकार में बीस फीसदी से अधिक और बलिष्ठ दिखा। चीतल मौके का समझ खतरे की अलार्म काल देते फर्राटा दौड़ रहे थे।
कजरीं खुश थी और अपना प्रेम टाइगर के गले मिल कर प्रकट कर रही थी। वह दोनों आगे बढ़ते जाते मैदान के किनारे सड़क पर जिप्सी पर कैमरे लिए सैलानी। बीच बीच में दहाड़ने की विस्फोट आवाज आती। कुछ दूर चल कजरीं टाइगर के सामने छांव में बैठ कर टाइगर को प्रणय के लिए आमंत्रित करती. फिर मिलन की घड़ी भी आ गई। कैमरे मशीनगन की स्पीड से चलने लगे दो मिनट प्रणय चला और फिर दोनों आगे बढ़ चले। अब जब टाइगर झाड़ियों से बाहर आया तो जबड़े में चीतल का छौना लटक रहा था। पता भी नहीं लगा इसने कब शिकार क़िया रतिश्रम से विनष्ट ऊर्जा की पूर्ति फिर झाड़ी में इस नाश्ते से की।
तभी दूर किसी टाइगर के गर्जन की आवाज सुनाई दी। पर गाइड और शरद बाँधवगढ़ ने बताया, यह टाइग्रेस बनदेही का इलाका है और कजरी उस गर्जन को सुन वापस लौट गई जबकि बनदेही मेल आगे बढ़ गया। किसी भी टाइगर अपना एक इलाका होता है जिसमें वह गश्त कर अपने प्रभुत्व निशान बनता रहता है। उसके इस इलाके में कोई और नर नही होता पर मादा एक से अधिक हो सकतीं हैं।

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