अमित जोगी ने CM भूपेश बघेल को लिखा पत्र,कहा-किसानों की परेशानी को दूर करने पूरी करिए तीन मांग

Shri Mi
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रायपुर।
जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने मुख्यमंत्री को क़र्ज़ माफ़ी को लेकर लेकर पत्र लिखा है। पत्र के जरिये उन्होंने तीन माँग रखी है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा है कि भूपेश सरकार द्वारा पारित ऋण माफ़ी आदेश में समय-सीमा निर्धारण और वित्तीय प्रावधान के अभाव में इस आदेश का मूल्य उस कागज से भी कम है जिस पर वह छपा है। उन्होंने आरोप लगाया है कि जोगी जी के शपथ पत्र की जन घोषणा पत्र में नक़ल करने का ख़ामियाज़ा छत्तीसगढ़ के 70 लाख किसान भुगत रहे हैं।सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप्प ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां क्लिक करे

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– जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) ने सरकार से तीन माँग की है:

1-राष्ट्रीय और निजी बैंकों से लिए मध्य और दीर्घक़ालीन ऋणों की माफ़ी के वन टाइम सेटल्मेंट (OTS) की राशि पर समझौता करने के लिए १ महीने की समय सीमा निर्धारित करे
2-OTS की राशि चुकाने के लिए सरकार संसाधन कहाँ से, कैसे और कब तक उपलब्ध कराएगी, इसका स्पष्ट उल्लेख वित्त सचिव के ज्ञापन में आगामी विधान सभा सत्र के प्रथम दिन ही पटल पर रखे वरना विधान सभा चलने नहीं देंगे
3-सभी बैंकों को किसानों को ऋण चुकाने के नोटिस भेजने अथवा उनके विरुद्ध अन्य कोई क़ानूनी कार्यवाही करने पर रोक लगाने के लिए तीन दिन के भीतर राजपत्र में असामान्य (एक्स्ट्राऑर्डिनेरी) अधिसूचना पारित करे

पत्र-

माननीय मुख्यमंत्री जी,

आपकी सरकार द्वारा दस दिनों में सम्पूर्ण कर्ज माफ़ी की घोषणा के पाँच महीने बीत जाने के बाद भी बैंक किसानों को ऋण चुकाने के नोटिस भेज रहे हैं; और ऋण न चुकाने पर उनको जेल भेज रहे हैं। कल ही तीन वर्षों से अकाल-ग्रसित विधानसभा क्षेत्र मरवाही के 700 किसानों को लगभग 20 करोड़ रुपए का कृषि ऋण पटाने के लिये भारतीय स्टेट बैंक की पेंड्रा शाखा के द्वारा नोटिस दिया गया है जिससे किसान परेशान हो गए हैं। नोटिस से परेशान किसान जब बैंक में जाकर कहते हैं कि शासन ने उनका कर्ज माफ कर दिया है फिर उन्हें नोटिस क्यों दिया जा रहा है तो बैंक प्रबंधन द्वारा किसानों को साफ-साफ कहा जा रहा है कि छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा ऋणी किसानों के खाते में ऋण राशि जमा नहीं कराया गया है इसलिए बैंक के उच्च प्रबंधन के निर्देश पर किसानों को नोटिस देकर कर्ज की वसूली की जा रही है।

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छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा किसानों के कृषि ऋण की राशि को बैंकों में जमा नहीं कराए जाने के कारण पूरे प्रदेश में कर्जदार किसानों को बैंक प्रबंधन द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा है जिसका उदाहरण बस्तर ब्लाक के किसान तुलाराम मौर्य एवं सुखदास हैं जिन्हें कर्ज नहीं पटा पाने के कारण बैंक प्रबंधन द्वारा जेल भेजवा दिया था।

गत वर्ष 07 जून 2018 को मरवाही के ग्राम पिपरिया निवासी आदिवासी किसान सुरेश सिंह मराबी पिता स्व. निरंजन सिंह मराबी ने सहकारी बैंक द्वारा दिये गए कर्ज वसूली की नोटिस और बैंक प्रबंधन द्वारा कर्ज पटाने के लिए बनाए जा रहे दबाव से प्रताड़ित होकर आत्महत्या कर लिया था जिसके बाद इस मामले में लीपापोती करने के लिए तत्कालीन सरकार ने किसान के आत्महत्या करने के दूसरे दिन 08 जून को उसके खाते में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का 01 लाख 79 हजार 5 सौ 47 रुपए जमा कराया था।

तीन दिन पूर्व जब बस्तर के दो आदिवासी-किसानों को ऋण न चुका पाने और चेक बाउंस होने के बाद जेल भेज दिया गया था, तब भी आपकी सरकार ने मात्र लीपापोती करने का काम करा। सरकार की और सत्ताधारी पार्टी के प्रदेश संचार विभाग के अध्यक्ष की अधिकृत प्रतिक्रिया से दो बातें तो स्पष्ट हो गई हैं:

पहली बात- जेल भेजे किसानों के नाम से लिया गया ऋण राष्ट्रीय बैंकों से लिया दीर्घक़ालीन ऋण था। एकनॉमिक एंड पोलिटिकल वीकली मैगज़ीन में प्रकाशित एक शोध के अनुसार इस प्रकार के ऋण किसानों द्वारा लिए गए कुल ऋणों का 72% हिस्सा है। इनको माफ़ करने के तथाकथित आदेश में भूपेश सरकार ने अब तक न तो कोई समय सीमा निर्धारित करी है और न ही कोई वित्तीय प्रावधान रखा है। समय-सीमा और संसाधन के अभाव में इस आदेश का मूल्य उस कागज से भी कम है जिस पर वह छपा है।

दूसरी बात- सरकार की तरफ़ से जेल में बंद किसानों को विधिक सहायता देने और SDM से उनके ख़िलाफ़ हुई धोखाधड़ी की जाँच कराने की घोषणा हुई है। कर्ज-माफ़ी की जो मूल बात है जिसके आधार पर इस सरकार को ऐतिहासिक बहुमत मिला- और जो कर्ज से लदे किसानों की समस्या का एकमात्र समाधान है- का आज तक कोई उल्लेख नहीं किया गया है।

इस से इतना तो सिद्ध हो गया है कि आपने आदरणीय अजीत जोगी जी के शपथ पत्र की बिना अक़्ल लगाए सिर्फ़ नक़ल करी है। इतने गम्भीर विषय में आपके दल द्वारा चुनाव पूर्व जन घोषणा पत्र जारी करने के पहले कोई अध्ययन नहीं करा गया है। इसका ख़ामियाज़ा प्रदेश के 70 लाख किसानों को भुगतना पड़ रहा है। अतः इस संदर्भ में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) राज्य सरकार से तीन माँग करती है:
1. राष्ट्रीय और निजी बैंकों से लिए मध्य और दीर्घ क़ालीन ऋणों की माफ़ी के लिए वित्त विभाग के सचिव को वन टाइम सेटल्मेंट (OTS) की राशि पर समझौता करने के लिए १ महीने की समय सीमा निर्धारित की जाए।
2. उपरोक्त OTS की राशि चुकाने के लिए सरकार संसाधन कहाँ से, कैसे और कब तक उपलब्ध कराएगी, इसका स्पष्ट उल्लेख सरकार वित्त विभाग के सचिव के मेमोरैंडम (ज्ञापन) में आगामी विधान सभा सत्र के प्रथम दिन ही पटल पर रखे। ऐसा न करने की स्थिति में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) द्वारा स्थगन प्रस्ताव के माध्यम से विधान सभा की कार्यवाही नहीं चलने दी जाएगी। इस सम्बंध में हम अन्य विपक्षी दलों से भी सहयोग का निवेदन करेंगे।
3. इस प्रक्रिया को आधार बनाकर और उसके पूर्ण होने तक वित्त विभाग के सचिव स्पष्ट रूप से सभी बैंकों को किसानों को ऋण चुकाने के नोटिस भेजने अथवा उनके विरुद्ध अन्य कोई क़ानूनी कार्यवाही करने पर रोक लगाने के लिए तीन दिन के भीतर राजपत्र में असामान्य (एक्स्ट्राऑर्डिनेरी) अधिसूचना के माध्यम से उचित निर्देश पारित करे।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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