ओशो की वसीयत सुनकर छलक गई आँखें

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doबिलासपुर। तिफरा के झूलेलाल मंगलम मे आयोजित ओशो ध्यान शिविर का रविवार को समापन हो गया। तीन दिन तक चले इस ध्यान शिविर के समापन अवसर पर प्रेम और उल्लास का अद्भुत माहौल था। जहां कई सन्यासियों को दीक्षा प्रदान की गयी। शिविर का संचालन कर रहे पूना के स्वामी अशोक भारती ने जब ओशो की वसीयत पढ़कर सुनाई तो सन्यासियों के आँखों में आँसू छलक आए थे।

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ओशो ध्यान शिविर की शुरुवात गुरुवार की शाम हुई थी। इसके संचालन के लिए पूना से विशेष रूप से स्वामी अशोक भारती पँहुचे थे, शिविर मे तीन दिनो तक ध्यान के कई प्रयोग कराये गए। यह शिविर कई मायनों में अनूठा रहा चूंकि इसका संचालन कर रहे स्वामी अशोक भारती ओशो के समय उनके प्रिय शिष्यों मे से एक रहे और अपनी मधुर आवाज़ में उनके लिए गीत गाते रहे।इसकी झलक यहाँ के शिविर मे भी नज़र आई। गीत संगीत से सराबोर इस शिविर में सन्यासियों को भक्ति के सागर में गोता लगाने का अवसर मिला।

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शिविर स्थल तीन दिनो तक ओशोमय रहा। रविवार को सन्यास दीक्षा उत्सव के साथ शिविर का समापन हुआ। इस अवसर पर स्वामी अशोक भारती ने कई सन्यासियों को दीक्षा प्रदान की। शिविर मे शामिल सन्यासियों ने नाचते गाते उत्सव मनाकर उनका अभिवादन किया। इस दौरान शिविर मे अद्भुत माहौल नज़र आया। शिविर के समापन के समय और स्थान पर ओशो की उपस्थिति का प्रयोग करते समय सभी सन्यासी अहोभाव से भरे हुए नज़र आए।

आखिर मे स्वामी अशोक भारती  ने ओशो की वसीयत का वाचन किया। जिसमे ओशो ने संदेश दिया है कि जो भी सन्यासी उन्हे प्रेम पूर्वक याद करेंगे वे ओशो को अपने साथ पाएंगे। प्रेम और करुणा से भरा संदेश सुनकर सन्यासियों कि आँखें छलक आई। समापन के साथ ही ओशो सन्यासी प्रेम पूर्णा माहौल मे विदा हुए।

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