महापौर ने किया कविता चौपाटी से- का शुभारम्भ…कहा…मील का पत्थर साबित होगी…साहित्यकारों की मुहिम

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—रिवरव्यू में महापौर किशोर राय ने ‘कविता चौपाटी से’ का शुभारम्भ किा। ‘कविता चौपटी से’ में प्रथम रचना छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ गीतकार स्व.लखन लाल विश्वकर्मा की रचना ‘छत्तीसगढ़ महतारी के वंदना’ प्रकाशित की गयी। स्वर्गीय लखन लाल विश्वकर्मी की कविता का पाठ उनके सुपुत्र डीपी विश्वकर्मा ने किया। उपस्थित जनों से कविता को जमकर सराहना मिली। महापौर श्री राय ने ‘कविता चौराहे से’ की मुहिम की तारीफ़ की और कहा कि बिलासपुर न्यायधानी के साथ संस्कारधानी भी है। यहां विभिन्न साहित्यिक समितियां हैं। साहित्यकार और समितियां संस्कारधानी के साहित्य को नई ऊंचाइयां प्रदान कर रही है।
                  कविता चौपाटी से कार्यक्रम को मेयर ने जमकर तारीफ की। उन्होेने कहा कि ‘कविता चौपाटी से’ आम जन केवल शहर के कवियों और साहित्यकारों से परिचित होने के साथ उनकी रचनाओं और  भाव से जुड़ेंगे। मेयर ने कार्यक्रम को सफल बनाने अपनी तरफ से हर संभव सहयोग का आश्वासन या। कार्यक्रम में आचार्य गिरधर शर्मा ने भी अपनी बातों को रखा। उन्होने बताया कि ‘कविता चौपाटी से’ साहित्य हित में उठाया गया प्रबल क़दम है।
                ‘कविता चौपाटी से’ के विषय में वरिष्ठ कवि राजेन्द्र मौर्य ने कहा इसमें विभिन्न कवियों की रचनाएं पंद्रह दिनों के अंतराल में प्रकाशित की जाएंगी। रिवरव्यू के अलावा शहर के 4 और मुख्य चौराहों पर भी इसका प्रकाशन होगा। इसके लिए शहर के चार प्रमुख स्थान रेलवे स्टेशन, मैग्नेटो मॉल, बजरंग चौक आर के नगर और गांधी चौक को चुना गया है। कार्यक्रम के जरिए लोगों में साहित्य के प्रति जागरूक करने के साथ नए रचनाकारों को प्रेरित करने का संकल्प लिया गया है।
              कार्यक्रम की रूपरेखा नितेश पाटकर ने तैयार किया है। पाटकर ने बताया कि शहर में साहित्यिक वातावरण केवल कवियों और साहित्यकारों तक ही सीमित है। आम जनता से जोड़ने के लिए ‘कविता चौराहे से’ की शुरुआत की गई है। ‘कविता चौपटी से’ बिलासपुर शहर के सभी साहित्यकारों के मार्गदर्शन और आर्थिक सहयोग से शुरू किया गया है।
                  कार्यक्रम का संचालन कुमार पांडे ने किया और आभार प्रदर्शन बिलासपुर साहित्य समिति के संस्थापक अध्यक्ष बल्लू दुबे ने किया। इस अवसर पर सुश्री हनी चौबे ‘मधुक्षरा’, वासंती वर्मा, सुनीता, आचार्य गिरधर शर्मा, बल्लू दुबे, महेश श्रीवास, विजय तिवारी, जाधव, साहू  डॉ. सुधाकर बिबे, राजीव खंडेलवाल, बुधराम यादव, रामेश्वर गुप्ता, श्रीकुमार पांडेय, नितेश पाटकर, प्रियांशु कश्यप, अश्विनी पाण्डेय, बालमुकुंद पाण्डेय, राधेश्याम पटेल, स्वर्णिम शुक्ला, सुमित शर्मा, बालक दास, कुमार पलास, नरेंद्र कौशिक, केवल कृष्ण पाठक, श्रीधर आचार्य और अन्य गणमान्य लोगों के साथ साहित्यकार  मौजूद थे।
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