बिलासपुर— अखिल भारतीय विकलांग चेतना परिषद के बैनर तले आज भाजपा के मुख्य पत्र के पांचजन्य के संपादक हितेश शंकर ने आज पत्रकारों से बातचीत की। इस मौके पर उन्होंने सरसंघ संचालक भागवत के बयान का बचाव करते हुए कहा कि लोगों ने उन्हें और उनके साक्षात्कार को ठीक से नहीं पढ़ा है इसलिए लोग बात का बंतगण बता रहे हैं। बिलासपुर प्रेस क्लब में उन्होंने पत्रकारों से बताया कि एकात्म मानव दर्शन पर गहन चिंतन और मनन की जरूरत है। मोहन भागवत ने आरक्षण का विरोध नहीं करते हुए गरीबों को ज्यादा से ज्यादा आक्षण का लाभ मिलने की बात कही है।
दिल्ली पांचजन्य के संपादक आज बिलासपुर प्रेस क्लब में पत्रकारों से रूबरू हुए। इस दौरान पत्रकारों के सवालों का जवाब खुलकर दिया। एक प्रश्न के जवाब में हितेश ने कहा कि मोहन भागवत के बयान को और मीडिया में तोड़मोड़कर पेश किया जा रहा है। उन्होने कहा कि मैने भागवत का इन्टरव्यू लिया था। उसमें आरक्षण खत्म करने जैसी बात नहीं किया गयी है। लोग चांहे तो पूरा इन्टरव्यू आज भी नेट पर पढ़ और सुन सकते हैं। उन्होंने कहा है कि जिन्हें आरक्षण मिल रहा है उसे बनाए रखते हुए। अन्य लोगों को भी इसका फायदा मिले और ऐसे लोगों की पहचान आर्थिक आधार पर हो।
सीजी वाल के एक सवाल पर उन्होंने कहा कि एकात्म मानव दर्शन की बात आज से पांच साल पहले कहां थी। क्यों इस पर अधिक विचार नहीं किया गया। क्या इस समय उस पर जोर दिया जाना जरूरी है। सवाल का जवाब देते हुए शंकर ने कहा कि दीनदयाल को किसी वाद या दल से जोड़कर देखा जाना उचित नहीं हैं। उन्होंने देश के विकास के लिए मानव श्रृखंला के अंतिम व्यक्ति के उत्थान की बात की वकालत की है। जब तक देश का एक-एक व्यक्ति ऊपर नहीं आएगा तब तक देश के समग्र विकास की कल्पना संभव नहीं है। सोशल इंजीनियरिंग में भाजपा पिछड़ी हुई नजर आ रही है। जबकि इसका प्रयोग बीएसपी ने प्रयोग किया और सफल भी रही है। प्रतिप्रश्न पर हितेश शंकर ने कहा कि इस पूरे मामले को राजनीति के चश्मे से देखना ठीक नहीं होगा।
बिहार चुनाव के समय ही आरक्षण का मामला क्यों उठा, इसमें कहीं भाजपा भाजपा की सोची समझी रणनीति तो नहीं है। हितेश ने बताया कि जब बिहार का चुनाव गर्भ में था उसके पहले ही दीनदयाल और एकात्म मानव दर्शन को लेकर पांचजन्य टीम ने विशेषांक निकालना तय कर लिया था। हां यह हमारे पत्र की सोची समझी रणनीति हो सकती है। जैसा की अन्य अखबारों में होता है। लेकिन इसे बिहार चुनाव को लेकर देखा जाए तो गलत है।
हितेश ने बताया कि मोहन भागवत ने अपने साक्षात्कार में आरक्षण हटाने नहीं बल्कि लगाने का समर्थन किया है। उन्होने चेतना परिषद की गतिविधियों को जमकर सरहाना करते हुए कहा कि इस प्रकार के आयोजन से दीनदयाल उपाध्याय के विचारधारा को बल मिलता है। परिषद ने इस दिशा में अभी तक बेहतर कार्य किया है। इस मौके पर साहित्यकार विनय पाठक ने अखिल भारतीय विकलांग चेतना परिषद की गतिविधियों पर प्रकाश डाला।