EVM हैकिंग पर ओपी चौधरी ने लिखा – अफवाह न फैलाएं, जिम्मेदार नागरिक बनें

Shri Mi
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रायपुर।कलेक्टर से भाजपा नेता बने ओ.पी. चौधरी ने ईवीएम में गड़बड़ी को लेकर चल रही खबरों पर अपनी एक टिप्पणी सोशल मीडिया पर साझा की है। जिसमें उन्होंने विस्तार से बताया है कि चुनाव कराने में किस तरह की प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है। साथ ही कहा है कि अफवाहों से बचें, जिम्मेदार नागरिक का कर्तव्य निभाएं ।ओ.पी. चौधरी की ओर से शेयर किया गया पोस्ट जस का तस प्रकाशित कर रहे हैं।सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप्प ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां क्लिक करे

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साभार: “ट्रकों से उतरते EVM देखके जिनको साजिश लग रही है, वो जरा चुनाव की प्रक्रिया को समझें।
5-6 बूथों के लिए एक सेक्टर मजिस्ट्रेट/जोनल प्रभारी नियुक्त किया जाता है, उनके पास रिज़र्व EVM होते हैं जिनका उपयोग चुनाव के दौरान किसी बूथ पर EVM में गड़बड़ी आने पर किया जाता है।

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इन EVM को सेक्टर मजिस्ट्रेट को जमा करते करते कुछ समय लग ही जाता हैं क्योंकि उन मशीनों को जमा कराना ज्यादा जरूरी होता है, जिनसे चुनाव सम्पन्न कराया गया हो। वैसे भी रिज़र्व EVM को स्ट्रांग रूम में जमा नही किया जाता है, उनके लिए अलग से कलेक्शन पॉइंट बनाये जाते हैं।एक बूथ पर चुनाव कराने में कितना प्रक्रिया करना पड़ता है, ये आप समझ नहीं सकते।
आप हैकिंग हैकिंग चिल्ला कर चुनाव में शामिल लाखों कर्मचारियों की निष्ठा पर सवाल उठा रहे हैं।

सेक्टर और जोनल मजिस्ट्रेट के पास जो ईवीएम सेट होता है, वो चुनाव वाले दिन रात 6-8 बजे तक जमा हो पाता है तहसील स्तर के ईवीएम स्टोर मे।। अगले दिन तहसील स्तर के ईवीएम स्टोर से जिला ईवीएम स्टोर जाता है।और यहीं पर कैमरे लिए उसकी फोटो खीचतें है और अफवाह फैलाते है।

इस तरह की अफवाहों को अट्रैक्शन केवल इस लिए मिलता है कि सोशल मीडिया पर उपस्थित 99% अकाउंट कभी असल जिन्दगी में बूथ की चुनाव प्रक्रिया से सीधे जुड़े नही होते हैं।

हर evm की कंट्रोल unit 4 सील से सुरक्षित होती है जिन पर पोलिंग एजेंट के sign रहते है, बाद में इस कंट्रोल यूनिट को एक बक्से में दोबारा 2 सील लगा कर बन्द किया जाता है और इन पर पोलिंग एजेंट भी अपनी पार्टी की सील लगा सकते है।गडबडी करने वाले एजेंट के सील पर हस्ताक्षर कहां से लायेगें और एजेंट तो खुद मतगणना मे यह देखता है !फिर #स्ट्रांग_रूम मे किस तरह लफड़ा होता है ???

क्योंकि एक एक मतदाता का रिकार्ड़ होता है ! कितनी महिलाएं कितने पुरूष ! उनके पहचान पत्र न० सब दर्ज होते है ! और वह रिकार्ड अलग जमा होते है !अब यह कैसे पता चलेगां की कौन सी मशीन मे कितनी वोट है !बाकि मै बताया जा चुका है की मशीनो सीलबंद कमरो मे होती है और उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस और अर्धसैनिक बल करते है।

मेरी माने तो भारत में चुनावी प्रक्रिया को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए ताकि लोग चुनाव में बढ़ चढ़ कर हिस्सा भी लें और इस तरह किसी संस्था पर उंगली भी न उठाएं।”अफवाहों से बचें, जिम्मेदार नागरिक का कर्तव्य निभायें।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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