निगम को होश नहीं…आयुक्त को फुर्सत नहीं…नियम विरूद्ध खतरे के निर्माण को मिली अनुमति…अधिकारियों का दावा..हमें मालूम नहीं

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर– बीते कुछ सालों में शहर में अब तक आगजनी की कई बड़ी घटनाएं हो चुकी है। बावजूद इसके नगर निगम प्रशासन अपनी गलतियों से सबक लेने को तैयार नही है। बिना वेरीफिकेशन नियम कायदा को  ताक पर रखकर निर्माण की ना केवल अनुमति दे रहे हैं बल्कि खतरों को आमंत्रित भी कर रहे हैं। मालूम हो कि मुख्य सड़क पर होने के बाद भी भारत होजियरी को आगजनी में भारी नुकसान का सामना करना पड़ा था। आग पर काबू पाने निगम और जिला प्रशासन को दो दिन दो रात पसीना बहाना पड़ा था। बावजूद इसके निगम प्रशासन ने सबक नहीं लिया। अब ऐसी जगह कामर्शियल काम्पलेक्स निर्माण की अनुमति दी है जहा भविष्य में किसी बड़े हादसे को होने से इंकार नहीं किया जा सकता है।

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                     लगता है कि निगम प्रशासन ने पिछली घटनाओं से अभी तक सबक नहीं लिया है।निगम का भवन शाखा विभाग आज भी नियमों को ताक पर रखकर लोगों की जान जोखिम में डाल रहा है। यह जानते हुए भी भविष्य मे किसी प्रकार की हादसे से इंकार नहीं किया जा सकता है। बावजूद इसके रूपये और रसूखदारों के दबाव में आकर अनाप शनाप निर्माण कार्य की सहमति दे रहा है।

आवासी जमीन का डायवर्सन

                        बताते चलें कि जूना बिलासपुर हल्का के तेलीपारा रोड स्थित नरेश बाजार के पीछे 37 डिसीमल जमीन है। जमीन मुख्य सड़क से 100 मीटर लम्बी और साढ़े पन्द्रह फिट चौड़ी सड़क से जु़डी है। गली में घना बाजार है। सड़क को मिलन गली के नाम से भी जाना जाता है। जमीन किसी रमेशचन्द्र खूबनानी की है। रमेशचन्द्र खूबनानी का सम्बन्ध नरेश बाजार से है। जमीन नरेश बाजार के पीछे एक निश्चित लम्बाई में है। जानकारी यह भी है कि यह जमीन पहले आवासीय थी। लेकिन तीन पांच कर सेठों ने कमर्शियल मद में डायवर्ट करवा लिया। जो निश्चित रूप से आश्चर्य की बात है।

जमीन पर बनेगा कमर्शियल काम्पलेक्स

                      बताया जा रहा है कि जमीन पर कमर्शियल काम्पलेक्स बनाया जाएगा। यह जानते हुए भी कि जमीन बहुत अन्दर है। यहां कमर्शियल काम्पलेक्स बनाया जाना संभव ही नहीं है। कमर्शियल काम्पलेक्स निर्माण की कुछ अपनी शर्तें हैं। लेकिन सभी शर्तों को दरकिनार कर निगम प्रशासन ने निर्माण की अनुमति दी है।

                कुछ लोगों ने दबी जुबान में बताया कि रसूख और रूपयों के आगे सब कुछ संभव है। आखिर निगम के लोग भी तो इंसान हैं। यह जानते हुए भी कि काम्पेल्क्स निर्माण की तमाम शर्तों में सुरक्षा के साथ  निश्चित चौड़ाई में सड़क का भी होना जरूरी है। लेकिन यहां ऐसा कुछ नहीं है। मुख्य सड़क से खाली जमीन तक 100 मीटर और साढ़े पन्द्रह फिट की चौड़ाई सड़क है। दोनों तरफ घना बाजार है। ऐसी सूरत में खाली जमीन में काम्पलेक्स निर्माण की अनुमति हरगिज संभव नहीं है। यदि आवासीय जमीन को कामर्शियल उपयोग के लिए परिवर्तित किया गया है तो यह  भी शासन के निर्देशों का खुला उल्लंघन है।

खतरे में रहेगा काम्पलेक्स

              शर्तों के अनुसार काम्पलेक्स निर्माण के समय सड़क का चालिस फिट का चौड़ा होना बहुत जरूरी है। लेकिन यहां सड़क की चौड़ाई मात्र 15 फिट ही है। यदि काम्पलेक्स को बनाया जाता है तो हमेशा आगजनी या अन्य किसी प्रकार के हादसे के समय रेक्स्यू करने में परेशानी होगी। इस प्रकार का उदाहरण दिल्ली मुम्बई,रायपुर में ही नहीं बल्कि बिलासपुर में भी देखा जा चुका है। बावजूद इसके निगम प्रशासन  आंख बन्द कर लोगों को खतरे में धकेलने से बाज नहीं आ रहा है। शायद इसकी वजह चन्द लाभ होना हो सकता है।

निगम अधिकारी ने कहा हमें नहीं पता

                       मामले में जब अधीक्षण अभियन्ता के कार्यालय पहुंचकर जानने की कोशिश की गयी तो मौके से नदारद मिले। वहीं भवन शाखा के इंजीनियर गोपाल ठाकुर ने कहा कि इसकी हमें जानकारी नहीं है कि आखिर किस आधार पर काम्पलेक्स का निर्माण किया जा रहा है। गोपाल ठाकुर ने कहा कि शायद प्रपोजल में बीस फिट चौड़ी सड़क होगी। इसके बाद उन्होने अपने आप को तत्काल संभालते हुए कहा कि बीस फिट सड़क आवासीय निर्माण में होता है। यहां काम्पलेक्स का निर्माण किया जा रहा है। इसकी जानकारी फिलहाल उन्हें नहीं है। शायद जमीन मालिक ने टीएनसी से अप्रुव्ह कराया होगा।

               गोपाल ठाकुर ने कहा कि इसकी जानकारी उन्हें नहीं है कि वहां क्या हो रहा है। लेकिन सूत्रों की माने तो गोपाल ठाकुर को ना केवल इसकी जानकारी है। बल्कि जमीन और निर्माण के दस्तावेज भी उनके पास है।

आयुक्त को बैठक से फुर्सत नहीं..जवाब का रहा इंतजार

              कमिश्नर प्रभाकर पाण्डेय ,nagar nigam,bilaspur,chhattisgarh सरकार बदलने के साथ नए आयुक्त से शहर वासियों को बड़ी उम्मीद थी। उनसे भी सम्पर्क का प्रयास किया गया। लेकिन उन्होने ना तो फोन उठाया और ना ही मैसेज का जवाब ही दिया। हर बार पाया गया कि साहब बैठक में है। यह अलग बात है कि अभी तक  बैठक… बैठक तक ही रही।

                              बहरहाल काम्पलेक्स निर्माण के लिए नियमो को ताक पर रख अनुमति दी गयी। आयुक्त को इस बात की जानकारी नहीं होगी…फिलहाल कहना  मुश्किल है। मामले में हर बार की तरह उन्होने ना तो फोन उठाया..जाहिर सी बात है कि उन्होने जवाब भी नहीं दिया। यहां भी हमेशा की तरह पत्रकारों से बचने का प्रयास किया। बताया जा रहा है कि आयुक्त स्मार्ट सिटी चैम्बर में बैठक ले रहे थे। यहां फोन उठाया जा सकता था..लेकिन उन्होने खुद को दूर रखना मुनासिब समझा। क्योंकि साहब को बैठक से फुर्सत नहीं है।

इंजीनियर ने कहा करेंगे निरीक्षण

     भवन शाखा इंजीनियर गोपाल ठाकुर ने कहा कि हम मौके पर जाकर निरीक्षण करेंगे…पता लगाएंगे कि आखिर नियमों के साथ छेड़छाड़ क्यों हो रही है। शर्तों के उल्लंघन होने पर कार्रवाई भी करेंगे। मामले को आयुक्त के सामने भी लाएंगे। फिलहाल इस बयान के बाद समझना मुश्किल हो जाता है कि आखिर फाइल होने के बाद भी इंजीनियर को इसकी जानकारी क्यों नहीं है। क्योंकि निरीक्षण करने से लेकर अप्रुब्ड के खेल में इंजीनियर की भूमिका अहम होती है।

                     अब देखने वाली बात है कि क्या भविष्य में हादसे की पुनरावृत्ति ना हो इसके लिए निगम प्रशासन क्या कदम उठाता है। क्या निर्माणाधीन कामर्शियल  काम्पलेक्स को अनुमति देता है या फिर हादसे को आमंत्रित करता है। बताते चलें कि चालिस फिट से चन्द फिट कम चौड़ी सड़क होने की वजह से सिटी सेन्टर को सालों साल पापड़ बेलने बड़े है। अब देखना होगा कि यहां क्या होता है..जहां चालिस फिट की वजाय सड़क की चौ़ेड़ाई मात्र सा़ढ़े पन्द्रह फिट है।

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