फेडरेशन ने की कर्मचारी संघ के पंजीयन रद्द करने की मांग…जाकेश साहू ने कहा-शिक्षाकर्मियों के पदोन्नति मामले पर बोलने का नैतिक अधिकार नियमित शिक्षको को नहीं…सभी नियमित शिक्षकों को दें फोर्सली रिटायरमेंट

Shri Mi
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रायपुर।राज्य कर्मचारी संघ छत्तीसगढ़’ द्वारा शिक्षाकर्मियों के पदोन्नति का विरोध करने पर फेडरेशन ने तीखी नाराजगी जतायी है।“छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक फेडरेशन” पंजीयन क्रमांक – 122201859545 के प्रदेशाध्यक्ष/प्रदेश संयोजक जाकेश साहू ने  मीडिया को बयान जारी कर राज्य सरकार से मांग की है कि ‘राज्य कर्मचारी संघ छत्तीसगढ़’ का पंजीयन क्रमांक तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाय।सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप्प ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां क्लिक करे

             
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राज्य शासन से पंजीकृत संगठन होने के नाते किसी भी कर्मचारी संघ को यह अधिकार होता है कि वह अपने संगठन के सदस्यों के बेहतर भविष्य के लिए सरकार के समक्ष अपनी मांगो को रखे, परन्तु ऐसे संगठनों द्वारा प्रदेश के सबसे बड़े कर्मचारी वर्ग के पदोन्नति के विरोध करने का कतई अधिकार नहीं है।

चूंकि ‘राज्य कर्मचारी संघ छत्तीसगढ़’ द्वारा एक पंजीकृत संगठन होने के बाद भी शिक्षाकर्मियों के पदोन्नति का खुलेआम विरोध किया जा रहा है जो पूर्णतः गलत, अनुचित एवं अव्यवहारिक है अतः ऐसे कर्मचारी संगठन का पंजीयन तत्काल रद्द किया जाय।
फेडरेशन प्रदेशाध्यक्ष जाकेश साहू, रंजीत बनर्जी, अश्वनी कुर्रे, छोटेलाल साहू, हुलेश चन्द्राकर, बसंत कौशिक, शंकर नेताम एवं संकीर्तन नंद ने कहा है कि नियमित शिक्षकों को शिक्षाकर्मियों के बारे में बोलने का कोई अधिकार नहीं है।

ऐसे भी नियमित शिक्षक आज प्रदेशभर में गिनती मात्र के रह गए है जो अपनी नौकरी का आखिरी वक्त विभाग में गुजार रहे है।

छत्तीसगढ़ प्रदेश का सम्पूर्ण स्कूल शिक्षा व्यवस्था आज शिक्षाकर्मियों के ही भरोशे है क्योकि 90 % स्कूलो में शिक्षाकर्मी ही पदस्थ है। नियमित शिक्षक सिर्फ शहर किनारे के स्कूलों में अपनी पोस्टिंग कराकर दिन गुजार रहे है जो उनके जीवनकाल का आखिरी बचा-खुचा वक्त है।

प्रदेशाध्यक्ष जाकेश साहू, संभाग अध्यक्ष शिराज बख्स, दिलीप पटेल, रविप्रकाश लोहसिंह, कौशल अवस्थी एवं शिव मिश्रा ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि राज्य के सारे नियमित शिक्षको को तत्काल अनिवार्य सेवानिवित्ति दे देनी चाहिए क्योंकि ये लोग मात्र 10 प्रतिशत ही बचे है जो विभागीय कार्य करने में सक्षम नहीं है साथ ही इन सभी का उम्रसीमा 55 से 60 के बीच है इसीलिए ये लोग आए दिन उलूल-जुलूल मांग राज्य सरकार से करते रहते है।

विगत 20 – 22 वर्षो से शिक्षाकर्मी साथीगण प्रदेश के स्कूलों में सेवाएं दे रहे है जिसे आज तक न तो पदोन्नति मिली है न ही क्रमोन्नति। जबकि सभी शिक्षाकर्मी साथी वेल क्वालिफाइड है। अब जब कंही से थोड़ा बहोत पदोन्नति की आस बंधी है तब ये नियमित शिक्षक हमारे पदोन्नति का विरोध कर रहे है जबकि इन लोगो का हर साल पदोन्नति हो रहा है। ऐसे में हम इन लोगो का विरोध किसी भी सूरत में बर्दास्त नहीं करेंगे।

By Shri Mi
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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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