सर्विस बुक आडिट के नाम पर लूट…प्रशासन के नाक नीचे चल रहा धंधा..कहां प्रत्येक शिक्षाकर्मियों से हो रही 5 सौ की वसूली

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— शिक्षाकर्मियों का इन दिनों सर्विस बुक का आडिट किया जा रहा है। रोजाना जिले के कोने कोेने से शिक्षाकर्मी सर्विस बुक आडिट कराने न्यू कम्पोजिट बिल्डिंग स्थित वित्त विभाग कार्यालय पहुंच रहे हैं। बाबूराज के चलते शिक्षाकर्मियों को कार्यालय का कई बार चक्कर लगाना पड़ रहा है। इतना ही नहीं शिक्षकों को बाबूराज का शिकार भी होना पड़ रहा है। प्रत्येक शिक्षाकर्मियो से सर्विस बुक आडिट के एवज में 500 से 600 रूपए लिए जा रहे हैं। मामले में विभाग के तुर्रम खान कर्मचारियों का कहना है कि काम मुश्किल है कोई पांच सौ रूपए दे भी देता हैं तो अहसान नहीं करता। आखिर हम उनका सर्विस बुक ही तो आडिट कर रहे हैं।

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                        इन दिनों न्यू कम्पोजिट बिल्डिंग स्थित वित्त विभाग में शिक्षाकर्मियों का सर्विस बुक आडिट किया जा रहा है। जिले के कोने कोने से वर्ग एक,दो.तीन के शिक्षक सर्विस बुक आडिट कराने पहुंच रहे हैं। शिक्षाकर्मी न्यू कम्पोजिट बिल्डिंग के ग्राउन्ड फ्लोर में जहां तहां गमझा बिछाकर लेटे हुए अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। खासकर महिला शिक्षाकर्मियों की हालत बहुत खराब है। नाराज शिक्षाकर्मियों ने दबी जुबान में बताया कि सबसे सर्विस बुक आडिट के लिए पाच सौ से छः रूपए लिए जा रहे हैं। इसके बाद भी उन्हें दिनभर इंतजार कराया जा रहा है।

लगा शिक्षकों का जमघट

                न्यू कम्पोजिट बिल्डिंग के ग्राउण्ड फ्लोर में इन दिनों शिक्षाकर्मियों को झुण्ड में आराम करते देखा जा सकता है। बातचीत के दौरान कुछ शिक्षाकर्मियों ने बताया कि वे लोग जिले के दूरवर्ती क्षेत्र से लगातार आ रहे हैं। सर्विस बुक का आडिट किया जाना है। लेकिन साहब के नहीं होने से सर्विस बुक आडिट का काम नहीं हो पा रहा है। हम लोग अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। जो लोग जैन बाबू को पांच सौ रूपए दे देते हैं..उनका आडिट घण्टो में हो जाता है।

15 हजार से अधिक शिक्षकों का होना है आडिट

                                जानकारी के अनुसार जिले में कुल 15 हजार शिक्षाकर्मी हैं। शासन के आदेश पर सभी शिक्षाकर्मियों का सर्विस बुक आडिट किया जाना है। रोजना 100 से अधिक शिक्षाकर्मी सर्विस बुक आडिट कराने बिलासपुर स्थित वित्त विभाग पहुंच रहे हैं। लेकिन बाबूराज के चलते शिक्षाकर्मियों को चक्कर काटने को मजबूर होना पड़ रहा है। कुछ शिक्षाकर्मियों ने नाम नहीं छापने की सूरत में बताया कि जो लोग जैन बाबू को पांच सौ रूपए दे रहे हैं। उनका आडिट घंटों में हो रहा है।

प्रत्येक आडिट पर 500 रूपए

                           मामले में कुछ शिक्षाकर्मियों ने कैमरे के सामने बताया कि विभाग का जैन बाबू प्रत्येक शिक्षाकर्मियों से सर्विस बुक आडिट के एवज में पांच सौ रूपए ले रहा है। हम लोगों ने भी मजबूरी में दिया  है। क्योंकि बार बार चक्कर लगाने से पांच सौ देना उचित है। पांच सौ रूपए देने के बाद समय भी बच रहा है। मामले में जब सीजी वाल संवाददाता ने जैन बाबू से जानकारी चाही तो उन्होेने साफ इंकार कर दिया। लेकिन कई शिक्षाकर्मियों ने जैन के सामने ही कहा कि हम लोगों से पांच रूपए मांगा गया। नहीं दिए जाने पर घुमाया जा रहा है।

सहायक डायरेक्टर ने कहा..काम कठिन..प्यार से लोग दे रहे

                   वित्त विभाग के एडिश्नल डायरेक्टर ने पहले तो पांच सौ रूपए लिए जाने की बात से इंकार किया। बातचीत के दौरान एस.एल.चन्द्राकर ने बताया कि  शिक्षाकर्मी जनपद और जिला पंचायत विभाग के कर्मचारी हैं। उनका सर्विस बुक मेटेंन नहीं है। सर्विस आडिट का काम कठिन होता है। लोगों के पास समय भी नहीं है। बार बार चक्कर काटकर परेशान हो रहे हैंं। झंझट से बचने पांच छः रूपए दे देते हैं। इसमें कोई बुराई भी नहीं है। क्योंकि उनका काम भी आसानी हो जाता है। और समय भी बच जाता है। हम लोग किसी से जबरदस्ती रूपए नहीं मांग रहे हैं।

 

लाखों रूपयों की वसूली..अभी लाखों बकाया

                        बताते चलें कि जिले में विभिन्न वर्गों के करीब पद्रह हजार शिक्षाकर्मी हैं। सूत्रों की मानें तो अब तक करीब 6000 से अधिक शिक्षाकर्मियों की सर्विस रिकार्ड का आडिट किया जा चुका है। शिक्षाकर्मियों की माने तो सभी से पांच सौ से छः रूपये लिया गया है। आंकडों पर गौर करें तो अब तक शिक्षाकर्मियों ने 30 लाख रूपए से अधिक का भेंट कर चुके हैं। कयास लगाया जा सकता है कि यदि लेन देन का सिलसिला चलता रहा अंतिम आंकडा 60 लाख रूपयों से अधिक होगा।

नाक के नीचे घुसखोरी

                         शिक्षाकर्मियों से रिकार्ड दुरूस्ती के नाम से पांच सौ रूपए धडल्ले से लिया जा रहा है। वह भी जिला प्रशासन के नाक के नीचे से। यह जानते हुए भी चंद कमरों के बाद जिला कलेक्टर का कार्यालय है। जिला पंचायत सीईओ भी  सामने बैठता है। कई डिप्टी कलेक्टर भी आस पास बैठते हैं। बावजूद इसके शिक्षाकर्मियों को रिकार्ड ठीक करने के नाम पर जमकर लूटा जा रहा है। इस बात को लेकर शिक्षाकर्मियों में जमकर आक्रोश है। लेकिन उनमें डर इस बात को लेकर है कि शिकायत के बाद उनकी नौकरी बचेगी भी या नहीं। फिलहाल जिला प्रशासन के नाक के नीचे वसूली का खेल जमकर चल रहा है। आश्चर्य की बात है कि सब कुछ होने के बाद भी आलाधिकारियों को कुछ दिखाई क्यो नहीं दे रहा है।

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