जंगल में धमाका, ब्लास्ट कर तोडे जा रहे पत्थर, पेड़ भी उखाड़ फेंके, जांच में कोताही

Shri Mi
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पेंड्रा(जयंत पाण्डेय)हाल ही में 5 जून को विश्व पर्यवरण दिवस पूरे देश मे मनाया गया। इसके साथ पर्यावरण को लेकर वन विभाग के लोगो ने बड़े बड़े कार्यक्रम कर पर्यावरण दिवस मनाया करोड़ो खर्च कर के लोगो को जागरूक करने के लिए खर्च किये गए लेकिन नतीजा सिर्फ कागजों और मंचो तक सीमित रह जाता है।

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वन विभाग जिसको वन और वन प्राणियों की सुरक्षा का जिम्मा है।अगर वो ही वन रक्षक वन के भक्षक बन जाये तो क्या होगा। एक तरफ वन विभाग पर्यावरण को बचाने के लिए बखान दे रहा था।वही दूसरी तरफ एक वन परिक्षेत्र अधिकारी अपनी जेब भरने के लिए जंगल मे धमाका कर रहा था।

जिस जंगल मे जंगली जानवरों के चलते तेज आवाज वाले हार्न बजाने में भी मनाही है।जिस जंगल मे लाऊड स्पीकर चलाने में मनाही है।उस जंगल मे वन विभाग और वन परिक्षेत्र अधिकारी के द्वारा बिना किसी अधिकारी के परिमिशन लिए पत्थर में बम लगा कर ब्लॉस्ट किया गया और पत्थर को टुकड़े टुकड़े कर दिया गया।

ताजा मामला है मरवाही वनमंडल के खोडरी वनपरिक्षेञ के नेवरी के जंगल का जंहा वन विभाग के द्वारा स्टाॅप डेम का निर्माण करना है।लेकिन वहां के वन परिक्षेत्र अधिकारी जीवन शरण तिवारी जो कि खोडरी के पास ठेंगाडाँड़ के निवासी है उन्होंने पूरे नियम कायदों को ताक में रख कर मध्यप्रदेश से ब्लास्टिंग करने वालो को बुला कर बॉस्टिंग बिना किसी परिमिशन के करवा दिया।

यहां स्टाॅप डेम के निर्माण के लिये खुद वनविभाग के अधिकारियों के द्वारा नियम कायदों का जमकर उल्लंघन किया गया। जहां रेंजर खोडरी के द्वारा इस काम को विभागीय तौर पर कराया जा रहा है तो आप भी तस्वीरों में देख सकते हैं कि किस प्रकार इस निर्माण के लिये पेड़ों को उखाड़ फेंका गया है तो उत्खनन भी जमकर किया गया।

और तो और पत्थरों चटटानों को हटाने के लिये बिना किसी परमिषन के ब्लाॅस्ट करवाकर पत्थरों को तोड़ा गया। और जब इस मामले का खुलासा हुआ तो मरवाही वनमंडल के डीएफओ ने इस मामले की जांच के लिये एसडीओ ए के व्यास को इसका जिम्मा दिया गया पर एसडीओ जोकि इस काम के उदघाटन भूमिपूजन में तो पहुंचे।

पर अब ब्लास्ट कराये जाने की जांच के लिये परहेज कर रहे हैं जिससे इस काम में विभागीय मिलीभगत की बात पुश्ट होती है। वहीं इस ब्लास्ट को जिस जगह पर कराया गया वहां पर फुलवारी नदी में ही पुल बनाया गया है।

ऐसे में विभागीय अनुमति ब्लास्ट कराये जाने के पहले और भी जरूरी हो जाती है पर विभाग के रंेजर ने इसको भी ताक पर रखा। अब इस पूरे मामले के सामने आने के बाद रेंज आफिसर से लेकर डीएफओ तक कैमरे के सामने कुछ भी कहने से बच रहे है।जबकि मौके पर मौजूद कर्मचारियों को भी किसी से कुछ भी कहने से परहेज करने की हिदायत देकर मामले पर पर्दा डालने की कोषिष की गयी है।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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