दिमागी बुखार से बचने के उपाय बताने चलेगा जनजागरण,बांटे जाएंगे पर्चे,

Shri Mi
2 Min Read

बिलासपुर। एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम या दिमागी बुखार से सावधानी बरतकर बचा जा सकता है।सामान्यतः ये बुखार 1 से 10 साल तक के बच्चों को होता है। इससे बचने के लिये बच्चों को थोड़ी-थोड़ी देर में कुछ खाने के लिये देते रहें। बच्चों को नियमित अंतराल में अधिक से अधिक पानी पिलायें, जिससे डिहाइड्रेशन ना होने पाये। खाने के साथ उन्हें नियमित अंतराल में मीठा भी देते रहें। सड़े, गले फल या बासी भोजन न करें। भोजन, फल और सब्जियां ताजी ही खाने को दें और उन्हें जंकफूड से दूर रखें। रात को सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें। बच्चों को पूरे बदन के कपड़े पहनायें। बच्चों को तेज धूप में न निकलने दें और लू से बचायें। थोड़ा सा भी बुखार या लक्षण होने पर तुरंत चिकित्सक को दिखायें।सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां क्लिक करे

             
Join Whatsapp Groupयहाँ क्लिक करे

ये हैं इंसेफलाइटिस के लक्षण- इंसेफलाइटिस में बच्चों को अचानक तेज बुखार आता है। बेहोशी के साथ हाथ-पैरों में अकड़न महसूस होती है। बच्चों का शरीर कांपने लगता है। शरीर पर चकत्ते निकल आते हैं। ग्लूकोज की मात्रा शरीर में कम हो जाती है। कलेक्टर ने बैठक में दिये निर्देश- इंसेफलाइटिस से बचाव हेतु सावधानी एवं जागरूकता के लिये कलेक्टर डाॅ.संजय अलंग ने आज स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में डाॅ.अलंग ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि बीमारी से बचाव के लिये अधिक से अधिक जागरूकता फैलायें। इंसेफलाइटिस से सावधानी बरतकर बचा जा सकता है।

उन्होंने बीमारी से बचाव, सावधानी एवं लक्षण का पम्पलेट, सभी स्कूलों और आंगनबाड़ी केन्द्रों में वितरित करने के निर्देश दिये। उन्होंने स्वास्थ्य, शिक्षा एवं महिला बाल विकास विभाग के अधिकारियों को गांव-गांव में बीमारी से सावधानी बरतने हेतु जागरूकता फैलाने के निर्देश दिये।बैठक में सीएमएचओ डाॅ. प्रमोद महाजन, महिला बाल विकास अधिकारी सुरेश सिंह, सिविल सर्जन डाॅ.मधुलिका सिंह, अपर कलेक्टर एस.के.गुप्ता, संयुक्त कलेक्टर सूर्यकिरण तिवारी मौजूद रहे।

By Shri Mi
Follow:
पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
close