पूरे 19 साल बाद रोशन हुए सरगुजा के सीमावर्ती गांव…रिकार्ड तोड़ समय में हुआ काम…ग्रामीणों में उत्सव का माहौल

BHASKAR MISHRA
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Bijli Bill, Electric Bill, Manohar Lal Khattar,रायपुर/बिलासपुर/सरगुजा-— पूरे 19 साल बाद सरगुजा के 174 गांवों में रोशनी पहुंची है। सरगुजा वासियों को मध्यप्रदेश की महंगी बिजली और कुप्रबंध के कहर से निजात मिली है। 19 साल बाद जनकपुर क्षेत्र वासियों को छत्तीसगढ़ की बिजली नसीब हुई है।

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                   छत्तीसगढ़ को पॉवर हब चाहे जब घोषित कर दिया गया हो,लेकिन सरगुजा के जनकपुर क्षेत्र के 174 गांवों में पूरे 19 साल बाद रोशनी पहुंची है। भरपूर बिजली उत्पादन करने वाले छत्तीसगढ़ के 174 गांवों के हजारों लोगों को वर्षों तक सिर्फ इसलिए समस्याओं से जूझते रहे की आज नहीं तो कल प्रदेश की बिजली नसीब होगी।

  बताते चलें कि राज्य बनने के बाद छत्तीसग़ढ़ के सरगुजा क्षेत्र में आने वाले 174 गावों में मध्यप्रदेश से बिजली मिल रही थी। दरअसल आधारभूत ढांचा नहीं होने के कारण प्रदेश से बिजली सप्लाई नहीं हो रही थी। अब जाकर समस्या का स्थायी समाधान हुआ है। कांग्रेस सरकार बनने के बाद मात्र साढ़े 3 महीनेा के रिकार्ड समय में 60 किलोमीटर नयी विद्युत लाइन बिछाकर 174 गावों में नयी सरकार ने बिजली पहुंचाने का इंतजाम किया है।

                   पॉवर कम्पनी के अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की जानकारी में जनकपुर क्षेत्र की समस्या को लाया गया। उन्होंने तत्काल समाधान का निर्देश दिया। राज्य बनने के बाद छत्तीसगढ़ ने विद्युत उत्पादन के मामले में हालांकि सरप्लस है। लेकिन राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों में अधोसंरचना नही होने से बिजली आपूर्ती में दिक्कत आ रही थी। जनकपुर क्षेत्र भी इन्ही सीमावर्ती क्षेत्रों में से एक है। क्षेत्र में 19 सालों से छत्तीसगढ़ के निकटतम विद्युत उपकेंद्र से कनेक्ट नहीं किया गया था। मध्यप्रदेश से जिस 33 केवी लाइन से विद्युत आपूर्ति की जा रही थी, उसकी लंबाई 100 किलोमीटर है। इसीलिए जनकपुर क्षेत्र के गांवों को न तो निर्बाध बिजली मिल पा रही थी, और न ही सही वोल्टेज।

                                               जानकारी के अनुसार 4178 उपभोक्ताओं वाले जनकपुर क्षेत्र में आए दिन बिजली गुल रहती थी। लाइन में खराबी आने पर सुधार के लिए मध्यप्रदेश के अधिकारियों-कर्मचारियों के भरोसे रहना पड़ता था। समय पर सुधार नहीं हो पाने के कारण अक्सर कई-कई दिनों तक बिजली बाधित रहती थी। मध्यप्रदेश से बिजली की व्यवस्था किए जाने से जहां ग्रामीण परेशान थे, वहीं छत्तीसगढ़ को हर महीने बड़ा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा था। हाल के दिनों तक छत्तीसगढ़ को मध्यप्रदेश से हर महीने 1.14 मिलियन यूनिट बिजली खरीदनी पड़ रही थी। इसके ऐवज में छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी की तरफ से औसत प्रति यूनिट 7 रुपए 21 पैसे की दर से हर महीने में 82 लाख रुपए का भुगतान मध्यप्रदेश को किया जा रहा था। अब छत्तीसगढ़ से बिजली आपूर्ति की व्यवस्था हो गई है, मात्र 5 रुपए 43 पैसे की दर से बिजली उपलब्ध हो जाएगी। इस तरह 20 लाख 30 हजार रुपए की बचत हर महीने होगी।

              जनकपुर क्षेत्र के लिए 33 केवी की 60 किलोमीटर लंबी नयी लाइन बिछाने का काम मात्र साढ़े तीन महीने के रिकार्ड समय में पूरा किया गया है। पूरी लाइन जंगल क्षेत्र से होकर गुजरती है। छत्तीसगढ़ के केल्हारी 33/11 केवी सब स्टेशन से जनकपुर क्षेत्र तक लाइन बिछाई गई है। इसमें 13 करोड़ 88 लाख रुपए खर्च हुए हैं। नयी लाइन के जरिये अब 174 गांवों को भरपूर वोल्टेज के साथ निर्बाध बिजली मिलेगी। लाइन में किसी तरह की खराबी या बाधा आने पर छत्तीसगढ़ के ही अधिकारी कर्मचारी  ठीक करेंगे। जनकपुर क्षेत्र को मध्यप्रदेश से 33 केवी लाइन पर लगभग 23 केवी वोल्टेज मिल रहा था। नई लाइन के चालू होने पर वोल्टेज बढ़कर 27 केवी हो गया है।

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