पेंड्रा(जयंत पाण्डेय)।बच्चो के उज्जवल भविष्य का स्थान स्कूल माना जाता है लेकिन पेंड्रा ब्लॉक के कुछ स्कूल ऐसे भी है जहाँ पर अभी भी ताले लटके हुए है नए सत्र को शुरू हुए अभी 1 हफ्ते भी नही हुए और आदिवासी विकासखंड पेंड्रा के सरकारी स्कूलों में लापरवाही मनमानी देखने को मिल रही है।पेंड्रा ब्लॉक के बसंतपुर इलाके का मामला है।जहाँ पर प्राथमिक षाला के बच्चों को स्कूल के मध्यान्ह भोजन पकाने वाले कक्ष के सामने गढढे को पाटते हुये और दूसरी बच्ची खाने के बर्तन को धोते हुये दिखाई दे रही है। वहीं इन्ही बच्चियों को काम करता छोड़कर मध्यान्ह भोजन रसोईया जहां कमरे में सोते दिखाई दे रही।तो वहीं स्कूल की षिक्षिकांए अपने कक्ष में गप्पे मारने में मस्त हैं।सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप्प ग्रुप से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करे
ऐसा लगता है बच्चे स्कूल में पढ़ाई नही काम करने आते है।बच्चो को काम करता देख हर कोई हैरान भी नही होता न ही शिक्षक नही गांव के लोग।वहीं दूसरा नजारा इसी स्कूल के ठीक बगल का है जहां पर ताला लटका हुआ है यहाँ पर पदस्थ हेडमास्टर साहब की तबियत खराब हुई जिसको देख कर उन्होने पूरी स्कूल में ही ताला लगा दिया।
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यह मामला पेंद्र शहर से सिर्फ 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जहाँ के प्रधानपाठक की तबियत खराब होने पर स्कूल बंद कर दिये हैं और अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं। हद तो तब हो गयी कि स्कूल परिसर में ही स्थित ग्राम पंचायत के सरपंच सचिव और किसी ने भी इस प्रकार से स्कूल बंद होने के मसले को गंभीरता से नहीं लिया। हेडमास्टर की तबियत खराब होने का खामियाजा इस स्कूल में पढने वाले बच्चों को भुगतना पड़ रहा है।
इस स्कूल की मनमानी का कयास इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रदेष में सरकार बदले हुये छह महीने हो चुके पर इस स्कूल के बोर्ड में आज भी सीएम के रूप में रमनसिंह का नाम दर्ज है। और तो और नया सत्र खुलने के बाद भी कोई विषेश तैयारी भी नजर इस स्कूल में नहीं आ रही है।